Read this article in Hindi to learn about the various forms of dividend offered by a company. The forms are:- 1. Cash Dividend 2. Stock Dividend or Bonus Shares 3. Bond Dividend 4. Property Dividend 5. Composite Dividend 6. Optional Dividend 7. Interim Dividend 8. Extra Dividend.
Form # 1. नकद लाभांश (Cash Dividend):
यह लाभांश का सबसे अधिक प्रचलित तरीका है । नकद लाभांश अंशधारियों की दृष्टि से भी अधिक सुविधाजनक होता है । ऐसी सब कम्पनियाँ, जिनकी तरल स्थिति (Liquid Position) ठीक होती है, नकद लाभांश ही वितरित करना पसन्द करती है ।
Form # 2. स्कन्ध लाभांश या बोनस-अंश (Stock Dividend or Bonus Shares):
इसे ‘बोनस अंशों’ के रूप में लाभांश भी कहा जाता है तथा यह प्राय: लाभ या कोषों का पूँजीकरण करके दिया जाता है । ऐसा करने से लाभ का समुचित उपयोग व्यवसाय में ही हो सकता है, तथा अंशधारियों को भी एक निश्चित अनुपात में बोनस अंश प्राप्त हो जाते हैं । ऐसी कम्पनियाँ जिनकी नकद-स्थिति उत्तम नहीं हैं, बोनस अंशों के रूप में लाभांश देकर अपने सदस्यों को सन्तुष्ट कर सकती है ।
अनेक ऐसी कम्पनियाँ भी जिनकी आय एवं नकद-स्थिति उत्तम है, नकद-लाभांश की दर कम रखकर कुछ अवधि के बाद बोनस-लाभांश इसलिए देती है, जिससे कि उनके अंशधारियों, जो अधिकांशत: उच्च-आय प्रकोष्ठ (High Tax Bracket) में होते है, की व्यक्तिगत कर-देयता (Personal Tax Liability) में कमी की जा सके ।
Form # 3. बन्धपत्रों के रूप में लाभांश (Bond Dividend):
कम्पनी नकद लाभांश न देकर बन्धपत्र अथवा ऋणपत्रों के रूप में भी लाभांश दे सकती है । ये बन्धपत्र दीर्घकालीन हो सकते हैं । इसका अर्थ यह हुआ कि कम्पनी लाभ का वितरण तत्काल न करके भविष्य में किसी निर्धारित तिथि पर करना चाहती है ।
इस प्रकार का लाभांश तभी दिया जाता है, जब कम्पनी ब्याज सम्बन्धी बढे हुए दायित्वों का भार उठाने में समर्थ हो । कभी-कभी लाभांश के लिए प्रतिज्ञापत्र दे दिये जाते हैं । जिन पर ब्याज दिया जा सकता है । इसे ‘स्क्रिप-लाभांश’ (Scrip Dividend) कहा जाता है ।
Form # 4. सम्पत्ति लाभांश (Property Dividend):
नकद के स्थान पर लाभांश सम्पत्ति के रूप में दिया जा सकता है । अन्य कम्पनियों की तथा सरकार की प्रतिभूतियों को लाभांश के रूप में वितरित किया जा सकता है । इसी प्रकार विभाजन योग्य किसी अन्य सम्पत्ति को भी लाभांश की तरह वितरित किया जा सकता है ।
लाभांश का यह तरीका बहुत ही कम अपनाया जाता है, क्योंकि सदस्यों को यह असुविधाजनक हो सकता है । कुछ पश्चिमी देशों में वस्तुओं के रूप में लाभांश (Dividend in Kind) भी प्रचलित है ।
Form # 5. संयुक्त लाभांश (Composite Dividend):
जब लाभांश आशिक रूप में नकद में तथा शेष सम्पत्ति के रूप में दिया जाना है तो, यह संयुक्त लाभांश कहलाता है ।
Form # 6. वैकल्पिक लाभांश (Optional Dividend):
संयुक्त लाभांश देने के स्थान पर कम्पनी अपने सदस्यों को यह विकल्प दे सकती हैं कि, वे चाहे तो लाभांश नकद में ले अथवा सम्पत्ति के रूप में । इसे वैकल्पिक लाभांश कहते हैं ।
Form # 7. अन्तरिम लाभांश (Interim Dividend):
लाभांश प्राय: कम्पनी के वित्तिय वर्ष के अन्त में ही घोषित किया जाता है । ऐसी दशा में इसे नियमित लाभांश (Regular Dividend) कहते हैं, किन्तु कभी-कभी कम्पनी के संचालक वर्ष की समाप्ति से पूर्व ही कुछ लाभांश घोषित कर देते हैं, जिसे अन्तरिम लाभांश (Interim Dividend) कहते हैं ।
लाभ की उत्तम सम्भावनाओं से प्रेरित होकर अथवा पूँजी-बाजार की कुछ परिस्थितियों को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया जा सकता है ।
Form # 8. अतिरिक्त लाभांश (Extra Dividend):
कम्पनी के प्रबन्धक नियमित लाभांश की दर में अचानक परिवर्तन करना उचित नहीं समझाते । नियमित लाभांश की दर वह दर है, जिसके अनुसार कम्पनी कई वर्षों से लाभांश देती चली आ रही हो । यह कोई निश्चित या स्थायी दर नहीं होती और इसमें थोडा-बहुत परिवर्तन अधिक महत्व नहीं रखता ।
अतिरिक्त लाभांश का प्रश्न केवल तभी उपस्थित होता है, जब कम्पनी किसी वर्ष बहुत अधिक लाभ अर्जित करती है । ऐसी दशा में कम्पनी नियमित लाभांश के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त लाभांश दे सकती है । इससे सदस्यों को यह जानकारी हो जाती है कि अधिक लाभांश केवल अस्थायी है ।
यहाँ यह उल्लेख कर देना अत्यन्त आवश्यक है कि, भारतीय कम्पनियों में केवल नकद लाभांश एवं स्कन्ध लाभांश ही प्रचलित है । नकद के अतिरिक्त सम्पत्ति या बन्धपत्रों के रूप में भारतीय कम्पनियाँ लाभांश नही दे सकती । भारतीय कम्पनी अधिनियम की धारा 205(3) के अनुसार नकद के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार से लाभांश का भुगतान नहीं किया जा सकता ।
लाभों का पूँजीकरण करके बोनस अंशों के रूप में लाभांश देना इस नियम का अपवाद अवश्य है । भारतीय कम्पनियों अन्तरिम-लाभांश (Interim Dividend) एवं अतिरिक्त लाभांश (Extra Dividend) दे सकती है ।