Here is an essay on ‘Organisation Structure’ for class 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Organisation Structure’ especially written for college and management students in Hindi language.

Essay # 1. संगठन संरचना-अर्थ एवं परिभाषाएँ (Organisation Structure: Meaning and Definitions):

संगठन की क्रिया का मूल उद्देश्य औपचारिक संगठनात्मक संरचना का निर्माण करना है ।

संगठन संरचना एक ढाँचे के रूप में होती है । इसके अन्तर्गत व्यक्तियों के बीच कार्यकारी सम्बन्धों (Functional Relations) की व्यवस्था होती है । अन्य शब्दों में, किसी व्यावसायिक संस्था की कुल संगठनात्मक व्यवस्था व कार्यरत व्यक्तियों के सम्बन्धों को प्रकट करने वाला ढाँचा संगठन संरचना कहलाती है इस प्रकार संगठन संरचना में विभिन्न स्थितियों पदों एवं समस्त कार्य-समूह के लम्बवत् (Vertical) व समतल (Horizontal) सम्बन्ध स्थापित किए जाते हैं यह संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कार्य करने वाले व्यक्तियों के बीच सौंपे गए कार्यों, परिभाषित भूमिकाओं तथा निर्मित सम्बन्धों का एक तन्त्र है ।

संगठन रचना के अन्तर्गत स्थापित किए गए सम्बन्ध पूर्णत: औपचारिक होते है । अत: संगठनात्मक संरचना वह ढाँचा है जिसके अन्तर्गत प्रबन्धकीय तथा क्रियात्मक (Operating) कार्य निष्पादित किए जाते हैं । संगठन संरचना में विभिन्न अधिकारियों के बीच प्रशासनिक सम्बन्ध स्थापित एवं निश्चित किए जाते हैं ।

संगठन संरचना की परिभाषाएँ (Definitions of Organisation Structure):

संगठन संरचना की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:

(i) हर्ले (Hurley) के अनुसार- “संगठन संरचना एक की विभिन्न स्थितियों के बीच एवं विभिन्न स्थितियों को ग्रहण करने वाले व्यक्तियों के बीच सम्बन्धों का ढाँचा है ।”

(ii) विलियम एच. न्यूमैन (William H. Newman) के अनुसार- संगठन संरचना किसी उपक्रम की सम्पूर्ण संगठन-अवस्था से व्यवहार करती है ।

(iii) फ्रेड लुवान्स के अनुसार- “संगठन संरचना से अभिप्राय संस्थात्मक व्यवहार के लिए बनाए गए ढाँचे से है ।”

(iv) अल्वर्ट हेनरी एच. के अनुसार- “संगठन संरचना वह अंबा है जिसमें प्रबन्धकीय तथा परिचालनात्मक कार्य निष्पादित किए जाते हैं ।”

(v) विलियम एच. न्यूमैन के शब्दों में- “संगठन-संरचना किसी उपक्रम की समस्त संगठन-व्यवस्था से सम्बन्ध रखती है और इसे निर्धारित करते समय प्रबन्धकों को अनेक बातों जैसे विशिष्टीकरण का लाभ, कार्यात्मक अधिकारों की सीमा, सम्प्रेषण की समस्या, उपलब्ध व्यक्तियों की योग्यता तथा संगठन की समस्या उपलब्ध व्यक्तियों की योग्यता तथा संगठन की लागत आदि तत्वों को ध्यान में रखना पड़ता है ।”

(vi) थियो हैमन (Theo Haiman) के अनुसार- “यह एक ऐसा संरचनात्मक ढाँचा है जिसके अन्तर्गत विभिन्न प्रयत्नों को समन्वित तथा एक-दूसरे से सम्बन्धित किया जाता है ।”

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि संगठन संरचना का अभिप्राय किसी संगठन के विभिन्न भागों के मध्य औपचारिक सम्बन्ध स्थापित करने से है इन सम्बन्धों का निर्धारण पहले कर लिया जाता है । यह एक धुरी है जिसके इर्द-गिर्द संगठन के कार्यों का सम्पादन किया जाता है ।

अत: हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि संगठन संरचना सभी व्यक्तियों जैसे प्रबन्धकों, अधिकारियों तथा कर्मचारियों की संस्था में स्थिति तथा उनके पारस्परिक औपचारिक सम्बन्धों को व्यक्त करने वाला ढाँचा है जिसे संगठन चार्ट (Organisation Charts) तथा मैनुअल्स (Manuals) द्वारा प्रकट किया जाता है ।

Essay # 2. संगठन संरचना की विशेषताएं (Characteristics of Organisation Structure):

संगठन-संरचना की निम्नलिखित चार प्रमुख विशेषताएँ होती है:

(i) कार्यकारी सम्बन्धों की स्थापना (Establishment of Working Relationship):

संगम संरचना किसी व्यावसायिक संस्था में काम कर रहे कर्मचारियों, अधिकारियों तथा प्रबन्धकों के बीच कार्यकारी सम्बन्धों की स्थापना करती है ।

(ii) औपचारिक ढाँचा (Formal Structure):

संगठन संरचना किसी उपक्रम अथवा किसी संस्था में काम कर रहे किसी विभिन्न व्यक्तियों जैसे प्रबन्धक अधिकारी तथा कर्मचारी तथा उनके समूहों के बीच व्यवहारों के लिए बनाया गया औपचारिक ढाँचा होती है ।

(iii) एक साधन (A Means):

संगठन संरचना किसी क्रियाओं के निष्पादन तथा परिणामों को प्राप्त करने का साधन है ।

(iv) चार्टों व पुस्तिकाओं द्वारा प्रदर्शित (Presented through Charts and Manuals):

व्यक्तियों में पाये जाने वाले सम्बन्ध अदृश्य होते हैं । अत: उन्हें चार्टों व मैनुअल द्वारा प्रदर्शित करके स्पष्ट किया जाता है ।

Essay # 3. संगठन संरचना के निर्माण के उद्देश्य (Purposes of Designing Organisation Structure):

संगठन संरचना का निर्माण निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाता है:

(i) सभी आवश्यक क्रियाओं का निष्पादन किया जा सके तथा कोई भी अनावश्यक क्रिया न की जाए ।

(ii) सभी आवश्यक कियाओं का निष्पादन करते समय इनमें दोहरापन (Duplication) न होने पाये ।

(iii) सभी क्रियाएँ समन्वित रूप में निष्पादित की जाएँ ।

(iv) संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करना ।

(v) संगठन की कार्यक्षमता बढ़ाना ।

Essay # 4. संगठन संरचना के प्रारूप अथवा प्रकार (Forms or Types of Organisation Structure):

व्यावसायिक संस्था का आकार समय के साथ-साथ बढ़ता चला गया । अतएव संगठन की समस्या भी समय के साथ अधिक कठिन व जटिल होती गई । इस समस्या को हल करने के लिए संगठन के विभिन्न स्वरूप उभर कर सामने आए ।

इस तथ्य पर श्री फ्रैंक ने बल दिया है । उनके अनुसार- “किसी उपक्रम का आकार बढ़ जाने के कारण यदि किसी व्यक्ति विशेष द्वारा उसकी क्रियाओं का निरीक्षण करना कठिन हो जाये, तो ऐसे व्यक्ति अपना कुछ कार्य अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों को सौंप देना चाहिए ।”

अत: अधिकार की प्रकृति के आधार पर आजकल संगठन के निम्न प्रारूप देखने में आते हैं:

(i) रेखा संगठन (Line Organisation);

(ii) रेखा व कर्मचारी संगठन (Line and Staff Organisation);

(iii) क्रियात्मक संगठन (Functional Organisation);

(iv) समिति संगठन (Committee Organisation) ।

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