Read this article in Hindi to learn about the nature of motivation of employees in an organisation.

अभिप्रेरणा की प्रकृति को उसकी निम्नलिखित विशेषताओं के सन्दर्भ में समझा जा सकता है:

(1) एक प्रक्रिया (A Process):

अभिप्रेरणा एक प्रक्रिया है जो कर्मचारियों को प्रेरित करती है, प्रोत्साहित करती है तथा वांछित दिशाओं की ओर ले जाती है । जूसियस एवं श्लेन्डर लिखते है कि- “अभिप्रेरणा प्रोत्साहन (Stimulate) देने तथा प्रत्युत्तर (Response) प्राप्त करने की प्रक्रिया है ।” ओवन ने लिखा है कि- “अभिप्रेरणा वह व्यवस्थित तरीका है जो इस बात को स्पष्ट करता है कि कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों के प्रवाह की एक विशेष दिशा ही क्यों चुनता अन्य दिशा क्यों नहीं ?”

(2) विविध पहलू (Different Aspects):

अभिप्रेरणा की विचारधारा काफी व्यापक है । उसके कई पहलू हैं पी.वी. यंग ने लिखा है कि उसके दो महत्वपूर्ण पहलू हैं:

(a) सक्रिय बनाने वाला (Energetic) पहलू तथा

(b) नियमन एवं पहलू (Regulation and Direction) पहलू । सक्रिय बनाने वाला पहलू के अन्तर्गत कर्मचारियों की चेष्टाओं को जाग्रत तथा उत्तेजित किया जाता है । नियमन एवं निर्देशन पहलू के अन्तर्गत कर्मचारियों के व्यवहार को नियमित किया जाता है तथा उनको वांछित दिशा प्रदान की जाती है ।

(3) सहयोग प्राप्ति का कार्य (Co-Operative Function):

अभिप्रेरणा प्रबन्ध का वह कार्य है जिसके द्वारा वे मानव-शक्ति को प्रेरित करके उसका अधिकाधिक सहयोग प्राप्त करते हैं ।

(4) एक विधि (A Technique):

अभिप्रेरणा एक विधि है जिसमें प्रेरणाओं, उद्द्येगों, इच्छाओं, आकाक्षाओं, प्रयत्नों और आवश्यकताओं को शामिल किया जाता है । यह विधि मानवीय आचरण का अध्ययन, निर्देशन एवं नियन्त्रण करती है ।

(5) मनोबल एवं उत्पादकता से भिन्न (Different from Morale and Productivity):

अभिप्रेरणा मनोबल एवं उत्पादकता से भिन्न है । मनोबल (Morale) कार्य की इच्छा होती है कार्य करने की इच्छा एवं कार्य करने की क्षमता अर्थात् उत्पादकता के बीच के अन्तर को अभिप्रेरणा द्वारा दूर किया जाता है । इसलिए अभिप्रेरणा को मनोबल एवं उत्पादकता में सम्बन्ध स्थापित करने की प्रक्रिया कहा गया है ।

(6) मानव शक्ति से सम्बद्ध कार्य (Work Related to Human Force):

अभिप्रेरणा प्रबन्ध का वह कार्य है जो मानव-शक्ति में व्यवहार करता है, उनकी कठिनाइयों तथा कार्य-प्रेरणाओं का अध्ययन करता है तथा उन्हें सन्तुष्ट, उत्साही तथा सहयोगी बनाए रखता है ।

(7) निरन्तर, गतिशील तथा चक्रीय प्रक्रिया (Continuous, Dynamic and Circular Process):

अभिप्रेरणा का कार्य कभी समाप्त नहीं होता है । यह कार्य निरन्तर चलता रहता है । यदि हमने कर्मचारियों से कुशलतापूर्वक कार्य लेमा है तो उन्हें, निरन्तर अभिप्रेरित करते रहना होगा । मनुष्य की आवश्यकताएँ बदलती रहती हैं । अभिप्रेरणा की विधियाँ तथा नवीन प्रेरणाएँ तलाश की जाती हैं । इसलिए, अभिप्रेरणा को गतिशील एवं चक्रीय माना गया है । “अभिप्रेरणा स्थायी, कभी समाप्त न होने वाला, उतार-चढ़ाव वाला तथा जटिल कार्य है ।”

(8) विविध स्त्रोत (Different Sources):

अभिप्रेरणा का कार्य कई प्रकार से किया जा सकता है । इसके अनेक स्त्रोत हैं और उनमें मनोबल, पदोन्नति, भावी विकास, कार्य-सन्तुष्टि, कुशल नेतृत्व, अच्छा व्यवहार आदि को शामिल किया जाता है ।

(9) मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया (A Psychological Process):

अभिप्रेरणा मूलत: मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है । मैक्फारलैंड (Macfarland) के शब्दों में- ”अभिप्रेरणा का विचार मुख्यतया मनोवैज्ञानिक है । यह एक विशिष्ट कर्मचारी अथवा अधीनस्थ के अन्तर्गत काम करने वाली ऐसी शक्तियों से सम्बन्ध रखती है जो उसे किसी एक प्रकार के कार्य करने या न करने के लिए प्रेरित करती है ।” अभिप्रेरणा मनुष्य की भीतर पैदा होने वाली भावना है ।

(10) उद्दीपन कार्य (A Stimulant Job):

हेबस (Hebbs) ने अभिप्रेरणा को उद्दीपन कार्य कहा है ।

उनका विचार है कि मस्तिष्क सम्बन्धी घटनाओं के दो पहलू हैं:

(a) संकेत तथा

(b) उद्दीपन ।

अभिप्रेरणा उद्दीपन पहलू है । बिना उद्दीपन के संकेत पहलू विद्यमान नहीं रह सकता । उद्दीपन पहलू के अन्तर्गत अभिप्रेरणा विभिन्न प्रेरकों (Motivators) को निर्धारित करने तथा प्रयोग करने का कार्य आता है ।

(11) अभिप्रेरणा को दिशा बोध लक्ष्यों से होता है (Motivation Get Direction from Goals):

आवश्यकताएँ तथा लक्ष्य अभिप्रेरणा प्रक्रिया के दो महत्वपूर्ण तत्व है आवश्यकताओं तथा लक्ष्यों तो ध्यान में रखकर ही अभिप्रेरणा किया जाता है ।

(12) आर्थिक तथा अनार्थिक अभिप्रेरणा (Economic and Non-Economic Motivation):

इन्हें वित्तीय एवं अवित्तीय अभिप्रेरणाएँ भी कहते हैं । वित्तीय प्रेरणाओं के अन्तर्गत वे सभी साधन आते हैं जिनका मुद्रा से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है । जैसे- मजदूरी या वेतन, बोनस लाभों में हिस्सा छुट्टियों का वेतन, पेन्हान आदि अवित्तीय प्रेरणाओं में पद नौकरी सुरक्षा, मान्यता, अधिकारों का भासर्पण । अच्छे मानवीय सम्बन्ध, सहभागिता आदि शामिल किए जाते हैं ।

(13) प्रत्येक मनुष्य की अभिप्रेरणा प्रक्रिया भिन्न होती है (Motivational Process Differ from Man to Man):

जो आवश्यकता एक व्यक्ति को अभिप्रेरित करती है, जरूरी नहीं है कि वह दूसरे व्यक्ति को भी अभिप्रेरित करे । इसी प्रकार, जो आवश्यकता एक व्यक्ति को एक समय अभिप्रेरित करती है, हो सकता है उसी व्यक्ति को दूसरे समय से वह आवश्यकता अभिप्रेरित न करे ।

(14) यह आवश्यकताओं की सन्तुष्टि है (It is a Satisfaction to Needs):

मनुष्य की आवश्यकताएँ कभी पूरी नहीं होती । एक आवश्यकता पूरी हो जाने पर दूसरी आवश्यकता पैदा हो जाती है प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति अथवा सन्तुष्टि के लिए मनुष्य कार्य करता रहता है इसलिए कहा जाता है कि असन्तुष्ट आवश्यकताएँ ही प्रेरणाएं कहलाती हैं और इन आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करने के लिए एक प्रबन्ध अभिप्रेरणा को काम में लेता है ।

(15) अभिप्रेरणा मनुष्य के व्यवहार को प्रभावित करती है (Motivation Effects Human Behaviour):

मनुष्य के प्रत्येक कार्य के पीछे कोई न कोई प्रेरणा अवश्य होती है और यह प्रेरणा मनुष्य के व्यक्तित्व उसकी आवश्यकताओं उसके वातावरण तथा उसकी मनोदशा पर निर्भर करती है ।

(16) यह कार्य करने की इच्छा है (It is a Will to Work):

अभिप्रेरणा को कार्य करने की इच्छा इसलिए कहा जाता है क्योंकि किसी व्यक्ति में अभिप्रेरणा के -द्वारा ही कार्य करने की इच्छा जाग्रत की जाती है यदि कोई प्रेरणा किसी व्यक्ति में काम करने की इच्छा पैदा नहीं करती तो उसे अभिप्रेरणा नहीं कहा जा सकता है ।

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