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आधुनिक युग में यह माना जाता है कि जहाँ संचार की नई विधियों एवं तकनीकों ने व्यावसायिक संस्थाओं के लिए संचार व्यवस्था को बहुत ही तीव्र एवं सरल बना दिया है, वहीं इनके सम्मुख कुछ समस्याएं भी उत्पन्न कर दी है । कुछ अनुसंधानकर्ता तो यह मानते है कि यह ठीक है कि आधुनिक संचार विधियों तथा तकनीकों के कारण संचार बहुत ही सरल तथा सुविधाजनक हो गया है, किन्तु सूचना तन्त्र में होने वाले परिवर्तनों के कारण व्यावसायिक संस्थाओं के लिए नये प्रकार के संगठनात्मक स्वरूप की आवश्यकता है ।

अब यह माना जाने लगा है कि आधुनिक समय में केवल वही व्यावसायिक संस्थाएं सफल हो सकती हैं जोकि आधुनिक संचार व्यवस्था का सही एवं कुशलता से प्रयोग कर सकेंगी । आधुनिक व्यावसायिक युग में सन्देशों तथा सूचनाओं की विषय-सामग्री को गुप्त एवं सुरक्षित रखना तथा नियन्त्रित करना बहुत ही आवश्यक माना जाता है, किन्तु अब कम्प्यूटरों द्वारा भेजे जाने वाले संदेशों, सूचनाओं एवं कड़ी के चोरी होने की सम्भावनाएँ बहुत ही बढ़ गई हैं ।

इस प्रकार आधुनिक संचार तकनीकों के इस युग में संचार व्यवस्था को नियन्त्रित करना अत्यन्त ही कठिन हो गया है । अत: अब यह महसूस किया जाने लगा है कि जहाँ संचार की आधुनिक विधियों एवं तकनीकों ने व्यावमायिक संस्थाओं को इतनी सुविधाएँ एवं लाभ प्रदान किए हैं वहीं इनके सम्मुख कुछ समस्याएँ एवं चुनौतियाँ भी उत्पन्न कर दी हैं ।

इनका विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:

1. पेजर सर्विस (Pager Service):

यह एक छोटा रेडियो रिसीवर है जो एक-तरफा सम्प्रेषण में व्यक्ति को संक्षिप्त सन्देश दे देता है यह छोटे से क्षेत्र में कार्य करता है और कम शक्ति वाले ट्रान्समीटर का प्रयोग करता है । यह उपकरण ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए आवश्यक है जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमता-फिरता (Mobile) रहता हो, क्योंकि यह सन्देश को किसी भी समय किसी भी जगह प्राप्त कर सकता है ।

इसमें केवल सन्देश भेजा जा सकता है बातचीत नहीं हो सकती है । सेल्युलर फोन के आ जाने से इसका प्रयोग बहुत कम हो गया है । भारत में अनेकों कम्पनियां जैसे-मोदी, मैक्स आदि मासिक चन्दे (Monthly Subscription) के आधार पर यह सुविधा प्रदान करती है ।

पेजर का प्रयोग (Use of Pager):

प्रत्येक ग्राहक को एक पेजर नम्बर दे दिया जाता है जिस पर अन्य व्यक्ति संक्षिप्त संदेश भेज सकते हैं । पेजर उपकरण आकार में छोटा तथा प्रयोग करने में आसान होता है । इसको जेब में रखा जा सकता है या फिर बेल्ट में लगाया जा सकता है ।

सन्देश भेजने वाला व्यक्ति टेलीफोन के माध्यम से पेजर पर सन्देश भेज सकता है । हाँ, उसको प्राप्तकर्त्ता का पेजर नम्बर मालूम होना चाहिए । पेजर उपकरण पर अल्फा न्यूमेरिक (Alpha Numeric) सन्देश आ जाते हैं एवं इसकी मेमोरी (Memory) में रिकॉर्ड हो जाते हैं जिन्हें वह सुविधानुसार किसी भी समय पढ़ सकता है ।

पेजर की विशेषताएँ (Features of Pager):

पेजर व्यक्ति को अपने ग्राहकों, कर्मचारियों से सम्पर्क करने में सहायता प्रदान करता है ।

इसकी दो विशेषताएँ हैं:

(i) इसमें सन्देश अत्यन्त संक्षिप्त होना चाहिए तथा

(ii) पेजर सन्देश प्राप्त कर सकता है, इससे सन्देश भेजे नहीं जा सकते ।

लाभ (Advantages):

(a) छोटा होने के कारण इसे जेब में डालकर व्यक्ति निर्धारित परिधि में कहीं भी घूम सकता है ।

(b) इसे रखने वाला संस्था से लगातार सम्पर्क में रहता है ।

दोष (Disadvantages):

(i) यह निर्धारित परिधि में ही कार्य कर सकता है;

(ii) इसका धारक केवल सन्देश प्राप्त कर सकता है, दे नहीं सकता एवं

(iii) यह केवल निश्चित भाषा में ही लिखित सन्देश प्राप्त कर सकता है ।

2. मोबाइल/सेल्यूलर फोन (Mobile/Cellular Phone):

मोबाइल/सेल्युलर फोन एक तार रहित (Cordless) चलता-फिरता संचार उपकरण है जो उन लोगों को संचार का सरल एवं सुविधाजनक साधन उपलब्ध कराता है जो कहीं पर भी ही (चाहे यात्रा कर रहे हों) इसमें फोन करने वाले को यह जानने की आवश्यकता नहीं होती कि जिसे वह फोन कर रहा है वह कहाँ है ? वह फोन के द्वारा किसी भी व्यक्ति तक, किसी भी जगह, किसी भी समय पहुँच सकता है । इस सेवा के माध्यम से लघु सन्देश सेवा (Short Message Services, SMS) का प्रयोग करके लघु सन्देश भी कम खर्च में प्रेषित किये जा सकते हैं ।

मोबाइल उपकरण बैटरी से चलता है यह एक अत्यन्त छोटा उपकरण होता है जिसे जेब में अथवा पर्स में रखा जा सकता है । इसमें एक स्क्रीन लगी होती है जिस पर यह छोटे सन्देश दिखा भी सकता है । मोबाइल सेवा प्राप्त करने के लिए सेल्युलर कम्पनी को आवश्यक शुल्क जमा करके मोबाइल नम्बर प्राप्त करना पड़ता है इसके द्वारा किसी भी व्यक्ति से जिसके पास सेल्युलर फोन अथवा साधारण फोन कनेक्शन (Land Line Number) हो, बातचीत की जा सकती है ।

सेल्युलर फोन सेवा अब काफी सस्ती एवं लोकप्रिय होती जा रही है । भारत में सेल्युलर सेवा देने वाली कम्पनियों में प्रमुख Bharti Telecom, Essar, Escotel Airtel, MTNL, BPL, BSNL, Reliance आदि हैं ।

लाभ (Advantages):

(i) इसका प्रयोग यात्रा करते समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण है ।

(ii) इससे साधारण टेलीफोन या दूसरे सेल्युलर फोन दोनों पर ही वार्तालाप किया जा सकता है ।

(iii) प्राकृतिक आपत्ति की स्थिति में यदि सामान्य संचार की व्यवस्था खराब हो जाती है तो यह पद्धति अत्यन्त ही लाभदायक रहती है ।

(iv) सेल्युलर फोन की व्यवस्था गाँवों के क्षेत्रीय विस्तार के कारण भी लाभदायक है ।

(v) यह समय प्रबन्धन के दृष्टिकोण से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है ।

हानियाँ (Disadvantages):

(i) मोबाइल फोन बहुत छोटा होने के कारण इसके खो जाने का भय बना रहता है ।

(ii) इसमें सन्देश देने वाले तथा लेने वाले दोनों को ही शुल्क देना पड़ता है । अत: यह अपेक्षाकृत महंगा पड़ता है ।

(iii) इसके नम्बर बहुत लम्बे (बड़े) होते हैं अत: इन्हें याद रखना कठिन होता है ।

(iv) इसमें दुर्घटनाओं की भी सम्भावना बनी रहती है क्योंकि वाहन चलाते-चलाते ही कई बार बात करनी पड़ती है ।

3. वॉइस मेल (Voice Mail):

वोइस मेल कम्प्यूटर पर आधारित पद्धति है इसमें टेलीफोन की आने वाली और जाने वाली कॉल का संचय होता है । आने वाली कॉल का जवाब उपकरण द्वारा स्वयं ही दे दिया जाता है जो सन्देश वॉइस मेल प्राप्त करता है उसे वह संचय कर लेता है, जिनको बाद में प्राप्त किया जा सकता है । वास्तव में यह कम्प्यूटर व टेलीफोन का अन्तर-सम्बन्ध है । टेलीफोन से प्राप्त सन्देश को कम्प्यूटर को भेजा जाता है, जो ध्वनि कड़ी को डिजिट में परिवर्तित करता है और उन्हें एक डिस्क (Disk) पर संचित कर लेता है । बाद में इन सूचनाओं का उपयोग आवश्यकता के समय कर लिया जाता है ।

4. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing):

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मौखिक एवं सचित्र सम्प्रेषण की एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तकनीक है । इसके द्वारा विभिन्न स्थानों पर उपस्थित व्यक्ति वास्तविक सभा की ही भांति सम्प्रेषण करते हैं । इसमें विभिन्न सन्देशों के सम्प्रेषण के साथ-साथ आपस में परस्पर वार्तालाप भी सम्भव होता है इस प्रकार इसमें शारीरिक भाषा का, जैसे-व्यक्ति का हाव-भाव, भाव-भंगिमा एवं मुखाभिव्यक्ति का भी सम्प्रेषण सम्भव हो जाता है । यह आमने-सामने की सम्प्रेषण प्रक्रिया का विकल्प माना जाता है । आधुनिक समय में भारतवर्ष के प्रत्येक जिले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है ।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग निम्न दो प्रकार से सम्पन्न की जा सकती है:

(i) कम्प्यूटर का प्रयोग करके; तथा

(ii) बिना कम्प्यूटर का प्रयोग किए ।

आवश्यक सामग्री:

(i) कम्प्यूटर का प्रयोग करने की दशा में:

इसके लिए कम्प्यूटर, वेब कैमरा, टेलीफोन कनेक्शन एवं इण्टरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर का प्रयोग करने के कारण ही इसे ‘कम्प्यूटर कॉन्फ्रेंसिंग’ के नाम से भी पुकारा जाता है ।

(ii) कम्प्यूटर का प्रयोग न करने की दशा में:

इसके लिए डिजिटल वेब कैमरा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मशीन, टेलीफोन कनेक्शन, सेटेलाइट कनेक्शन एवं प्रोजेक्ट आवश्यक होता है ।

लाभ (Advantages):

इसके लाभ निम्न प्रकार हैं:

(i) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दृश्य एवं श्रवण दोनों ही प्रकरण के सन्देशों का सम्प्रेषण सम्भव रहता है ।

(ii) विभिन्न स्थानों पर बैठे लोग लगभग आमने-सामने की भांति सम्प्रेषण करते हैं ।

(iii) संस्था के अलग-अलग स्थानों के विभागों या शाखाओं से प्रत्यक्ष एवं तीव्र गति से सम्प्रेषण सम्भव हो जाता है ।

(iv) इसके द्वारा लम्बी दूरियों की यात्रा किए बिना ही किसी सम्मेलन में सहभागिता सम्भव हो जाती है । इस प्रकार इससे धन तथा समय दोनों की ही बचत होती है ।

(v) यद्यपि एक विशेष समय पर एक साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तो केवल दो अलग-अलग पक्षों तथा स्थानों के साथ ही सम्भव है, किन्तु इन दोनों स्थानों से निरन्तर सम्पर्क स्थापित रहता है ।

(vi) इसके द्वारा किसी संस्था के मुख्य कार्यालय से विभिन्न स्थानों के कार्यालयों की समीक्षा सम्भव हो जाती है ।

हानियाँ (Disadvantages):

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की हानियाँ निम्न प्रकार हैं:

(i) यह पद्धति छोटी तथा स्थानीय संस्थाओं के लिए उपयुक्त नहीं है ।

(ii) इसके लिए आवश्यक सामग्री अत्यधिक महंगी है, इसलिए यह पद्धति लोकप्रिय नहीं हो पाई ।

5. फैक्स (Fax):

फैक्स के माध्यम से जो सन्देश भेजना होता है उसे मशीन में लगाने पर हूबहू मैटर दूसरे स्थान पर वैसा का वैसा पहुंच जाता है । फैक्स सर्विस टेलीफोन के साथ काम करती है । जिस स्थान पर खबर भेजनी होती है वहाँ का टेलीफोन नम्बर व फैक्स नम्बर मिलाकर मशीन को चालू कर देते हैं । तत्पश्चात् मशीन में जो सन्देश लगा दिया जाता है वह दूसरे स्थान पर वैसा का वैसा तुरन्त पहुँच जाता है ।

समाचारों व शीघ्र भेजे जाने वाले सन्देशों के लिए इनका प्रयोग किया जाता है । फैक्स सर्विस निजी व्यक्तियों कम्पनियों भी प्रयोग में लाई जाती है । निजी कम्पनियाँ अपने समस्त कार्यालयों में फैक्स मशीन लगा लेती है और फिर सन्देश, खातों की नकलें एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय को तुरन्त बिना समय बर्बाद किये भेजते रहते हैं ।

इलेक्ट्रानिक मशीनों में फेसीमाइल टेलीग्राफी को टेलीफैक्स या फैक्स मशीन के नाम से भी जाना जाता है ।

इन मशीनों की संचालन विधि निम्नलिखित प्रकार है:

इसमें मूल प्रति को ‘लोडिंग ट्रे’ में रखा जाता है और गन्तव्य स्थान का टेलीफोन नम्बर मिलाकर एक बटन दबाकर सारी सामग्री को उसे प्रेषित कर दिया जाता है । इस मशीन की विशेषता यह है कि इसमें सामग्री को कम्प्यूटर की भांति टाइप भी नहीं करना पड़ता और कठिन तथा पेचीदे चार्ट, नकशे, हिसाब-किताब आदि पूरीशुद्धता के साथ दूसरे स्थान पर भेजे जा सकते हैं । इन मशीनों में अनेक सुविधाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं जिसके अनुसार इनकी कीमत भी बढ़ती जा रही है ।

अत्याधुनिक फैक्स मशीन में लगभग 50 दस्तावेज स्मरण-शक्ति में रखे जा सकते हैं और 5 स्थानों तक, जब टेलीफोन की दरें न्यूनतम हों, न्यूनतम खर्चे पर उन्हें गन्तव्य स्थान पर भेजा जा सकता है इससे एस.टी.डी. टेलीफोन पर होने वाला खर्च, दस्तावेजों को टाइप करने में होने वाला खर्च व समय दोनों की बचत होती है । इसके साथ डिजिटल स्विच होते हैं जिनसे यह व्यवस्था स्वचालित होती है और केवल बटन दबाकर सारे काम किए जा सकते हैं ।

फैक्स का आविष्कार:

विश्व की प्रथम फैक्स मशीन, पैटेलीग्राफ का आविष्कार इटली के भौतिकीविद जिमोवान्नी केसेली ने 1866 में किया था, लेकिन जनसाधारण द्वारा प्रयोग करने लायक इलेक्ट्रानिक फैक्स मशीन लगभग एक सदी बाद ही बाजार में आ सकी । 1980 के दशक में ही फैक्स मशीनों का आकार कार्यालयों व घरों में उपयोग लायक छोटा हो सका ।

फैक्स की कार्य-प्रणाली:

फैक्स में सूचना-पत्र का प्रेषण कोड नम्बर की सहायता से होता है । चित्रानुसार सूचना प्रेषक अपने कागजात को फैक्स मशीन (1) में डालता है, और जहाँ सन्देश भेजा जाना होता है, वहाँ का कोड नम्बर सेट कर देता है । फैक्स मशीन में डाले गए कागजात को यह मशीन डिजिटल कोड, (2) में परिवर्तित कर देती है । कागजात के पृष्ठ (3) पर तेज प्रकाश के पड़ने पर कोड़ का निर्माण होता है ।

मशीन के संवेदक परावर्तित प्रकाश की मात्रा का आकलन करते हैं जहाँ पर स्याही होती है, प्रकाश का परावर्तन कम होता है और कम वोल्टेज का विद्युती स्फुरण बन जाता है । जब प्रकाश का परावर्तन सफेद कागज से होता है तब यह स्फुरण उच्च वोल्टेज का बनता है ।

डिजिटल कोड, मोडेम के द्वारा फैक्स में एनालॉग सिगनल (सादृश्य संकेत में परिवर्तित हो जाते है) (5) तथा टेलीफोन नेटवर्क द्वारा प्राप्त करने वाली फैक्स मशीन (6) को भेज दिये जाते हैं । दूसरी मशीन में लगा मोडेम एनालॉग कोड को वापस डिजिटल कोड में परिवर्तित कर देता है (7) तथा एक प्रिन्टर (8) डिजिटल कोड को भाषान्तरित कर उसकी प्रतिलिपि देता है । (9) प्रत्येक मशीन का एक नम्बर (10) होता है, जिसे की-बोर्ड की सहायता से डायल किया जाता है ।

फैक्स का महत्त्व:

यह एक त्वरित एवं सस्ती प्रणाली है जिसके द्वारा हम अपने दस्तावेजों की फोटोकापी इच्छित व्यक्ति तक अविलम्ब पहुँचा सकते हैं । दैनिक कार्य-प्रणाली से लेकर स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा, व्यापार, कृषि, बैंकिंग तथा बीमा आदि के क्षेत्र में फैक्स व्यापक परिवर्तन का एक मुख्य आधार बन गया है ।

फैक्स का महत्त्व निम्न कारणों से है:

(i) सन्देश भेजने में सरलता:

फैक्स के द्वारा सन्देश का भेजना एवं फैक्स मशीन का संचालन काफी सरल एवं आसान है ।

(ii) सन्देश की गोपनीयता:

फैक्स के द्वारा भेजे गए सन्देश प्राप्तकर्त्ता और सन्देश भेजने वाले तक ही सीमित रहते है । इस प्रकार गोपनीयता बनी रहती है ।

(iii) प्रलेखों की प्रतिलिपियाँ भेजना सम्भव:

प्रलेख की मौलिक प्रतिलिपि फैक्स द्वारा भेजी जा सकती है यही कारण है कि इसमें तथ्यों का तोड़-मरोड सम्भव नहीं है ।

(iv) सेवा का प्रत्येक समय उपलब्ध होना:

फैक्स सेवाएं दिन और रात चौबीस घण्टे उपलब्ध होती हैं डाकघर की तरह उसके खुलने का इन्तजार नहीं करना पड़ता । सन्देश सुविधानुसार कभी भी भेजे जा सकते हैं और प्राप्त किये जा सकते हैं ।

(v) सन्देश भेजने में शीघ्रता:

सन्देश दूर स्थित जगहों को शीघ्रता अर्थात् कुछ क्षणों में ही भेजे जा सकते हैं ।

(vi) फैक्स सेवाओं का संसार में प्रत्येक स्थान पर उपलब्ध होना:

हम फैक्स के द्वारा विश्व के प्रत्येक भाग में अपने सन्देश भेज सकते हैं ।

(vii) मितव्ययी:

संचार की दूरी और कथन की मात्रा (Contents) को ध्यान में रखते हुए फैक्स द्वारा सन्देश का भेजना सस्ता पड़ता है

इन सभी उपयोगिताओं के बावजूद फैक्स सेवाएँ काफी खर्चीली हैं । ये सभी स्थानों पर और सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं । छोटे स्तर के व्यापारियों के लिए ये अनुपयोगी हैं ।

फैक्स की मर्यादाएँ (Limitations of Fax):

(i) टेलीफोन पर निर्भर करता है ।

(ii) इसमें बचत रहती है बशर्ते भेजे जाने वाली विषय-वस्तु (Matter) छोटी हो ।

(iii) इसकी कार्यक्षमता टेलीफोन पर निर्भर करती है ।

(iv) यदि इसका प्रयोग सार्वजनिक स्थान से किया जाए तो विषय-वस्तु की गुप्तता नहीं रहती ।

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