Read this article in Hindi to learn about various functions of leadership in an organisation.
किसी व्यावसायिक-संगठन में नेता के कार्यों के विषय में डाल्टन ई.मैक फरलैण्ड (Dalton E. Mc Farland) ने लिखा है कि औद्योगिक नेता से निम्न कार्यों की अपेक्षा की जाती है:
(i) नीति तथा कार्यविधि निर्धारण करना;
(ii) समूह के लिए लक्ष्यों का निर्धारण करना तथा योजना बनाना;
(iii) अपने अनुसरणकर्ताओं के लिए प्रसाधन (Resource) होना;
(iv) सक्षम कार्यकर्ताओं का एक समूह तैयार करना तथा उसको सदैव बनाए रखना;
(v) अपने अधीनस्थ लोगों का मार्गदर्शन करना;
(vi) कुल निष्पादित कार्य के प्रकाश में लोगों के आचरण का मूल्यांकन करना ।
कूण्ट्ज तथा ओ’ डोनेल (Koontz and O’ Donell) के मतानुसार नेतृत्व का मुख्य कार्य इच्छित परिणाम प्राप्त करने के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करना तथा उसे निरन्तर बनाए रखने से है । विभिन्न विद्वानों में नेतृत्व के बारे में मतभेद हैं ।
चैस्टर आई. बरनार्ड के अनुसार:
(i) संगठन में सन्देशवाहन की व्यवस्था करना (To Make Arrangements for Communication in the Organisation);
(ii) विभिन्न कर्मचारियों से उनकी क्षमता के अनुसार काम करवाना (To Get Work Done from Different Employees According to their Capability);
(iii) संगठन के उद्देश्यों का निर्धारण करना (To Determine the Objective of the Organisation) है ।
अर्विक (Urwick) के अनुसार:
(i) संस्था तथा उसके उद्देश्यों का कर्मचारियों तथा बाहरी व्यक्तियों के समक्ष प्रतिनिधित्व करना (To Represent the Organsation and its Objectives before the Employees and the Outsiders) ।
(ii) प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था में संगठन को स्वस्थ तथा प्रगतिशील बनाये रखने के लिए आवश्यक साधन जुटाना (To Make Available the Essential Resources in Order to Make the Organisation Healthy and Progressive in the Face of Competitive Economy) ।
(iii) संस्था का प्रशासन करना अर्थात् पूर्वानुमान, नियोजन, संगठन, निर्देशन, समन्वय एवं नियन्त्रण की व्यवस्था करना गृह (To Administer the Essential Resources in Order to Make the Organisation, Which Means Anticipating, Planning, Organising, Directing, Co-Ordinating and Controlling) ।
(iv) प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यक सुविधा प्रदान करना (To Provide Essential Facilities to Every Individual) ।
विभिन्न विचारों के अध्ययन के उपरान्त यह कहा जा सकता है कि किसी भी संगठन को कार्यक्षम बनाने के लिए एक नेता कई प्रकार के कार्य करता है ।
इन कार्यों को हम मूल रूप से निम्न भागों में बांट सकते हैं:
(i) कार्यवाही का मार्गदर्शन तथा समारम्भ करना (To Guide and Initiate Action):
सर्वप्रथम एक नेता अपने अधीनस्थों को आदेश व निर्देश देकर संगठन के कार्य का समारम्भ करता है उन्हें अपना-अपना काम पूर्ण कुशलता से कर पाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन तथा अभिप्रेरण प्रदान करता है और अपनी योग्यता पहल तथा सत्यनिष्ठ से उनका सहयोग प्राप्त करता है साथ ही वह संस्था के उद्देश्यों को परिभाषित करता है और उसके अनुसार अपने अधीनस्थों के प्रयासों को दिशा-निर्देश प्रदान करता है ।
(ii) संगठन में अधीनस्थों के सहयोग को उच्च स्तर पर कायम रखना (To Maintain Co-Operation of the Followers at a High Level):
नेता का मुख्य दायित्व अपने अधीनस्थों को इस प्रकार प्रेरित करना है कि वे संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति में अपना अधिकतम योगदान दें लेकिन इसके लिए कई बातें आवश्यक हैं सर्वप्रथम एक नेता को अपने अधीनस्थों की भावनाओं व समस्याओं को सतर्कता से समझना चाहिए और प्रबन्ध-संचालन के कार्य में उनके सुझाव तथा परामर्श का सम्मान करना चाहिए द्वितीय उसे अपने अधीनस्थों की व्यक्तिगत व पारिवारिक आकस्मिक कठिनाइयों में सहानुभूति व सुभेच्छा (Sympathy and Goodwill) का परिचय देना चाहिए, योग्य कर्मचारियों की पदोन्नति व वेतन वृद्धि करनी चाहिए तथा सबके साथ महत्वपूर्ण व्यवहार करना चाहिए ।
अन्त में, संस्था की कुशलता को कायम रखने के लिए उसे सगठन में अनुशासन (Discipline) कायम रखना चाहिए और नियमों व नीतियों का उल्लघन करने वाले सदस्यों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए ।
(iii) अधीनस्थों तथा संस्था के बीच तथा स्वयं अधीनस्थों के बीच मध्यस्थता करना (To Mediate between the Organisation and Subordinates and between Subordinate):
प्रत्येक अधीनस्थ ‘संस्था में’ अपने हितों और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कार्य करता है । इसी प्रकार प्रत्येक संस्था इन अधीनस्थों का सहयोग स्वयं अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए प्राप्त करती है । नेता का कर्तव्य है कि वह अधीनस्थों और संस्था के हितों में एकीकरण पैदा करें तथा उनके बीच विरोधाभास होने पर मध्यस्थता करें जिससे सहयोग के वातावरण को बनाया व कायम रखा जा सके ।
साथ ही स्वयं अधीनस्थों के बीच मतभेद होने पर भी नेता उसे दूर करने का प्रयास करता है जिससे सहयोग की भावना को ठेस न आये । अधीनस्थों और संस्था के हितों में एकीकरण होने से निष्ठ और प्रेरणा की प्रोत्साहन मिलता है ।
(iv) समन्वय एवं निर्देश (To Co-Ordinate and Direct):
वांछित कार्य करने के लिए एक सफल नेता को चाहिए कि वह अपने सह-कार्यकर्ताओं के कार्यकलापों का आदेशों एवं निर्देशों द्वारा समन्वय करें । ये आदेश निश्चित स्पष्ट एवं लचीले होने चाहिए । आदेशों का पालन तभी हो सकता है जबकि वे प्राप्त हो जायें और समझ भी लिए जायें । यदि उचित परिणाम प्राप्त करने है तो प्राप्तकर्ता को यह मालूम होना चाहिए कि उससे क्या आशा की जाती है वह कैसे कार्य करेगा कार्य कब तक समाप्त कर लेगा आदि । ऐसे आदेश नहीं दिए जायें जो पूरे नहीं किए जा सकें ।
(v) उपक्रम का प्रतिनिधित्व करना (To Represent the Enterprise):
एक नेता निश्चित रूप से उपक्रम का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि वह संस्था की नीतियों तथा उद्देश्यों को बाहरी व्यक्तियों तथा कर्मचारियों को सूचित करता है ।
(vi) उपक्रम का प्रशासन करना (To Administer of Organisation):
एक नेता उपक्रम का प्रशासन भी करता है क्योंकि वह आवश्यक आदेशों को सम्बन्धित सहयोगियों तक पहुंचाता है ।
(vii) अनुशासन बनाये रखना (To Maintain Discipline):
नेतृत्व का एक अन्य कार्य अपने समूह में अनुशासन बनाये रखना है क्योंकि अनुशासन के द्वारा ही वह अपने अधीनस्थों को निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित कर सकता है । एक नेता को चाहिए कि वह सबसे एक-सा व्यवहार रखे । जब अधीनस्थ कर्मचारी अच्छा कार्य कर रहे हों उनकी प्रशंसा करें और जब वे त्रुटियाँ करें तो उन्हें दंड दे, तभी अनुशासन रह सकता है ।
(viii) प्रभावी सम्प्रेषण (Effective Communication):
संगठन की गतिविधियों में समन्वय रखने एवं कर्मचारियों से मधुर सम्बन्ध बनाए रखने के लिए प्रभावी सम्प्रेषण की व्यवस्था का होना नितान्त आवश्यक है । क्योंकि आदेशों का पालन तभी किया जा सकता है जब वे प्राप्त हो जायें एवं समझ लिए जायें । एक प्रभावी सम्प्रेषण व्यवस्था वह होती है जिसके अन्तर्गत अधीनस्थों एवं उसके मध्य निरन्तर विचारों का आदान-प्रदान होता रहे ।