Read this article in Hindi to learn about the short-term and long-term kinds of manpower planning.

अल्पकालीन मानव शक्ति नियोजन (Short Term Manpower Planning):

अल्पकालीन मानव शक्ति का नियोजन प्राय: अल्पकाल के लिए किया जाता है । यह नियोजन उस अवस्था में किया जाता है जबकि संस्था में किसी नई विधि का प्रयोग किया जा रहा है या किसी नई तकनीक के अनुसार मानव शक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए, उसके उपलब्ध होने तक की व्यवस्था करनी हो । प्राय: इस प्रकार के नियोजन में नए रिक्त पदों को भरने के लिए अथवा कर्मचारियों के पद स्थापन के लिए किया जाता है ।

इस प्रकार कार्य की प्रगति के अनुसार अल्पकालीन मानव-शक्ति नियोजन निम्न दो प्रकार का हो सकता है:

1. वर्तमान कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर उन्हें उनके पदों के अनुरूप बनाना ।

2. वर्तमान कर्मचारियों में से ही छाँट कर आवश्यक पदों की पूर्ति करना । वर्तमान कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें पदों के योग्य बनाने की आवश्यकता तब अनुभव की जाती है जबकि वर्तमान कर्मचारी पदों के योग्य नहीं होते अर्थात् इनमें इतनी योग्यता नहीं होती जितनी कि पद के लिए अपेक्षित है । यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि योग्यता कम ही हो बल्कि योग्यता अधिक भी हो सकती है ।

किसी पद के लिए अपेक्षित योग्यता कम होने की दशा में निम्नलिखित परिवर्तन किये जा सकते हैं:

(i) कार्य एवं व्यक्ति दोनों में परिवर्तन करके आवश्यक समायोजन किया जा सकता है ।

(ii) कार्यरत व्यक्ति को कार्य से हटाकर अन्य व्यक्ति को लगाया जा सकता है ।

(iii) कम योग्य व्यक्ति को प्रशिक्षित कर अधिक योग्य बनाया जा सकता है ।

(iv) कर्मचारी के कार्य में परिवर्तन करके उसको योग्यता के अनुरूप कार्य सौंपा जा सकता है ।

(v) कर्मचारी के लिए किसी सहायक की व्यवस्था की जा सकती है ।

इसके विपरीत यदि वर्तमान कर्मचारियों में पद की योग्यता से अधिक योग्यता है, तो निम्नलिखित नियोजन किया जा सकता है:

(i) कार्य एवं व्यक्ति को परिवर्तित किया जा सकता है ।

(ii) वर्तमान कर्मचारी से वर्तमान कार्य वापस लेकर उसे अधिक योग्यता वाला कार्य सौंपा जा सकता है ।

(iii) उस कर्मचारी को किसी नवीन योजना का कार्य-भार सौंपा जा सकता है ताकि उसकी योग्यता का कुशलतम प्रयोग हो सके ।

(iv) अधिक योग्यता प्राप्त कर्मचारी का स्थानांतरण करके उसकी योग्यता का लाभ उठाया जा सकता है ।

कार्य की प्रगति के अनुसार अल्पकालीन मानव-शक्ति नियोजन का दूसरा पक्ष है-वर्तमान मानव-शक्ति में से ही वर्तमान रिक्त पदों को भरा जाना । इस प्रकार का नियोजन करने से कर्मचारियों को प्रोत्साहन मिलता है और उनमें पदोन्नति की भावना जागृत होती है फलस्वरूप वे अधिक लगन से कार्य करते हैं ।

इस प्रकार का नियोजन करते समय यह भी देखना चाहिए कि वर्तमान कर्मचारी अपेक्षित कार्यकुशलता से कार्य कर सकने में समर्थ है और पदोन्नत होने वाले कर्मचारी के द्वारा खाली किये गये पद की पूर्ति किस प्रकार होगी ।

दीर्घकालीन मानव शक्ति नियोजन (Long Term Manpower Planning):

दीर्घकालीन मानव शक्ति नियोजन एक दीर्घकालीन नियोजन है जो प्राय: दो या अधिक वर्षों के लिए किया जाता है । इस नियोजन के अन्तर्गत संगठन की भावी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मानव शक्ति की आवश्यकता अनुभव होते ही मानव-शक्ति की व्यवस्था करना शमिल है ।

दीर्घकालीन मानव शक्ति का नियोजन मुख्यत: दो उद्देश्यों की पूर्ति पर आधारित है:

1. भावी आवश्यकताओं के अनुरूप मानव शक्ति की पूर्ति बनाए रखना,

2. भावी आवश्यकता होते ही मानव शक्ति की पूर्ति की व्यवस्था करना ।

पहली अवस्था के अन्तर्गत भविष्य की दीर्घकालीन कर्मचारी सम्बन्धी आवश्यकताओं का अनुमान लगाकर कर्मचारी की व्यवस्था का कार्यक्रम बनाना सम्मिलित किया जा सकता है ।

जैसे-जैसे उपक्रम का विकास होता है वैसे-वैसे मानव शक्ति की आवश्यकता में वृद्धि अनुभव की जाती है । इस प्रकार उपक्रम की गाड़ी को गतिमान बनाए रखने के लिए नई मानव-शक्ति का पूर्वानुमान लगाना आवश्यक है ।

दूसरी अवस्था में भविष्य की आवश्यकताओं तथा विद्यमान कर्मचारियों का अध्ययन करके उनकी उपयुक्तता पर विचार किया जाता है और निर्णय लिया जाता है कि क्या वर्तमान संख्या उपयुक्त रहेगी अथवा नही ।

यहाँ प्रमुख पदों पर आसीन अधिकारियों की योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है तथा नवयुवक अधिकारियों की योग्यता एवं अनुभव को ध्यान में रखते हुए अपेक्षित भावी पदों के अनुरूप योग्य बनाये जाने के प्रयास किये जा सकते हैं ।

योग्यता को निम्न वर्गों में बाँटा जा सकता है:

(i) रिक्त स्थानों के लिए आवश्यक योग्यता ।

(ii) नये स्थानों के लिए नव योग्यता ।

(iii) भविष्य में अपेक्षित योग्यता ।

(iv) वर्तमान योग्यता का मूल्यांकन ।

इस वर्गीकरण द्वारा कर्मचारियों को भविष्य में योग्यताओं के अनुसार ढालने की कोशिश की जा सकती है और भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक आधार स्थापित किया जा सकता है । व्यक्ति विशेष की विकास योजना भी दीर्घकालीन मानव-शक्ति नियोजन का ही एक अंग है ।

इस प्रक्रिया के अन्तर्गत जब भविष्य में पदों की आवश्यकता का अनुमान लगाया जाता है, तो उसके योग्य कर्मचारियों की सूची तैयार कर ली जाती है, जो भविष्य में इन पदों पर आसीन होंगे । उनकी योग्यताओं व कमियों का पता लगाकर उन्हें भविष्य में दूर करने का प्रयत्न किया जा सकता है ।

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