Here is an essay on the ‘Types of Primary Strikes’ for class 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on the ‘Types of Primary Strikes’ especially written fro school and college students in Hindi language.
Essay # 1. Stay Away Strike:
हड़ताल के इस स्वरूप में कर्मचारी सामान्यत: निर्धारित कार्य घण्टों के दौरान कार्यस्थल पर नहीं आते । इसके स्थान पर, वे अपनी शिकायतों के प्रति सेवायोजक का ध्यान आकृष्ट करने के उद्देश्य से रैलियाँ तथा प्रदर्शन आयोजित करते हैं ।
Essay # 2. Sit Down and Stay-in-Strike:
इस प्रकार की हड़ताल भी कर्मचारियों का एक ग्रुप या अन्य हित रखने वाला व्यक्ति जो एक व्यवसाय विशेष में कुछ लक्ष्य प्राप्त करता है, उस व्यवसाय की सम्पत्ति का कब्जा ले लेता है, स्वयं को संयंत्र में स्थापित कर लेता है, उसका उत्पादन रोक लेता है, तथा मालिकों को या काम करने के लिए इच्छुक दूसरों को पहुँच की मनाही करता है ।
परम्परागत दृष्टि से यह एक ऐसी हड़ताल है, जिसमें सेवायोजक की सम्पत्ति पर Strikes की ओर से अतिक्रमण का एक तत्व जुड़ जाता है ।
The Stay-in Strikes उस समय विकसित होती है, जब श्रमिकों की माँग हड़ताल दिवस को पूरी नहीं करती तथा श्रमिक ‘sit down strike’ पर अड़े रहते हैं, तथा संयंत्र को नहीं छोड़ते । ये दोनों प्रकार की हड़ताल अत्यधिक प्रभावी होती है । कब्जाधारी को संयंत्र तथा मशीनों के उपयोग से वंचित रखा जाता है, तथा अतिरिक्त गतिविधियाँ नहीं की जा सकती हैं ।
इसके अतिरिक्त, प्रबन्ध पर एक भार डाला जाता है, जब हड़ताली कर्मचारी कारखाने/सस्थानों के भीतर रहते है । तथा उसका कब्जा रखते हैं, कि अपनी सम्पत्ति के संरक्षण हेतु व्यवस्था करें ।
Essay # 3. कलम बंद हड़ताल (Tools-Down Strikes/Pen-Down Strikes):
इस प्रकार की हडतालों का सहारा क्रमश: कारखाने के श्रमिकों तथा कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा लिया जाता है । ऐसी एक हड़ताल में हड़ताली कर्मचारी अपने औजारों तथा पैन को अलग रख लेते हैं, तथा काम करने से परहेज करते हैं, यद्यपि वे कार्यस्थल पर काम पर बने रहते हैं ।
Essay # 4. सांकेतिक हड़ताल (Token or Protect Strike):
यह अत्यन्त अल्प अवधि की हड़ताल है, जो आने वाले खतरे के लिए एक संकेत की प्रकृति की होती है । ऐसी एक हड़ताल वास्तव में श्रमिकों की ओर से प्रत्यक्ष कार्यवाही की धमकी से जुड़ी होती है, तथा इनका उद्देश्य कर्मचारियों के विरुद्ध की अनुभूतियों के बारे में सेवायोजकों को सूचित करना होता है ।
भावना सेवायोजक के व्यवसाय को अवरुद्ध करने की नहीं होती वरन् मुद्दे के मामलों पर कर्मचारियों के मनोभावों को उसको सम्प्रेषित करने की ।
Essay # 5. कलम बंद हड़ताल (Lighting या Cat Call Strike):
सामान्यत: इस प्रकार की हड़ताल अचानक घोषित की जाती है, बिना किसी नोटिस के या अत्यन्त छोटी अवधि के नोटिस पर, तथा तत्पश्चात विवाद के मुद्दों पर विचार किये जाते हैं ।
सामान्यत: ऐसी एक हड़ताल किसी भड़काव (Provocation) के कारण, तथा वास्तविक कारण कर्मचारी-सेवायोजक सम्बन्धों का समावेश करने वाले और अधिक आधारभूत मुद्दों पर किसी असंतुष्टि के कारण हो सकती है ।
ऐसी हडतालें सामान्यत: वैधानिक होती हैं, सिवाय उसके जहाँ एक नोटिस दिया जाना जरूरी होता है, तथा जहाँ सेवायोजक समझौते तथा न्यायीकरण हेतु आगे बढ़ने को तत्पर रहता है ।
Essay # 6. Go-Slow:
यह कारखाने में कार्यरत बताये जा रहे कर्मचारियों द्वारा उत्पादन की एक सविचार देरी का चित्रमय विवेचन है, तथा सर्वाधिक दुष्परिणामों वाले व्यवहारों में एक है, जिसका असंतुष्ट या परेशान कर्मचारी कभी-कभी सहारा ले लेते हैं ।
Go-Slow एक तकनीकी शब्द है, जिसको श्रमिकों की उस रणनीति के वर्णन हेतु प्रयोग किया जाता है, जब वे जानबूझकर काम की गति को कम कर देते हैं, उत्पादन या कार्यक्षमता घटाने के लिए देरी करने की रणनीति को अपनाते हैं, जबकि वे कारखाने में कार्यरत जताते हैं ।
दूसरे शब्दों में, सामान्य काम या उत्पादन से कुछ कम, मिलकर काम कर रहे किसी उद्योग में सेवारत व्यक्तियों के एक संगठन द्वारा, या एक सविचार मनाही या व्यक्तियों की किसी संख्या द्वारा एक सामान्य वचन के अन्तर्गत मनाही जो सामान्य शक्ति के साथ अन्य तरीके से अपना काम जारी रखते हुए इस प्रकार सेवारत हैं, या सेवारत रहे हैं ।
यह एक दृष्टि से हड़ताल का एक विकल्प है, कि अनेक बार कर्मचारी Go-Slow का सहारा लेते हैं, जब यूनियन एक पूरी हड़ताल का कदम नहीं उठाना चाहती लेकिन फिर भी कोई वैकल्पिक कार्यवाही करना चाहती है, जो जोखिम में तो कम हो लेकिन समान तौर पर प्रभावी रहे ।
कर्मचारियों द्वारा Go-Slow एक संस्थान के स्थायित्व की अनदेखी करने की एक कठिन विधि ठहराई जा चुकी है, तथा स्वभाव में अवमानना योग्य होती है ।
इसको इस साधारण कारण के लिए एक हड़ताल की अपेक्षा अधिक खराब कहकर पुकारा जाता है, कि इससे न केवल उत्पादन की हानि होती है, वरन् मशीनों को उचित तथा पर्याप्त उपयोग में लगाये बिना उन सभी के चलने से उत्पन्न अतिरिक्त हानियाँ भी होती हैं ।
अत: Go-Slow को गम्भीर प्रकार के दुराचरण के रूप में माना गया है, तथा वे श्रमिक जो Go-Slow का सहारा लेते हैं, उनको निष्कासित किया जा सकता है ।
Essay # 7. Picketing and Boycott:
Picketing पिकैट्स पोस्ट करने की एक गतिविधि है, तथा इसमें सेवायोजकों के भवनों के सामने कर्मचारियों की मार्चिंग तथा पैट्रोलिंग तथा समावेश होता है, स्थान पर दाखिल होने से दूसरों को रोकने के उद्देश्य से बैनर्स प्लेकार्ड्स तथा साईनों को ले जाने तथा प्रदर्शन करने (विवाद के सम्बन्ध में) का समावेश होता है ।
दूसरे शब्दों में, यह उनको वॉच करने तथा बहकाने की बात है, जो हडताल के दौरान काम करने के लिए जाते हैं । पिकैटिंग विज्ञापन द्वारा, पिकैटिंग के माध्यम से जनता के ध्यान को आकृष्ट करने का एक तरीका कर्मचारियों को देने के लिए अभिकल्पित किया जाता है, कि सेवायोजक तथा श्रम के बीच विवाद है ।
पिकैटिंग में कुछ यूनियन के कर्मचारियों को दूसरों को भवनों में दाखिल न होने वरन् हड़ताल में शामिल होने के लिए बहकाने के उद्देश्य हेतु कारखाने के दरवाजे पर खड़ा कर दिया जाता है । इस प्रकार की पिकैटिंग को ‘शान्तिपूर्ण’ कहा जाता है, श्रमिक काम पर जाने से परहेज करते हैं ।
लेकिन जब ऐसा समझाना-बुझाना शारीरिक ताकत या बल प्रयोग अथवा भौतिक तोड़-फोड़, धमकी या हिंसा के द्वारा किया जाता है, तो पिकैटिंग आगे शान्तिपूर्ण नहीं रह सकता है ।
चूंकि पिकैटिंग श्रम के हाथों में कई उपकरणों में से एक है, इसलिए प्रबन्ध को उसमें मदद करने के लिए मनाया जा सके जो कुछ उनसे सही तौर पर सम्बन्धित है, यह दमन, उत्पीड़न, तनाव, धमकी तथा हिंसा से मुक्त होना चाहिये, तथा ऐसे किसी भी तरीके से नहीं किया जाना चाहिये जो सेवायोजक के सम्पत्ति अधिकारों को प्रभावित कर सके । शान्तिपूर्ण पिकैटिंग गैर-कानूनी नहीं होती ।
बॉयकॉट उपक्रम के सामान्य कामकाज को अवरुद्ध करने का उद्देश्य लेकर चलता है । यह सभी सहयोगों से स्वैच्छिक निष्कासन के लिए अपील होती है, तथा इसलिए यह प्रकृति में मनाने, समझाने वाला होता है, लेकिन अपनी व्यवस्था में नकारात्मक होता है ।
दसूरी ओर, पिकैटिंग अपने उपागमन से धनात्मक होता है, क्योंकि इसमें सामान्य परिचालन में तथा व्यवसाय के प्रवाह में दूसरों के द्वारा सहयोग को रोकने के लिए आवश्यक तथा पर्याप्त उपायों को लेने की बात होती है ।
Essay # 8. घिराव (Gherao):
यह किसी कार्यालय, वर्कशॉप, कारखाने या निवास स्थान या जबरदस्ती के कब्जे से/को आने तथा जाने को रोकने की दृष्टि से घिराव बनाकर किसी की भौतिक रुकावट होता है । इसका लक्ष्य एक स्थान या एक व्यक्ति या व्यक्ति वर्ग सामान्यत: एक औद्योगिक संस्थान का प्रबन्धकीय या अधीक्षकीय स्टाफ हो सकता है ।
ब्लॉकेड पूर्ण या आशिक हो सकता है, तथा पक्के तौर पर गलत रोक तथा/या गलत घेराबन्दी द्वारा जुड़ा होता है, तथा यदाकदा हमले, आपराधिक अतिक्रमण, किसी व्यक्ति तथा सम्पत्ति के प्रति शरारत, गैरकानूनी जमावड़ा तथा कई अन्य आपराधिक गतिविधियों की बात होती है ।
कुछ अपराध तो दुष्टतापूर्ण तथा अमानवीय होते हैं, जैसे बिना रोशनी तथा पंखों के एक छोटे से स्थान पर किसी को रोकना तथा लम्बे समय तक बिना खाने के रखना तथा बाहरी दुनिया से उसके सारे सम्पर्क समाप्त रखना । रोक कर रखे गये व्यक्तियों को पीटा जाता है, अपमानित किया जाता है तथा गालियाँ दी जाती हैं ।
यहाँ तक कि उनको लघुशंका करने के लिए भी नहीं जाने दिया जाता तथा अन्य कई प्रकार के उत्पीड़नों का शिकार बनाया जाता है, तथा उनको पूरी तरह से अगुवा करने वालों की मर्जी पर छोड़ दिया जाता है ।
घिराव का उद्देश्य है, उनको विवश करना होता है, जो उद्योग का नियंत्रण करते हैं, कि कानून के द्वारा प्रदत्त मशीनरी का सहारा लिये बिना श्रमिकों की माँगों को मान लें तथा कानून की पूरी तरह अनदेखी कर दें ।
इसका सहारा लिया जाता है, अपने लक्ष्यों को पाने के लिए, न कि विशेष साधनों द्वारा हिंसा द्वारा । ऐसे घिराव अकाट्य तौर पर अपराधों का समावेश करते हैं, तथा इसलिए इनको गैरकानूनी तथा अवैधानिक माना गया है ।
ऐसे सभी कर्मचारी जो गलत तरीके से घिराव के दौरान किसी व्यक्ति को रोके रखते हैं, या अवरुद्ध किये रखते हैं, एक परिचयांकनीय अपराध करने के कारण भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 339/340 के अन्तर्गत अपराधी होते हैं, जिसके लिए उनको बिना वारन्ट के गिरफ्तार किया जा सकता है, तथा एक माह तक की साधारण कैद या 500 रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है ।
गलत तरीकों से रोकना तथा किसी भी विवरण की सजा के लिए एक ऐसी मद जो एक वर्ष तक हो सकती है या 1000 रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है: Wrongful Confinement के लिए जहाँ ऐसा Confinement तीन दिन या अधिक के लिए चले दण्ड होता है, किसी भी विवेचन की सजा जो ऐसी अवधि के लिए हो जो दो वर्ष तक हो सकती है, या जुर्माने से या दोनों से ।
जहाँ Confinement दस दिन या अधिक के लिए हो तो दण्ड होता है, किसी विवेचन की कैद जो एक ऐसी अवधि के लिए हो जो 3 वर्ष तक हो सकती है । साथ ही जुर्माने का दायित्व भी होता है ।
Essay # 9. भूख हड़ताल (Hunger Strike):
एक भूख हड़ताल तो यूनियन के नेताओं द्वारा या कुछ श्रमिकों सभी एक साथ या छोटे-छोटे बैचों में, एक सीमित अवधि के लिए या सभी श्रमिकों द्वारा सामूहिक तौर पर विवाद के किसी चरण पर उद्देश्य रहता है, सेवायोजक की सहानुभूति जुटा पाना तथा आम जनता का ध्यान आकृष्ट करना ।
भूख हडताल का निम्न विशिष्ट उद्देश्यों के लिए सहारा लिया जाता है:
(i) मजदूरी, महँगाई भत्ते, ग्रेच्युटी जैसे मामलों में सेवा की शर्तों में सुधार हेतु अपनी जायज माँगों को लागू करने के लिए जो श्रमिकों द्वारा की जाती है, तथा जो या तो सेवायोजक द्वारा नकार दी जाती हैं, या उनके विचार को एक अनावश्यक लम्बी अवधि के लिए लटका दिया जाता है ।
(ii) कुछ कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही को हटाने के लिए; या
(iii) गिरफ्तार किये गये श्रमिकों को छुड़वाने के लिए ।
किसी वास्तविक या काल्पनिक शिकायत के निदान हेतु भूख हड़ताल एक दुराचरण नहीं है, बशर्ते कि यह अहिंसक स्वभाव की हो तथा शान्तिपूर्वक की जाती है ।
Essay # 10. सहानुभूति पूर्वक हड़ताल (Sympathetic Strike):
यह एक ऐसी हड़ताल है, जिसमें हड़ताली श्रमिकों को अपने सेवायोजक के विरुद्ध अपनी कोई शिकायत या माँग नहीं होती वरन् वे उनके उद्देश्य में दूसरों की प्रत्यक्ष सहायता या समर्थन के उद्देश्य हेतु हड़ताल पर जा सकते है ।
दूसरे शब्दों में, श्रमिकों का हड़तालियों के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में कोई प्रत्यक्ष हित नहीं होता । ऐसी एक हड़ताल सेवायोजकों के अधिकारों का अनुचित अतिक्रमण है, तथा यह सामान्यत: गैर कानूनी होती है ।
हड़ताल को कब उचित ठहराया जाता है? (When are Strikes Justified?):
सभी हड़तालें उचित नहीं होतीं और न ही सभी हड़तालें नाजायज होती हैं । ऐसी कुछ अनिवार्यताएं हैं ।
जिनको पूरा किया जाना चाहिए इससे पहले उसके औचित्य का दावा किया जाए:
(a) इसको केवल आर्थिक माँगों के लिए ही किया जाना चाहिए: जैसे: मूल वेतन, महँगाई भत्ता, वेतन बुद्धि, अवकाश तथा अन्य अनुलाभ जो किसी भी ट्रेड यूनियन के प्राथमिक उद्देश्य होते हैं । लेकिन यदि किसी हड़ताल को राजनीतिक या अन्य कारणों से किया जाता है, न कि किन्हीं ट्रेड यूनियन उद्देश्य के लिए तो यह अनुचित ही कही जायेगी ।
(b) कर्मचारियों की माँगें उचित तथा वास्तविक होनी चाहिए ताकि माँगों के लिए एक अकाट्य औचित्य हो अर्थात् माँगों को बहानेबाजी के कारणों से नहीं किया जाना चाहिए ।
जब माँगे अत्यधिक तथा अनुचित हों या जब एक आन्दोलन शुरू किया जाता है, यद्यपि उन माँगों को पहले ही हल किया जा चुका है, तो उक्त को क्रियान्वित करने के लिए की गई कोई भी हड़ताल उचित नहीं ठहराई जाती है ।
(c) जब विद्यमान सुविधाओं को सारांशत: हटा लिया जाता है, या जब भविष्यनिधि को बन्द कर दिया जाता है, तथा राशन लाभों को हटा लिया जाता है, तो एक हड़ताल उचित ठहराई जाती है ।
(d) यदि प्रबन्ध की ओर से कोई अनुचित श्रम व्यवहार किया जाता है, तो हड़ताल को उचित ठहराया जाता ।
(e) जब एक माँग का सन्दर्भ देने तथा एक रिमाइन्डर जारी करने के बावजूद प्रबन्ध से कोई उत्तर नहीं मिलता तो हडताल को उचित ठहराया जाता है ।
जर्मनी का संघीय न्यायालय (The Federal Court of Germany) ने एक हड़ताल की वैधानिकता जानने के लिए समतुल्य सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया है, जो उल्लेखनीय हैं ।
(i) हड़ताल को तदोपरान्त औद्योगिक शान्ति के प्रति संगत वास्तविक उद्देश्यों को पाने के लिए उपयुक्त होना चाहिए ।
(ii) हड़ताल को आम जनता के हित को ध्यान में रखते हुए सभी आर्थिक सम्भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए ।
(iii) तथ्यों की पृष्ठभूमि में हड़ताल को आवश्यक होना चाहिए तथा एक अन्तिम उपाय के तौर पर काम में लाया जाना चाहिए सभी सम्भावनाओं तथा प्रक्रियाओं के चुक जाने के बाद, जैसे विवाद में पंच निर्णय ।
(iv) हड़ताल एक उचित लड़ाई होनी चाहिए । इसका उद्देश्य विरोधी को नष्ट करने का कदापि नहीं होना चाहिए ।
यूनियन के नियम तथा सामूहिक समझौते सामान्यत: अनुरक्षण तथा अन्य आपातकालीन कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए कर्त्तव्य उत्पन्न करते हैं ।
जिनमें निम्न तत्वों का समावेश होता है:
(a) फर्म के संरक्षण हेतु तथा फर्म से उत्पन्न होने वाले सार्वजनिक खतरे से बचाव हेतु कार्य ।
(b) फर्म के संयंत्र तथा उपकरणों के अनुरक्षण हेतु उपाय ताकि काम को तुरन्त ही शुरू किया जा सके जैसे ही हड़ताल समाप्त हो ।
(c) संवेदनशील कच्चे माल तथा निर्मित उत्पादों का संरक्षण ताकि सुनिश्चित हो सके कि औद्योगिक कार्यवाही के अन्त में काम अवरुद्ध न होने पाये ।
(d) सेवायोजकों तथा तृतीय पक्षकार के प्रति गैर-आनुपातिक भारी हानि को रोकने के लिए ऐसा काम नितान्त आवश्य हो ।