Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning and Definitions of Job-Analysis 2. Process of Job Analysis 3. Uses.
कार्य-विश्लेषण का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Job-Analysis):
कार्य विश्लेषण दो शब्दों से मिलकर बना है- कार्य एवं विश्लेषण । कार्य से आशय उन सभी कृत्यों, उपकार्यों, कर्त्तव्यों एवं दायित्वों के संग्रह से है जिसे एक कर्मचारी की नियत कार्य माना जाता है । विश्लेषण को सघन परीक्षण कहा जाता है । इस प्रकार कार्य विश्लेषण के अन्तर्गत कार्य का विस्तृत अध्ययन किया जाता है ।
इसके द्वारा कार्य के दायित्व, कर्त्तव्य, कार्य के प्रकार, कार्य के लिए न्यूनतम योग्यताएँ तथा परिस्थितियाँ जिसके अन्तर्गत कार्य किया जाता है, का अध्ययन किया जाता है अर्थात् कार्य विश्लेषण से आशय कार्य के सूक्ष्म परीक्षण से है ।
विभिन्न विद्वानों ने कार्य विश्लेषण की निम्न परिभाषाएँ दी हैं:
1. टीड तथा मेटकाफ (Tead and Matcalf) के शब्दों में- ”कार्य विश्लेषण किसी कार्य के उन सभी तथ्यों का वैज्ञानिक अध्ययन एवं वर्णन है जो कार्य की विषय सामग्री एवं संशोधन अंगों को अभिव्यक्त करते हैं ।”
2. हैकेट (Hackett) के अनुसार- ”कार्य विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य कार्य के मूल तत्वों का निर्धारण एवं स्पष्टीकरण करना है । इसके द्वारा यह भी ज्ञात हो जाता है कि कार्यों के सफल सम्पादन के लिए किस प्रकार की योग्यताओं की आवश्यकता है ।”
3. ब्लूम (Blum) के शब्दों में- ”कार्य विश्लेषण किसी व्यवसाय या कार्य के भिन्न-भिन्न पक्षों एवं तत्वों का एक सूक्ष्म- अध्ययन है । इसका सम्बन्ध केवल कर्मचारी के कर्त्तव्यों तथा कार्य परिस्थितियों के विश्लेषण मात्र से ही नहीं है, वरन् वैयक्तिक विशेषताओं से भी है ।”
4. वाइटम्ल (Viteles) के अनुसार- ”कार्य विश्लेषण वह विधि है जिसके द्वारा कार्य विशेष से सम्बन्धित सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं । ये सूचनाएँ व्यवसाय, आजीविका या कार्य-चाहे किसी से भी सम्बन्धित क्यों न हों ।”
5. डेल योडर के अनुसार- ”कार्य विश्लेषण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा प्रत्येक कार्य से सम्बन्धित तथ्यों को योजनाबद्ध प्रणाली से खोजकर अंकित किया जाता है ।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि- ”कार्य विश्लेषण एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कार्य कर्त्तव्यों आदि की व्याख्या की जाती है । इसके द्वारा कार्य के सम्बन्ध में सभी महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त की जाती है । यह कार्य का सम्पूर्ण अध्ययन है । इसके द्वारा कार्य के सम्बन्ध में कर्मचारी के दायित्व, कर्त्तव्य, कार्य दशायें, प्रकृति, कर्मचारी से अपेक्षित वेतन, योग्यताएँ, समय अवसर एवं विशेषाधिकार आदि का ज्ञान प्राप्त किया जाता है ।”
कार्य विश्लेषण की प्रक्रिया (Process of Job Analysis):
कार्य विश्लेषण मानव शक्ति नियोजन का महत्वपूर्ण पहलू है ।
कार्य विश्लेषण में मूलत: निम्न मुख्य चरणों का समावेश होता है:
1. विश्लेषण हेतु कार्यों का चयन (Selection of Jobs for Analysis):
किसी संगठन के अधीक्षकीय तथा प्रबन्धकीय व्यक्ति यह सिफारिश करने का निर्णय ले सकते हैं कि कुछ काम जिनका वे अधीक्षण करते हैं, उनका विश्लेषण किया जाए ।
उनकी सिफारिश इस विश्वास पर आधारित होती है कि उनके कार्य की विषय सामग्री में महत्वपूर्ण परिवर्तन आये हैं तथा सम्बद्ध संविवर्गीय कार्यों का समर्थन चालू प्रपत्रीकरण अब उचित नहीं रहा है ।
2. कार्य सूचनाओं का संकलन (Collection of Job Information):
एक बार जब कोई काम विश्लेषण के लिए चुन लिया जाता है तो अगला महत्वपूर्ण कदम कार्य विशेष की विषय-सामग्री के बारे में सूचनाओं का संकलन करना होता है ।
समंक संकलन के सन्दर्भ में सेविवर्गीय प्रबन्धकों को निम्न निर्णय लेने चाहिए:
(a) संकलन किये जाने वाले आकड़ों की किस्म जैसे भौतिक कार्य परिस्थितियाँ, मशीनों का प्रयोग आदि ।
(b) सभी सम्भव विकल्पों में से समंक संकलन के लिए काम लाई जाने वाली विधि तथा
(c) वे व्यक्ति जो ऐसे विश्लेषण के लिए उत्तरदायी रहेंगे ।
3. पृष्ठभूमि सूचनाओं का संकलन (Collection of Background Information):
इसमें मूल सूचनाओं को एकत्र करने का कार्य सम्मिलित होता है जैसे किसी कार्य का प्रारूप, अन्य कार्यों से उसका सम्बन्ध, समर्थ निष्पादन के लिए उसकी आवश्यकता आदि । ऐसी सूचनाएँ संगठनात्मक चार्ट, मानवीय तथा मशीनी गतिविधियों की प्रकृति आदि के परीक्षण द्वारा प्राप्त की जा सकती है ।
4. कार्य विवरण (Job Description):
संकलित कार्य सूचनाएँ कार्य विवरण तैयार करने के लिए प्रक्रियाकृत की जानी चाहिए । यह एक लिखित विवरण है जिसमें किसी कार्य के मुख्य लक्षणों को उस व्यक्ति की योग्यताओं तथा क्षमताओं के साथ विवेचित किया जाता है जो उस कार्य को संभालने वाले व्यक्ति में होनी चाहिए ।
5. कार्य विशिष्टीकरण को विकसित करना:
इस चरण में मानवीय योग्यताओं, व्यक्तित्व शैलियों, कार्य के सफल निष्पादन के लिए अपेक्षित भौतिक एवं मनोवैज्ञानिक गुणों के रूप में कार्य विवरण का परिवर्तन या बदलाव सम्मिलित है ।
कार्य-विश्लेषण के उपयोग (Uses of Job-Analysis):
वर्तमान में कार्य विश्लेषण का महत्व अत्यधिक बढ़ता जा रहा है ।
इसके उपयोग का अध्ययन निम्नलिखित प्रकार कर सकते हैं:
1. कार्य मूल्यांकन का आधार:
कार्य-विश्लेषण कार्य के मूल्यांकन में सहायक होता है, क्योंकि कार्य मूल्यांकन कार्य विश्लेषण से प्राप्त परिणामों की सत्यता और सम्पूर्णता से पूर्ण होता है । कार्य-विश्लेषण के आधार पर ही व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन की तुलना की जाती है ।
2. व्यावसायिक चुनाव में सहायक:
कार्य-विश्लेषण व्यावसायिक चुनाव प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण तत्व है इसे व्यावसायिक चयन की पृष्ठभूमि कहा जा सकता है । कार्य के विश्लेषण से हमें प्रत्येक कार्य की प्रकृति का अध्ययन हो जाता है, जिससे यह निश्चित करने में सहायता मिलती है कि किसी कार्य विशेष को करने के लिए कर्मचारी में कितनी योग्यता, प्रशिक्षण व अनुभव होना आवश्यक है ।
3. वेतन व मजदूरी प्रशासन में उपयोगी:
कार्य विश्लेषण विभिन्न कार्यों का पूर्णत: अध्ययन करके प्रत्येक कार्य को सम्पादित करने के लिए आवश्यक योग्यताओं को स्पष्ट करता है । इसके प्रयोग द्वारा मजदूरी एवं वेतन सम्बन्धी असमानताओं को दूर किया जा सकता है । इसके द्वारा कार्य की अलग-अलग योग्यताओं के साथ-साथ अलग-अलग वेतन दरें भी निश्चित की जा सकती हैं ।
4. कर्मचारी प्रशिक्षण एवं प्रबन्धकीय विकास:
कार्य विश्लेषण से प्रबन्धकों एवं कर्मचारियों के सम्बन्धों की पूर्ण जानकारी मिलती है, जो प्रशिक्षण तथा विकास कार्यों के लिए आवश्यक है । इस जानकारी के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए विषयवस्तु का निर्धारण किया जा सकता है । कार्य-विश्लेषण से, आवेदन-पत्रों की जाँच करने, साक्षात्कार करने तथा विभिन्न सन्दर्भ प्राप्त करने में सहायता मिलती है ।
5. निर्देशन में सहायता:
कार्य विश्लेषण कर्मचारियों की योग्यता व गुणों के सम्बन्ध में सहायता प्रदान करता है । इसकी सहायता से अनुशासन व परिवेदनाओं के बारे में निर्देशन मिलता है । यह वेतन दरों से तुलना हेतु आधार भी प्रदान करता है । इसकी सहायता से स्थानान्तरण, जबरन-छुट्टी तथा कार्य भार के निर्धारण एवं वितरण को सरल बनाया जा सकता है ।
6. मानव शक्ति नियोजन में लाभदायक:
कार्य-विश्लेषण श्रमिकों की आवश्यकताओं का ज्ञान कराता है तथा विभिन्न श्रमिकों के कर्त्तव्य एवं दायित्वों का निर्धारण करके कार्य के समन्वय में सहायता प्रदान करता है । इसी कारण कार्य विश्लेषण को मानव-शक्ति नियोजन का एक महत्वपूर्ण आधार माना गया है ।
7. कार्य-प्रणाली में परिवर्तन:
कार्य-विश्लेषण अधिक उत्पादन वाली कार्य-प्रणाली निर्धारित करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है । कार्य-प्रणाली में सुधार की सफल प्रक्रिया कार्य-विश्लेषण की यथार्थता एवं प्रभावशीलता पर निर्भर करती है ।
8. स्वास्थ्य एवं सुरक्षा:
कार्य-विश्लेषण के अन्तर्गत अस्वस्थ वातावरण तथा कठिन परिस्थितियों का पता लगाया जाता है, जिसके आधार पर उन्हें सुधारने के उपाय किये जा सकते हैं । इससे श्रमिक की कार्य के प्रति रुचि बढ़ती है साथ ही दुर्घटनाओं की संख्या में कमी होती है ।
9. अन्य कार्य:
कार्य विश्लेषण द्वारा नये रोजगार की खोज करने तथा अनावश्यक पदों की समाप्ति करने में भी सहायता मिलती है ।