Read this essay in Hindi to learn about the scope of industrial relations.

औद्योगिक सम्बन्ध मानवीय कार्यों तथा मानवीय विचारधारा पर आधारित है, इसी कारण इसका क्षेत्र बहुत अधिक व्यापक है । इसके अन्तर्गत ऐतिहासिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, व्यावसायिक, वैधानिक, मनोवैज्ञानिक तथा तकनीकी सम्बन्धों, आदि का अध्ययन होता है जो एकदूसरे पर आधारित हैं ।

इसके अतिरिक्त औद्योगिक सम्बन्धों के क्षेत्र के अन्तर्गत सबसे अधिक महत्वपूर्ण विभाग, ‘औद्योगिक सम्बन्ध विभाग’ होता है जिसके आधीन संस्था के कर्मचारी काम करते हैं जो प्रबन्ध संचालक का इस विभाग के कार्यभार को संभालने में सहायता करते हैं । इस विभाग में एक सर्वोच्च अधिकारी अध्यक्ष अथवा प्रबंन्ध-संचालक होता है ।

इस अधिकारी की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष अथवा औद्योगिक सम्बन्ध विभाग का निदेशक कार्य करता है । इस विभाग का उपाध्यक्ष या निदेशक, संगठन के समस्त सेविवर्गीय प्रबन्ध की देख-रेख करता हैं तथा उच्च प्रबन्ध को समय-समय पर परामर्श देता है ।

इसके अतिरिक्त, प्रबन्धकीय नियोजन तथा प्रशासकों के विकास के लिए योजनाएँ बनाता है पूरे संगठन का नियन्त्रण करते हुए सेविवर्गीय प्रबन्धकों के प्रशासन में सहयोग प्रदान करता है ।

इस निदेशक या उपाध्यक्ष के नीचे अनेक विभाग कार्य करते हैं जैसे:

(1) संगठनात्मक एवं विकास विभाग (Organizational and Development Department):

इस विभाग का सहायक संगठन के औद्योगिक सम्बन्धों तथा संगठनात्मक प्रचार सामग्री का प्रकाशन, शिक्षा, आधुनिक अनुसंधान एवं आविष्कार, कर्मचारियों के स्वास्थ्य, प्रशिक्षण आदि का प्रकाशन एवं कर्मचारियों के विकास की योजनाएँ बनाता है ।

(2) सेविवर्गीय शोध विभाग (Personnel Research and Development):

यह विभाग कर्मचारियों से सम्बन्धित आँकड़े, नई सेविवर्गीय तकनीक, कर्मचारियों की प्रवृत्ति का निरीक्षण एव सेविवर्गीय प्रबन्ध से सम्बन्धित शोध कार्य करता है ।

(3) सेविवर्गीय सम्बन्धों का विभाग (Employee Relations Department):

इस विभाग का प्रबन्ध औद्योगिक सम्बन्धों के उपाध्यक्ष अथवा निदेशक की अनुपस्थिति में उसकी जगह देख-रेख करता है, इसके अतिरिक्त श्रमिकों की भर्ती श्रमिकों को सहायता, श्रम बाजारों की खोज, आदि का कार्य करता है ।

(4) श्रम सम्बन्ध प्रबन्धक विभाग (Labour Relations Department):

इस विभाग का प्रबन्धक श्रमिकों की शिकायत को दूर करता है, श्रम को सभी नियमों को लागू करने का आश्वासन देता है, श्रम संघों से बातचीत के द्वारा श्रम संघर्षो को कम कराता है तथा समय-समय पर सुपरवाइजर्स को श्रम कानून की व्याख्या करके समझाता है ।

(5) सार्वजनिक सम्बन्धों का विभाग (Public Relations Department):

इस विभाग का प्रबन्धक संगठन और जनता के मध्य समन्वय स्थापित करता है । इसके अतिरिक्त समाचारपत्रों से सम्बन्ध, समाज भिन्न-भिन्न अंगों के साथ सम्बन्ध, स्कूल, कॉलेज विश्वविद्यालय के साथ सम्बन्ध, केन्द्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकार के साथ सम्बन्ध जोड़ने का कार्य करता है ।

उपयुर्क्त विभागों के अतिरिक्त औद्योगिक सम्बन्धों को मजबूत और मधुर बनाने के लिए अनेक सुपरवाइजर्स कार्य करते हैं, जैसे – रोजगार सुपरवाइजर, मजदूरी एवं वेतन श्रमिकों को प्रशिक्षण देने वाला सुपरवाइजर श्रमिको को स्वास्थ्य तथा सुरक्षा प्रदान करने वाला सुपरवाइजर श्रमिकों से सम्बन्धित कल्याण योजनाओं की देख-रेख करने वाला सुपरवाइजर, कर्मचारियों और संगठन के मध्य संचार-व्यवस्था को बनाये रखने वाला सुपरवाइजर और श्रमिकों के मनोरजन की व्यवस्था करना, क्लबों की देखरेख करना और श्रमिको में समूह भावना को जाग्रत करने वाला सुपरवाइजर ।

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