Read this article in Hindi to learn about:- 1. Human Resources Development Department 2. The Organisation of Human Resource Department 3. Functions.

मानव संसाधन विकास विभाग (Human Resources Development Department):

अमेरिका के Prof. Len Nadler द्वारा प्रबन्ध में American Society for Training and Development Conference में 1969 में HRD की विचारधारा का औपचारिक तौर पर सूत्रपात किया गया । भारत में Larsen and Toubro Ltd. ने 1975 में कर्मचारियों के विकास को सुचारु बनाने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र की कम्पनियों में इस विचारधारा को लागू किया ।

सार्वजानिक क्षेत्र की सरकारी कम्पनियों में Bharat Heavy Electricals Ltd. (BHEL) ने सर्वप्रथम HRD को प्रारम्भ किया था । मानव संसाधन प्रबन्ध के कार्यों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है । यह एक दर्शन है जो सम्पूर्ण संगठन में प्रबन्धकों के मूल्यों (Values), विश्वासों (Beliefs) तथा गतिविधियों (Activities) में झलकता है ।

मानव संसाधन विकास (HRD) को सम्पूर्ण समाज के लिए एक संसाधन के रूप में अधिकतम मानवीय सम्भावनाओं की अभिप्राप्ति हेतु उनकी मदद करने के लिए एक संगठन में व्यक्तियों के विवेक, नैतिक, मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विकास के भंवर्द्धन हेतु की जाने वाली गतिविधियों तथा प्रक्रियाओं का समावेश करने के लिए परिभाषित किया जा सकता है ।

अपनी परिभाषा देते हुए Daftur ने इसको एक ऐसे तंत्र तथा प्रक्रिया (System and Process) के रूप में देखा है जो निर्दिष्ट समय सीमा में लर्निग गतिविधियों को एक व्यवस्थित श्रृंखला से सम्बन्ध रखती है, जिसको सीखने वाले में एक ऐसे तरीके से व्यवहारवादी परिवर्तनों की उत्पत्ति हेतु अभिकल्पित किया जाता है कि यह वर्तमान तथा भावी भूमिकाओं के लिए दक्षता का अपेक्षित स्तर प्राप्त कर सके ।

वस्तुत: मानव संसाधन विकास एक खंडित अभ्यास न होकर एक सतत् प्रक्रिया है । आजकल HRD को अधिक उत्पादकता, सुधारे हुए सम्बन्ध तथा संगठन की अधिक लाभोपार्जन क्षमता का मूल मंत्र माना जाता है । यह कहना निरर्थक होगा कि एक संगठन के लोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

एक बार हेनरी फोर्ड ने कहा था कि मेरे सारे भवनों को ले लो, मेरी मशीने छीन लो, मेरी सारी पूँजी हथिया लो लेकिन मेरे कर्मचारी मेरे पास रहने दो तथा मैं पुन: हैनरी फोर्ड बनकर दिखाऊँगा ।

प्रबन्ध विज्ञान के क्षेत्र में, 1980 तथा 1990 के दशकों को कम्प्यूटर तथा HRD की दशाब्दी कहा जा सकता है । सर्वत्र यह माना जा रहा है कि मानवीय दक्षता विकास (Human Competency Development) किसी भी विकास प्रयास की एक अनिवार्य पूर्व शर्त है ।

अनेक कम्पनियों ने HRD विभाग के रूप में नये विभाग की स्थापना की है तथा अन्य दूसरों ने अपने कर्मचारी विभागों को HRD विभाग के रूप में परिवर्तित किया है जो लोगों के दक्षता विकास के महत्व को प्रकट करता है ।

HRD तकनीकों का एक समुच्च न होकर दक्षताओं (Competencies) की अभिप्राप्ति की दिशा में कर्मचारियों की सहायता करने की प्रक्रिया है । संगठनात्मक संदर्भ में HRD एक ऐसी प्रक्रिया है ।

जिसके द्वारा किसी भी संगठन के कर्मचारी निम्न विषयों में एक सतत् तथा नियोजित तरीके से लाभान्वित होते हैं:

1. अपनी वर्तमान तथा भावी भूमिकाओं के विभिन्न कार्यों के निष्पादन हेतु अपेक्षित क्षमताओं को पाने तथा प्रखर करने में;

2. व्यक्तियों के रूप में अपनी सामान्य क्षमताओं को विकसित करने तथा संगठनात्मक विकास उद्देश्यों के लिए उनकी आन्तरिक क्षमताओं को उजागर करने में;

3. एक ऐसी संगठनात्मक संस्कृति विकसित करने में जो कर्मचारियों के आत्म गौरव तथा अभिप्रेरण के प्रति उपादेय हो, तथा

4. HRD प्रक्रिया निष्पादन मूल्यांकन, कार्य पारीकरण, प्रशिक्षण तथा भविष्य विकास कार्यक्रम जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं द्वारा समर्थन पाती है ।

कर्मचारियों को कार्यों के निष्पादन हेतु ज्ञान, रुझानों, मूल्यों तथा चातुर्यों जैसी दक्षताओं की आवश्यकता होती है । कर्मचारियों की दक्षताओं के सतत् विकास के बिना कोई भी संगठन अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकता है ।

HRD कार्यों को मजबूत बनाने के कई तरीके हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

1. विद्यमान कार्मिक विभाग का काम लेकर, चूंकि HRD कार्मिक कार्यों का एक महत्वपूर्ण भाग होता है अत: एक पृथक् HRD विभाग की कोई आवश्यकता नहीं है ।

2. नई-नई क्षमताओं के साथ उसको विकसित करके कर्मचारी विभाग को सुदृढ़ बनाना ।

3. HRD प्रबन्धकों की एक नई भूमिका को जन्म देना ।

4. HRD विभागों की स्थापना करना ।

HRD एक नई विचारधारा है जो क्रमबद्ध तरीके से परम्परागत कर्मचारी प्रबन्ध विचारधारा को पीछे छोड़ती जा रही है । वस्तुत: यह एक उद्देश्यमूलक विचारधारा है जबकि परम्परागत कर्मचारी कार्य पूरी तरह से विभागीय विचारधारा ।

HRD को अपेक्षाकृत एक व्यापक तंत्र के उपतंत्र के रूप में देखा जाता है । HRD को संगठन के प्रभावी हेतु एक व्यापक रूप से सर्वाधिक प्रभावी तंत्र के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है । परम्परागत कार्मिक कार्य कार्मिक विभाग का एकमात्र उत्तरदायित्व है लेकिन HRD संगठन के सभी प्रबन्धकों का मामला है । HRD की सफलता तभी सम्भव हो पायेगी जब प्रत्येक कर्मचारी स्वयं को अपने अधीनस्थों के एक विकासकर्त्ता (Developer) के रूप में देखेगा ।

मानव संसाधन विभाग का संगठन (The Organisation of Human Resource Department):

जब संगठन में मानव संसाधन गतिविधियाँ अन्य विभागों के लिए भार बन जाती हैं तो एक पृथक् विभाग सामान्यत: उभरता है । उस बिन्दु पर एक विभाग के प्रत्याशित लाभ सामान्यत: लागतों से बढ़ जाते हैं ।

जब तक प्रबन्धकों को स्वयं मानवीय संसाधन गतिविधियों को संभालना चाहिए या अधीनस्थों को भारार्पित करना चाहिए । जब एक मानव संसाधन विभाग की रचना की जाती है उस समय यह विशिष्टत: छोटा होता है तथा मध्यम स्तरीय प्रबन्धक का उत्तरदायी होता है ।

ऐसे विभाग सामान्यत: कर्मचारियों के अभिलेखे रखने तथा नये परिणामों को पाने में प्रबन्धकों की सहायता करने तक सीमित रहते हैं । क्या विभाग अन्य गतिविधियाँ अंजाम देता है फर्म में अन्य प्रबन्धकों की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है ।

व्यवहार में, बढ़ती हुई जटिलता के साथ-साथ संगठन का आकार जैसे-जैसे बढ़ता है वैसे-वैसे मानव संसाधन विभाग का उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है । विकास तथा नई माँगों की आपूर्ति के लिए विभाग में कार्य (Jobs) कहीं अधिक विशिष्ट बन जाते हैं । बहुधा अत्यधिक विशिष्टीकृत उपविभाग सेवा के एक व्यापक दायरे की व्यवस्था हेतु उभरते हैं ।

एक बड़े मानव संसाधन विभाग के भीतर कार्यों की क्रमबद्धता:

1. विभागाध्यक्ष (Head of the Department);

2. मध्यम तथा प्रथम स्तरीय प्रबन्धक (First Level Managers);

3. विभागीय कर्मचारी (Departmental Workers) ।

विभाग का आधार व्यापक तौर से परिवर्तित होता है जो संगठन के आकार पर निर्भर करता है । औसत विभाग का बजट कम्पनी के परिचालन व्ययों का एक प्रतिशत होता है । एक अन्य अध्ययन स्पष्ट करता है कि मानव संसाधन विभागों को अन्य विभागों द्वारा हाल में उच्च प्रबन्ध के प्रति उनकी अभियाचित महत्ता के कारण अनुभव की जा रही छँटनी (Layoffs) से बचाया जा चुका है ।

मानव संसाधन विकास कार्य (Human Resource Department Functions):

एक छोटे संगठन में मालिक ही सभी कार्य करता है । लेकिन जैसे-जैसे संगठन का आकार बढ़ता जाता है कार्यों का भारार्पण (Delegation of Duties) आवश्यक हो जाता है । वह अन्य लोगों की नियुक्ति करता है तथा उनको अपने कुछ कर्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों को भारार्पित कर देता है ।

इस तरीके से वह अपने संगठन में एक अन्य स्तर की रचना करता है । एक संगठन के और अधिक विकसित होने पर कार्यों के और अधिक विशिष्टीकरण (Specialisation) की आवश्यकता होती है ।

एक छोटे व्यवसायी के लिए अपने कर्मचारियों की वेतन संरचना (Salary Structure) किसी विशिष्ट ज्ञान की अपेक्षा नहीं करती लेकिन हजारों कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाली एक बड़ी कम्पनी को मजदूरी तथा वेतन प्रशासन का प्रबन्ध करने के लिए एक विशेषज्ञ की सहायता की आवश्यकता होती है ।

इस तरीके से एक विशिष्ट प्रकृति की प्रबन्धकीय सहायता अपेक्षित हो जाती है । यही ‘रेखीय’ कार्य से ‘स्टॉफ’ कार्य के पृथक्कीकरण का उद्गम है । ‘रेखीय’ शब्द को अधिकार की रेखा को स्पष्ट करने के लिए प्रयोग किया जाता है जैसा कि सैन्य दलों में विभिन्न पदों (Ranks) में होता है जहाँ अधिसत्ता की पंक्ति (Line of Authority) पूर्णत: स्पष्ट होती है ।

संगठनात्मक सिद्धान्त (Organisation Theory) में शब्द ‘Line’ से बहुधा ऐसे कार्यों का संदर्भ लिया जाता है जिनका उपक्रम के महत्वपूर्ण उद्देश्यों की अभिप्राप्ति हेतु प्रत्यक्ष उत्तरदायित्व होता है तथा शब्द ‘Staff’ से ऐसे कार्यों का जो उन उद्देश्यों की अभिप्राप्ति में ‘रेखा’ की मदद करते हैं तथा महत्वपूर्ण उद्देश्यों से केवल अप्रत्यक्ष तौर पर सम्बन्धित होते हैं ।

एक उत्पादकीय फर्म में उत्पादन, क्रय तथा विक्रय ‘रेखीय’ कार्य होते हैं तथा कार्मिक, वित्त, लेखांकन तथा शोध ‘स्टॉफ’ कार्य हैं । ‘स्टॉफ’ तथा ‘रेखीय’ के बीच अन्तर यह निर्धारण करने का माध्यम होता है कि कौन प्रत्यक्षत: निर्णय लेता हे, साध्य परिणामों की अभिप्राप्ति से सम्बन्धित होता है तथा कौन उन निर्णयों को लेने में परामर्श तथा सेवाएँ प्रदान करता है ।

यह स्टॉफ प्रशासकों का काम होता है कि रेखीय प्रशासकों को अपनी सेवाएँ प्रदान करें । एक दृष्टि से सभी प्रबन्धक मानव संसाधन प्रबन्धक (Human Resources Management) होते हैं क्योंकि वे सभी भर्ती, साक्षात्कार, चयन, प्रशिक्षण आदि में शामिल होते हैं ।

फिर भी अधिकांश फर्मों में उसके HRD Managers के साथ एक कार्मिक विभाग या मानव संसाधन विभाग (Human Resources Department) होता है । कैसे इस प्रबन्धक के कार्य फर्म में अन्य रेखीय प्रबन्धकों के Personnel Management कार्यों से सम्बन्ध रखते हैं ?

प्रबन्धकीय कार्मिकों को अधीनस्थों के कार्य को निर्देशित करने का अधिकार होता है- वे सदैव ही किसी न किसी के बाँस होते हैं । साथ ही, रेखीय प्रबन्धक संगठन में मौलिक उद्देश्यों की अभिप्राप्ति के प्रभारी (In Change of Accomplishing the Basic Goals) होते हैं ।

दूसरी ओर, स्टॉफ प्रबन्धक संगठन में इन मौलिक उद्देश्यों की अभिप्राप्ति में रेखीय प्रबन्धकों की सहायता तथा परामर्श हेतु अधिकृत होते हैं । लोगों का प्रत्यक्ष हस्थन प्रत्येक रेखीय प्रबन्धक के उत्तरदायित्व का अहम् अंग होता है ।

रेखीय प्रबन्धक असमर्थित सभी कार्मिक प्रबन्धकीय कार्य अंजाम दे सकता है । लेकिन जैसे-जैसे फर्म बढ़ती जाती है उनको विशिष्ट कार्मिकों या HRD स्टॉफ की मदद की आवश्यकता होती है । HRD विभाग ऐसी विशिष्टीकृत सेवा प्रदान करता है ।

ऐसा करने के लिए, HRD प्रबन्धक निम्न तीन महत्वपूर्ण कार्य करता है:

1. एक रेखीय कार्य (A Line Function) HRD कार्मिक अपने निजी विभाग में तथा सेवा क्षेत्रों में लोगों की गतिविधियों को निर्देशित करके एक ‘Line’ कार्य अंजाम देता है । वह अपने निजी HRD विभाग के भीतर Line Authority को लागू करता है ।

2. एक समन्वित कार्य (A Coordinated Function) HRD अधिकारी कार्मिक गतिविधियों के समन्वयकर्त्ता के रूप में भी काम करता है । (Coordinators), जिसको सामान्य: ”क्रियात्मक नियंत्रण” (Functional Control) के रूप में देखा जाता है ।

HRD प्रबन्धक तथा उसका विभाग उच्च अधिकारी के दायें हाथ के रूप में काम करता है ताकि उसको यह आश्वासन मिल सके कि कार्मिक उद्देश्य, नीतियाँ तथा प्रविधियाँ जिनको रेखीय संगठन द्वारा अपनाया जा चुका है रेखीय प्रबन्धकों द्वारा निरन्तर अंजाम दी जा रही हैं ।

3. रेखीय प्रबन्ध को स्टॉफ (सेवा) कार्य HRD प्रबन्धक के कार्य का “Bread and Butter” होता है । HRD प्रबन्धक सभी स्तरों पर कर्मचारियों को रखने, हटाने, पुरस्कृत करने तथा मूल्यांकन करने में सहायता करता है तथा विभिन्न कल्याण कार्यों का प्रशासन करता है ।

मद “स्टॉफ” समर्थन हेतु एक व्यक्ति द्वारा किये गये एक ”Stick of Staff” कार्य का संदर्भ लेता है । अत: स्टॉफ एक समर्थनकारी भूमिका निभाता है । यह उसकी निष्पत्ति में ”रेखीय” कार्य का समर्थन करता है । स्टॉफ कार्य का उद्देश्य विभिन्न विशिष्टीकृत गतिविधियों से उनको मुक्त करके रेखीय प्रशासकों की सहायता करना होता है ।

जबकि एक कम्पनी के सर्वांगीण संगठनात्मक चार्ट पर संगठन के शेष भाग के प्रति HRD प्रबन्धक एक स्टॉफ व्यक्ति (Staff Man) होता है तो भी उसके विभाग में अपने अधीनस्थों के साथ उसके सम्बन्ध सदैव ही ‘Line’ होते हैं ।

वह एक विभाग का प्रबन्ध करता है जो सैकडों कर्मचारियों के द्वारा चलाया जा सकता है तथा प्रबन्धकीय कार्य उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं जितने अधिकांश रेखीय प्रबन्धकों के होते हैं ।

उनकी ही तरह, वह उत्पादन, कार्य की गुणसवत्ता, नियोजन, संगठन तथा अपने विभाग के प्रयासों का नियंत्रण और साथ ही साथ अपने स्टॉफ पर लोगों की भर्ती, चयन तथा नियुक्ति तथा उनका प्रशिक्षण, नेतृत्व एवं अभिप्रेरणा से सम्बन्ध रखता है ।

औपचारिक संगठन (Formal Organisation) से उस तरीके का संदर्भ लिया जाता है जिसमें उसके कर्मचारी वर्ग को विभिन्न विभागों को कार्य द्वारा, शाखा द्वारा या आव्यूह संरचना द्वारा तीन बड़े-बड़े तरीकों से औपचारिक तौर पर संरचित किया जा सकता है ।

क्रियात्मक स्वरूप में, सभी कर्मचारियों जो एक विशिष्ट कार्य की निष्पत्ति के प्रति योगदान कर सकते हैं एक साथ एकजुट हो जाते हैं । ऐसी एक प्रणाली के अन्तर्गत कार्मिक प्रशासन से जुड़े सभी कर्मचारियों को HRD विभाग में एक साथ ग्रुप किया जाता है, विपणन कार्य से जुड़े सभी व्यक्तियों को विपणन विभाग में तथा ऐसे ही अन्य कार्यों में एक साथ ग्रुप किया जाता है ।

इस क्रियात्मक स्वरूप का एक महत्वपूर्ण लाभ है कि प्रत्येक कार्य एक विशेषज्ञ (Specialist) द्वारा पूरा किया जाता है । विशिष्टीकरण के कारण, एक क्रियात्मक संगठन में कर्मचारियों के चातुर्यों को अधिक प्रभावी ढंग से काम लाया जा सकता है ।

लेकिन कर्मचारियों के कई ‘बॉस’ होते हैं, समन्वय पाना अत्यन्त कठिन हो जाता है तथा संगठन का परिचालन एक पूर्ण एकीकृत तंत्र के रूप में नहीं हो सकता है । संगठनात्मक सदस्यों का विभागीयकरण करके समूह बनाया जा सकता है । यहाँ हम एक निर्दिष्ट उत्पाद के उत्पादन हेतु अपेक्षित सभी विशेषज्ञों को एकजुट कर लेते हैं ।

यदि एक कम्पनी चार अलग-अलग उत्पादों को बनाती तथा बेचती है तो वह प्रत्येक उत्पाद के लिए एक विभागीय केन्द्र स्थापित कर सकती है । प्रत्येक विभाग में सभी अपेक्षित उत्पादन विपणन वित्त तथा अन्य मानव शक्ति सेवाओं को एकजुट कर दिया जाता है । विभागीकरण कई प्रकारों का हो सकता है ।

ऐसा विभागीकरण उत्पादानुसार या क्षेत्रानुसार हो सकता है । विभागीयकरण का लाभ होता है कि यहाँ निष्पत्ति की तुलना करना आसान होता है लेकिन इसमें स्टॉफ का डुप्लीकेशन होता है तथा अनावश्यक बरबादी होती है । एक संगठन के विभागों को एक आव्यूह स्परूप (Matrix Form) में संरचित किया जा सकता है अर्थात् संगठनात्मक सदस्यों को दो बाँसों के अन्तर्गत रखा जा सकता है ।

एक बॉस होगा Head of the Department जिससे कर्मचारी सम्बन्ध रखता है तथा दूसरा बॉस होगा परियोजना का अध्यक्ष जिससे वे अस्थायी तौर पर जुड़े है । आव्यूह स्वरूप को “Multiple Command System” के रूप में भी जाना जाता है ।

एक बड़ी इंजीनियरिंग फर्म में, विभिन्न विभागों के तकनीकी कार्मिकों को एक प्रकल्प पर डाल दिया जाता है । जब प्रकल्प विशेष पूरा हो जाती है तो वे अपने-अपने विभागों को वापस चले जाते हैं जब तक एक अन्य प्रकल्प का अगला प्रभारण नहीं मिल जाता ।

आव्यूह संगठन या प्रकल्प संगठन का एक बड़ा लाभ होता है कि विशिष्ट तकनीकी ज्ञान तथा चातुर्य समान आधार पर सभी प्रकल्पों को उपलब्ध होता है लेकिन यह आदेश की आवश्यकता के परम्परागत संगठनात्मक सिद्धान्त की अवहेलना कर देता है तथा टकरावों को बढ़ावा देता है ।

मानव संसाधन विभाग की संगठनात्मक संरचना एक पिरामिड के समान होती है जिसका अध्यक्ष HRD Manager या HRD Director होता है । अनेक बड़े संगठनों में HRD Manager भी बोर्ड का सदस्य होता है तथा उसको HRD Director या Vice-President, HRD के रूप में नामजद किया जायेगा ।

जहाँ वह बोर्ड का एक सदस्य नहीं होता तो उपयुक्त Designation स्वाभाविक तौर पर HRD Manager होगा । HRD Manager के एकदम नीचे Personnel Officers का एक अन्य स्तर होता है जो प्रत्यक्षत: HRD Manager को रिपोर्ट करेंगे ।

उपर्युक्त चित्र स्पष्ट करता है कि उच्च HRD Manager कार्मिक अधिकारियों को कई कार्यों की निष्पत्ति भारार्पित करता है । विभागों की संख्या उन गतिविधियों की मात्रा पर निर्भर करती है जो प्रत्येक कम्पनी में अलग-अलग होती हैं । कार्मिक विभाग के भीतर HRD Manager की उसके अन्तर्गत आने वाले सभी कार्मिक अधिकारियों पर एक Line Authority होती है ।

स्वयं विभाग के भीतर एक शोध अधिकारी होता है जो HRD या Personnel Department के सन्दर्भ में स्टॉफ कार्य करता है । अत: कार्मिक विभाग के भीतर, जो संगठन में अन्य विभागों के सम्बन्ध में एक स्टॉफ कार्य करता है, Line तथा Staff Authority दोनों ही हो सकते हैं ।

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