Read this article in Hindi to learn about the three criteria for the promotion of employees. The criteria’s are: 1. Promotion Based on Seniority 2. Promotion Based on Merit 3. Promotion on the Basis of Seniority-Cum-Merit.
Criteria # 1. वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति (Promotion Based on Seniority):
वरिष्ठता से अभिप्राय कर्मचारी की संगठन में सेवा की सापेक्षिक अवधि (Relative Length of Service) से है । यह पदोन्नति की एक सरल पद्धति है । यह पद्धति मानती है कि कर्मचारी अनुभव से ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर सकते हैं ।
कर्मचारियों की वरिष्ठता को सही एवं उचित (Accurate and Objective) तरीके से मापा जा सकता है । यदि संगठन इस पद्धति को लागू करते हैं तो वहाँ पर कर्मचारियों की वरीयता सूची एक पूर्व निर्धारित नीति के आधार पर तैयार की जाती है ।
इसमें प्रत्येक कर्मचारी को वरिष्ठता सूची में अपने स्थान का पता होता है । इस पद्धति के अन्तर्गत संगठन में एक उच्च स्तर के पद के रिक्त होने पर सबसे वरिष्ठ कर्मचारी की पदोन्नति करके उसे भरा जायेगा ।
इस पद्धति से संगठन में वरिष्ठ एवं बुजुर्ग कर्मचारियों के प्रति सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है । इस पद्धति में पदोन्नति में पक्षपात की सम्भावना पूर्णतया नियंत्रित रहती है । इससे कर्मचारियों में अपनापन एवं वफादारी की भावना को बढ़ावा मिलता है ।
इस पद्धति में कर्मचारियों में पदोन्नति को लेकर सुरक्षा एवं निश्चिता रहती है । वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की पद्धति का अवगुण यह है कि यह युवा एवं योग्य कर्मचारियों को निराश करती है जो कि अपनी कार्यकुशलता के आधार पर अच्छा प्रदर्शन करके संगठन में तरक्की करना चाहते हैं । यह एक सफल पद्धति है क्योंकि इस कर्मचारियों एवं उनके संगठनों का विश्वास प्राप्त है ।
गुण (Merits):
वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं:
(i) सरल एवं सुगम (Simple and Easy):
इस पद्धति को समझना बहुत ही सरल है । इसमें संस्था में काम करने वाले कर्मचारियों की उनकी सेवा अवधि के आधार पर वरिष्ठता सूची तैयार की जायेगी । प्रत्येक कर्मचारी को वरिष्ठता सूची में अपना स्थान मालूम रहता है ।
(ii) सत्यापन (Verifiable):
प्रत्येक कर्मचारी की वरिष्ठता को उनकी सापेक्षिक सेवा अवधि के आधार पर मापा जा सकता है एवं उसे सत्यापित भी किया जा सकता है ।
(iii) पक्षपात रहित (Impartial):
कर्मचारियों को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति किया जायेगा । इसमें प्रबन्धकों द्वारा पदोन्नति में पक्षपात नहीं किया जा सकता । अत: इसमें पक्षपात की संभावना नहीं रहती ।
(iv) लोकप्रिय (Popular):
यह पद्धति प्रचलित एवं लोकप्रिय है क्योंकि इसमें वरिष्ठ कर्मचारियों को सम्मान मिलता है । यह अनुभव के आधार पर सीखने को मान्यता देती है । इसीलिए सभी प्रकार के संगठन अनुभवी कर्मचारी को प्राथमिकता देते हैं ।
(v) सुरक्षा (Security):
इस पद्धति में प्रत्येक कर्मचारी को पदोन्नति मिलने के प्रति सुरक्षा एवं निश्चितता की भावना रहती है ।
(vi) श्रम परिवर्तन दर में कमी (Reduces Labour Turnover):
वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति से संगठन में श्रम परिवर्तन दर कम करने में सहायता मिलती है । यदि कोई कर्मचारी नौकरी को छोड़ कर जाता है तो उसे संगठन में वरिष्ठता का नुकसान होता है । अत: यदि संगठन में वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की जाती है तो कर्मचारी आसानी से नौकरी छोड़ कर नहीं जाएंगे ।
(vii) कर्मचारियों एवं श्रम संघों का विश्वास (Confidence of Employees and Trade Unions):
यह पद्धति कामयाब है क्योंकि इसे कर्मचारियों एवं श्रम संघों का विश्वास प्राप्त है ।
अवगुण (Demerits):
वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति में निम्नलिखित अवगुण/कमियाँ हैं:
(i) कार्यकुशल एवं महत्वाकांक्षी कर्मचारियों को निराशा (Frustrates Capable and Ambitious Employees):
वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति युवा एवं कार्यकुशल कर्मचारियों को निराश करती है । यह पद्धति युवा कर्मचारी जो कि अधिक कार्यकुशल हैं, उन्हें पदोन्नति में प्राथमिकता नहीं देती है ।
(ii) मैरिट एवं कार्यकुशलता को मान्यता नहीं (Merit and Performance Recognised):
इस पद्धति में कर्मचारियों को केवल वरीयता/सापेक्षिक सेवा अवधि के आधार पर ही पदोन्नत किया जाता है । अत: इसमें सभी व्यक्तियों को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति मिल जाएगी चाहे उनके ज्ञान एवं कौशल कुछ भी हों ।
(iii) श्रम परिवर्तन दर में वृद्धि (Increase in Labour Turnover Rate):
ऐसे कर्मचारी जो कार्यकुशल एवं महत्त्वकांक्षी हैं, संगठन को छोड़ कर चले
जाएंगे । परिणामस्वरूप, इससे श्रम परिवर्तन दर बढ़ जाएगी ।
(iv) संगठन को नुकसान (Loss to the Organisation):
कर्मचारियों को उच्च पदों पर उनकी कार्यकुशलता एवं मैरिट को ध्यान में रखे बिना ही वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत कर दिया जाता है । इससे संगठन की उत्पादकता एवं लाभ-क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
(v) नये कर्मचारियों को आकर्षित करने में कठिनाई (Difficult to Attract New Employees):
इस पद्धति के परिणामस्वरूप संगठन के द्वारा बाहर से कार्यकुशल, योग्य एवं अनुभवी कर्मचारियों को आकर्षित करने में कठिनाई आएगी । उन्हें संस्था में उचित स्थान एवं पद नहीं दिया जा सकता है ।
Criteria # 2. योग्यता के आधार पर पदोन्नति (Promotion Based on Merit):
वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति के अवगुणों एवं सीमाओं के कारण योग्यता के आधार पर पदोन्नति की पद्धति का विकास हुआ । वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति में कार्यकुशलता को ध्यान में नहीं रखा जाता ।
संगठन की नीति के परिणामस्वरूप इसमें प्रत्येक कर्मचारी का उच्च पद पर पदोन्नति पाने का हक बनता है चाहे उस कर्मचारी ने स्वयं के विकास के लिए प्रयास किए हो अथवा नहीं ।
वरिष्ठता पदोन्नति पद्धति युवा योग्य कुशल एवं महत्वाकांक्षी कर्मचारी को निराश करती है इससे संगठन का नुकसान होता है । योग्यता के आधार पर पदोन्नति (Promotion Based on Merit) को नियोक्ताओं का सहयोग एवं विश्वास प्राप्त है ।
मैरिट/योग्यता से अभिप्राय कर्मचारी की कुशलता ज्ञान और निपुणता से है । अधिकतर संगठनों में पदोन्नति को कर्मचारियों की कार्यकुशलता से जोड़ दिया गया है । इसमें कुशल कर्मचारियों को कैरियर में आगे बढ़ने को प्रोत्साहन मिलता है ।
मैरिट एक कर्मचारी की योग्यता एवं आगे बढ़ने की क्षमता है । कार्यकुशलता को कर्मचारी के द्वारा पहले किए गए कार्य से मापा जा सकता है । इसके अतिरिक्त इसे कर्मचारी के नेतृत्व गुण-पहल-क्षमता, सजगता एवं स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता से देखा जा सकता है ।
इस पदोन्नति की पद्धति का यह लाभ है कि यह योग्य एवं महत्वाकांक्षी कर्मचारियों के पक्ष में है इससे संगठन की कार्यकुशलता भी बढ़ती है । इस पद्धति की कमी यह है कि मैरिट/योग्यता के मूल्यांकन का निर्धारण वैयक्तिक (Subjective) ढंग से होता है । इसमें प्रत्येक पदोन्नति के समय, प्रबन्ध की साख दाव पर होती है ।
गुण (Merits):
मैरिट पर आधारित पदोन्नति के गुण निम्नलिखित है:
(i) कार्यकुशलता को बढ़ावा (Promotes Efficiency):
योग्यता के आधार पर पदोन्नति से संगठन में कार्यकुशलता बढ़ती है । इस पद्धति में कर्मचारियों को जानकारी होती है कि उन्हें पदोन्नति तभी मिलेगी यदि वे इसके योग्य होंगे ।
(ii) विकास (Development):
योग्यता अर्थात् पदोन्नति से संगठन एवं कर्मचारियों का विकास होता है । आज के प्रतिस्पर्धा एवं वैश्वीकरण के (Globalisation) वातावरण में संगठन केवल अपनी बौद्धिक पूँजी (Intellectual Capital) एवं क्षमता के बल पर ही कामयाब हो सकते हैं । यह योग्य कर्मचारियों को सम्पूर्ण विकास के लिए आधुनिक ज्ञान एवं कौशल प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है ।
(iii) योग्य व्यक्तियों को आकर्षित करना (Attracts Capable Persons):
यह बाह्य स्रोतों से युवा एवं कार्यकुशल व्यक्तियों को संगठन में रिक्त पदों पर आवेदन देने के लिए अभिप्रेरित (Motivate) करती है ।
(iv) संगठन को लाभ (Benefits to Organisations):
इस पद्धति से संस्था को लाभ होता है । इसके परिणामस्वरूप, संगठन के अधिकतर उच्च पदों पर योग्य एवं कुशल व्यक्तियों द्वारा ही हासिल किए जाएंगे । वे संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अधिकतम प्रयास करेंगे ।
अवगुण (Demerits):
योग्यता आधारित पदोन्नति के निम्नलिखित अवगुण अथवा कमियाँ हैं:
(i) वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन (Subjective Assessment):
योग्यता, रुचि, नेतृत्व, क्षमता, सजगता एवं पहल क्षमता का मूल्यांकन करना कठिन कार्य है । ये तत्त्व वस्तुनिष्ठ (Objective) तरीके से नहीं मापे जा सकते ।
(ii) वरिष्ठ कर्मचारियों में असन्तोष (Discontentment Among Senior Employees):
योग्यता आधारित पदोन्नति से उन वरिष्ठ कर्मचारियों को निराशा होती है जिन्हें पदोन्नति नहीं दी जाती उनके अतिरिक्त, उनके निम्न स्तर के व्यक्ति पदोन्नति प्राप्त कर उनके बॉस बन जाते हैं । परिणामस्वरूप, वरिष्ठ कर्मचारियों में असन्तोष फैल जाता है ।
(iii) श्रम-संघों द्वारा विरोध (Opposition by Trade Unions):
इस पद्धति को श्रम-संघों का समर्थन नहीं मिलता । श्रम संघों के नेता योग्यता के मूल्यांकन की पद्धति पर शंका करते हैं ।
(iv) एकतरफा एवं पक्षपातपूर्ण (Biasedness and Favoritism):
योग्यता आधारित पदोन्नति में संस्था में एकतरफा निर्णय एवं पक्षपात की संभावना को बढ़ावा मिलता है । यदि संस्था में योग्य कर्मचारियों को छोड़कर अयोग्य कर्मचारियों को पदोन्नत कर दिया जाता होतो इससे नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
(v) श्रम परिवर्तन दर में वृद्धि (Increase in Labour Turnover Rate):
इस पद्धति के कारण कर्मचारियों में रोष उत्पन्न हो सकता है । कई बार वरिष्ठ कर्मचारी इसी शेष के कारण जॉब छोड़कर, अन्य किसी बेहतर संस्था में नौकरी पर चले जाते हैं इससे श्रम परिवर्तन दर में वृद्धि होती है ।
Criteria # 3. वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर पदोन्नति (Promotion on the Basis of Seniority-Cum-Merit):
प्रबन्धक योग्यता के आधार पर पदोन्नति का समर्थन करते हैं क्योंकि इससे संस्था की प्रभावपूर्णता में वृद्धि होती है । इसके विपरीत, श्रम संघ वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति का समर्थन करते हैं । आजकल, प्रबन्धक केवल योग्यता या वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति नहीं करते ।
यदि संस्था केवल योग्यता के आधार पर पदोन्नति करेगी तो इससे ज्यादातर/अधिकतर कर्मचारियों में असन्तुष्टि, अनुपस्थिति दर, श्रम-बदली दर शिकायतें एवं औद्योगिक विवादों में वृद्धि होगी । कई संस्थाओं में सभी लाभ सेवा की अवधि के आधार पर दिए जाते हैं ।
यद्यपि वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति के पक्ष में कई तर्क भी दिए जा सकते हैं परन्तु केवल वरिष्ठता अथवा योग्यता के आधार पर पदोन्नति की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, इनमें से केवल एक पद्धति को, पदोन्नति का आधार नहीं बनाया जा सकता ।
अत: प्रबन्ध एवं श्रमिक संघों दोनों की सन्तुष्टि को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति वरिष्ठता एवं योग्यता (Seniority-Cum-Merit) दोनों के आधार पर की जानी चाहिए ।
वरिष्ठता एवं योग्यता आधारित पदोन्नति निम्नलिखित आधार पर की जा सकती है:
(i) न्यूनतम सेवा अवधि और योग्यता (Minimum Length of Service and Merit):
यह पद्धति व्यावसायिक/वाणिज्य बैंकों द्वारा लागू की जाती है । इस पद्धति के अन्तर्गत, ऐसे कर्मचारी जो कि संस्था में कार्य के कुछ न्यूनतम वर्ष पूर्ण कर चुके हैं उन्हें पदोन्नति के लिए योग्य माना जाता है । इन कर्मचारियों में से, योग्यता के आधार पर सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी का उच्च पद के लिए चयन कर लिया जाता है ।
(ii) योग्यता और वरिष्ठता को भारांक (Weightage to Seniority and Merit):
इस विधि में, वरिष्ठता एवं योग्यता दोनों के भारांक निर्धारित कर दिये जाते हैं । कुछ प्रतिशत अंक वरिष्ठता के लिए एवं कुछ प्रतिशत अंक योग्यता के लिए निर्धारित कर लिए जाते हैं । कर्मचारियों की सूची उनके कुल प्राप्तांक/स्कोर के आधार पर तैयार कर ली जाती है । इसकी सूची में से सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी को पदोन्नति दी जाती है ।
(iii) न्यूनतम योग्यता एवं वरिष्ठता (Minimum Merit and Seniority):
इस विधि के अन्तर्गत न्यूनतम योग्यता एवं वरिष्ठता का मिश्रित प्रयोग किया जायेगा । इसमें एक पूर्व-निर्धारित न्यूनतम अंकों (Pre-Determined Minimum Score) वाले प्रार्थी (Candidate) को योग्य उम्मीदवार माना जाता है । योग्य प्रार्थियों में से, कर्मचारियों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत कर दिया जाता है । यदि दो प्रार्थियों की एक समान योग्यता है तो उनमें से वरिष्ठ प्रार्थी को पहले पदोन्नति मिलेगी ।