Read this article in Hindi to learn about the Herzberg theory of motivation.
हर्जबर्ग (Herzberg) ने अभिप्रेरण की एक नवीन विचारधारा का विकास किया । इस विचारधारा को स्वास्थ्य या आरोग्य विचारधारा के नाम से जाना जाता है । हर्जबर्ग और उनके साथियों ने ”साइकोलोजिकल सर्विस, पिट्सबर्ग” (Psychlogical Service, Pittsburg) में अनेक अध्ययनों के आधार पर इस विचार धारा का विकास किया ।
हर्जबर्ग ने स्पष्ट किया कि मनुष्य की आवश्यकताओं को दो समूहों में विभक्त किया जा सकता है जो परस्पर एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं और मानवीय व्यवहार को अलग-अलग ढंग से प्रभावित करती हैं ।
अनुरक्षक, आरोग्यवर्द्धक अथवा असंतोषजनक तत्व (Maintenance, Hygiene or Dissatifiers) तथा अभिप्रेरक अथवा संतोषक तत्व (Motivators or Satisfiers) अनुरक्षक या आरोग्य तत्वों का अभिप्राय उन तत्वों से है जिनकी विद्यमानता कर्मचारियों को अधिक उत्साह से कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं करती लेकिन जिनकी अनुपस्थिति उनमें एक भयंकर एवं विस्फोटक असन्तोष को जन्म देती है ।
ये तत्व प्राय: कार्य के वातावरण (Job Condition) से सम्बन्ध रखते हैं और उनमें निम्नलिखित 10 तत्व शामिल हैं:
1. कम्पनी नीति तथा प्रशासन,
2. तकनीकी निरीक्षण,
3.अधीनस्थ के साथ पारस्परिक व्यक्तिगत सम्बन्ध,
4. सहकर्मियों के साथ पारस्परिक सम्बन्ध,
5. निरीक्षक के साथ पारस्परिक व्यक्तिगत सम्बन्ध,
6. वेतन,
7. कार्य सुरक्षा,
8. व्यक्तिगत जीवन,
9. कार्य करने की दशाएँ तथा
10. पदस्थिति ।
हर्जबर्ग ने सन्तुष्टि प्रदान करने वाले घटकों को ”अभिप्रेरक घटक या तत्व” (Motivators) के नाम से सम्बन्धित किया है । ये सभी तत्व मनुष्य को अधिक कुशलता के साथ कार्य करने के लिए अभिप्रेरित करते हैं ।
इन सभी घटकों को हर्जबर्ग एवं उनके सहयोगियों ने कार्य के आन्तरिक घटक माना है । ये तत्व प्राय: कार्य (Job Content) से सम्बन्धित होते हैं । अत: इन्हें कार्य तत्व भी कहा जाता है ।
इनमें 6 तत्व शामिल हैं:
1. उपलब्धि या कार्य सफलता (Achievement),
2. मान्यता (Recognition),
3. उन्नति (Advancement),
4. स्वयं कार्य (Job Itself),
5. प्रगति के अवसर (Opportunities for Growth),
6. उत्तरदायित्व (Responsibility) ।
हर्जबर्ग के सिद्धान्त की भी अनेक विद्वानों ने आलोचना की है । कुछ विद्वान इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि हर्जबर्ग द्वारा चर्चित आरोग्यवर्द्धक या अनुरक्षण तत्व केवल असन्तुष्टिजनक (Dissatisfiers) होते हैं, सन्तुष्टिजनक (Satisfiers) नहीं ।
हर्जबर्ग तथा उसके साथियों के द्वारा की गई शोध विधि समिति (Method Bound) है अर्थात उन्हीं परिस्थितियों में अनुकूल परिणाम देती है जब उसे उसी विधि से आयोजित किया जाए जिस विधि से हर्जबर्ग ने आयोजित की थी ।
व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो आज भी प्रत्येक व्यावसायिक संगठन में अभिप्रेरण को बढ़ाने के लिए अनुरक्षण या आरोग्यवर्द्धक तत्वों पर अधिक ध्यान दिया जाता है ।
वस्तुत: हर्जबर्ग का सिद्धान्त द्विघटकीय अभिकल्पना आधारित है अर्थात् कार्य संतुष्टि की ओर ले जाने वाले घटक (Factors Leading to Job Satisfactions) तथा कार्य असंतुष्टि की ओर ले जाने वाले घटक (Factors Leading to Job-Dissatisfaction) ।
इन घटकों के आधार पर वे इस परिणाम पर पहुँचे कि लोग अभिप्रेरित अनुभव करते हैं यदि कार्य चुनौती पूर्ण हो तथा मनोरंजक हो, उसमें विकास की सम्भावनाएँ हों तथा अपने विवेक को काम लेने का अधिकार हो तथा पेशे में आगे बढ़ने की योग्यता हो तथा किये गये काम के लिए उचित मान्यता प्राप्त होती हो ।
(1) सिद्धान्त दो पूर्णत: विपरीत घटकों पर आधारित है (Theory is Based on Two Exactly Opposite Factors):
हर्जबर्ग मॉडल अभिप्रेरणा के द्विघटकीय सिद्धान्त पर आधारित है अर्थात् कार्य असंतुष्टि की ओर ले जाने वाले घटक तथा कार्य संतुष्टि की ओर ले जाने वाले घटक ।
यह दो अलग-अलग घटकों के रूप में Job Satisfiers तथा Dissatisfiers का सुझाव देता है । इसका इस आधार पर दूसरों द्वारा विरोध किया गया कि कर्म-संतुष्टि तथा कार्य-असंतुष्टि दो विपरीत घटक तथा शक्तियाँ हैं ।
(2) यह एक प्रभावी उपगमन है (It is an Effective Approach):
हर्जबर्ग विधि का उपयोग करके अनुकूल परिणाम पाना कहीं अधिक सरल होता है जबकि अन्य विधियाँ वैसे ही अच्छे परिणाम उत्पन्न करने में असफल रहती हैं । यदि असंतुष्ट कारकों को दूर किया जाये तो इस सिद्धान्त की विधियाँ स्वस्थ परिणाम प्रदान कर पायेंगी । यह अभिप्रेरणा में कार्य समृद्धिकरण (Job Enrichment) का मूल्य प्रदर्शित करता है ।
(3) यह सिद्धान्त वेतन, दर्जे तथा सम्बन्धों की अवमानना करता है (This Theory Ignores the Pay, Status and Relations):
यह मॉडल सभी अभिप्रेरणात्मक गुणों पर पर्याप्त जोर नहीं देता जैसे वेतन, स्तर तथा अन्त: वैयक्तिक सम्बन्ध जबकि ये कर्मचारी के लिए महत्वपूर्ण भी होते हैं । मॉडल उनकी अनुरक्षण क्षमताओं का प्राथमिकत: क्रैडिट देता है ।
(4) इस सिद्धान्त में अस्पष्टता है:
मॉडल में प्रयुक्त शब्दावली भ्रामक है । अभिप्रेरक तथा अनुरक्षण घटकों के बीच अन्तर काफी कमजोर है । अनुरक्षण घटकों में बताई गई मदें अभिप्रेरक घटकों का काम कर सकती हैं तथा अभिप्रेरक घटको की मदें अनुरक्षण मदों का । इनके बीच कोई सटीक अन्तर नहीं रखा गया है ।
(5) सिद्धान्त सीमित सैम्पुल पर आधारित है:
यह सिद्धान्त मात्र 200 लेखाकारों तथा इंजीनियरों के छोटे से सैम्पुल पर आधारित है जिसको एक प्रतिनिधि सैम्पुल नहीं माना जा सकता है । इसका सार्वभौमिक उपयोग भी नहीं है । शोध तंत्र व्यवस्था भी दोषपूर्ण है तथा ऐसी सूचनाएं सदा ही व्यक्तिगत तथा पक्षपात भरी होती हैं ।