Read this article in Hindi to learn about the three modern methods of performance appraisal. The modern methods are: 1. Management by Objectives MBO 2. Appraisal by Results 3. Behaviourally Anchored Rating Scales.  

Modern Method # 1. उद्देश्य द्वारा प्रबन्ध (Management by Objectives MBO):

ये पीटर एफ. ड्रकर ही थे जिन्होंने निष्पादन मूल्यांकन हेतु लक्ष्य निर्धारण व्यवस्था का प्रस्ताव रखा जिसको उन्होंने ‘Management by Objectives and Self Control’ कहा ।

इस व्यवस्था को आगे Douglas Mc. Gregor द्वारा स्पष्ट किया गया जो इस तथ्य से सम्बन्धित थे कि अधिकांश परम्परागत मूल्यांकन प्रणालियाँ उन गुणों तथा व्यक्तिगत गुणवत्ताओं की रेटिंग का समावेश करती हैं जिनको वे अत्यधिक विश्वसनीय मानते थे ।

ऐसी गुण आकलन विधियों के उपयोग ने दो मुख्य कठिनाइयाँ उत्पन्न कीं:

1. प्रबन्धक उनके उपयोग में सुखद अनुभव नहीं करते थे तथा मूल्यांकन का ही विरोध करते थे तथा

2. इसने अधीनस्थों की अभिप्रेरणा तथा विकास को अवरुद्ध किया ।

उद्देश्य द्वारा प्रबन्ध व्यवस्था ठीक वैसे ही है जैसे Behavioural-Approach to Subordinate Appraisal जिसको वास्तव में General Electrical Co., U.S.A. में “Work Planning and Review” का नाम दिया गया था ।

इस व्यवस्था में एक कर्मचारी को उसके दृश्य गुणों द्वारा नहीं वरन् निर्धारित लक्ष्यों के सम्बन्ध में उसकी निष्पत्ति द्वारा मापा जाता है । अत: कार्य लक्ष्यों की पारस्परिक स्थापना इस व्यवस्था का अनिवार्य लक्षण है ।

इस व्यवस्था में निम्न चरणों का समावेश है:

1. अधीनस्थ अपने अधिकारियों के साथ कार्य-विवरण पर चर्चा करते हैं तथा वे अपने कार्य की विषय-वस्तु तथा मुख्य परिणाम क्षेत्रों पर सहमत होते हैं ।

2. अधीनस्थ आने वाले 6-12 माह के लिए उचित उद्देश्यों की एक सूची तैयार करते हैं ।

3. अधीनस्थ इन लक्ष्यों तथा योग्यताओं पर विचारार्थ अपने अधिकारी के साथ बैठता है तथा एक अन्तिम सैट तैयार किया जाता है ।

4. प्रगति की समीक्षा हेतु जाँच बिन्दु स्थापित किये जाते हैं तथा प्रगति के मापांकन हेतु तरीके निर्धारित किये जाते हैं ।

5. अधीनस्थ के प्रयासों के परिणामों पर विचारार्थ अधिकारी तथा अधीनस्थ अवधि के अन्त में मिलते हैं ताकि पारस्परिक तौर पर स्थापित लक्ष्यों को पूरा किया जा के ।

Goal-Setting Approach कारपोरेट स्तर से क्रियात्मक स्तर (Operative Level) तक स्पष्ट तथा समयबद्ध उद्देश्यों पर आधारित है । इस व्यवस्था को भारी सफलता के साथ लागू किया जा सकता है ।

यदि निष्पत्ति आकलन कार्यक्रम में निम्न तत्वों का समावेश हो:

(i) अच्छे कार्य विवरण (Job Descriptions) विभिन्न पदस्थितियों के लिए लक्ष्यों की स्थापना की सहायतार्थ उपलब्ध हों ।

(ii) अधिकारियों का उचित लक्ष्यों की स्थापना हेतु अधीनस्थों में पूरा विश्वास हो ।

(iii) अधीनस्थों की निष्पत्ति की आलोचना की अपेक्षा समस्या समाधान पर जोर रहता है ।

Modern Method # 2. परिणामों द्वारा मूल्यांकन (Appraisal by Results):

आधुनिक प्रणाली के अन्तर्गत निष्पादन मूल्यांकन कर्मचारियों द्वारा सम्पादित वास्तविक कार्य तथा परिणाम के आधार पर किया जाता है । अधीनस्थों का मूल्यांकन पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों के सन्दर्भ में किया जाता है । अत: इसे उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध कहा जाता है ।

इस उद्देश्य प्रेरित मूल्यांकन की विशेषता यह है कि अधीक्षक तथा अधीनस्थ आपसी विचार-विमर्श द्वारा लक्ष्य निर्धारित करते हैं । अधीनस्थों का लक्ष्य निर्धारण व मूल्यांकन में सहभागी बनाने से मूल्यांकन अधिक निष्पक्ष व विश्वसनीय होता है ।

अधीनस्थों को अपनी कमजोरियों का विस्तृत ज्ञान होता तथा उनके विकास की समुचित व्यवस्था की जा सकती है । इस प्रकार मूल्यांकन की लक्ष्य निर्धारण विधि (Goal Setting Approach) रचनात्मक है जिसमें भूतकाल की अपेक्षा भविष्य पर अधिक बल दिया जाता है, जिनका मूल्यांकन किया जाता है वे सक्रिय भूमिका निभाते हैं ।

Goal Setting Approach निम्न परिसीमाओं से हैं:

1. यह व्यवस्था केवल तभी लागू की जा सकती है जब लक्ष्य स्थापना अधीनस्थों द्वारा सम्भव हो । यह संदिग्ध होती है यदि ऐसी एक प्रविधि को Blue Collor Workers के लिए लागू किया जा सकता है ।

2. यह व्यवस्था लागू करनी सरल नहीं होती । इसमें विचारणीय समय, सोच तथा अधिकारियों एवं अधीनस्थों के बीच सम्पर्क का समावेश होता है । यदि अधीक्षण का क्षेत्र काफी बड़ा होता है तो अधिकारी के लिए पारस्परिक तौर पर सहमत लक्ष्यों की स्थापना हेतु प्रत्येक अधीनस्थ के साथ विचार विमर्श करना सम्भव नहीं होगा ।

3. यह व्यवस्था मुख्यत: परामर्श (Counselling), प्रशिक्षण (Training) तथा विकास (Development) पर जोर देती है । यह तर्क दिया जाता है कि महत्वपूर्ण मूल्यांकन तथा परिष्करण सुधार हेतु असंश्लिष्ट हो जाता है । लेकिन व्यवहार में निष्पादन मूल्यांकन के महत्वपूर्ण पहलू को त्याग देना सम्भव नहीं होता है ।

4. यह व्यवस्था प्रशासकीय तथा अधीक्षीय कार्मिकों के मूल्यांकन हेतु उपयुक्त रहती है जो इसको एक अच्छी तरह समझ सकते हैं ।

कार्मिक कर्मचारियों (Operative Workers) इस व्यवस्था को समझ नहीं सकते हैं तथा उनका एक बड़ा भाग उनके निजी लक्ष्यों की स्थापना में पहल नहीं करना चाहता ।

Modern Method # 3. व्यवहारात्मक संचालित रेटिंग स्केल्स (Behaviourally Anchored Rating Scales):

Behaviourally Anchored Rating Scales (BARS) को एक कार्य के लिए निष्पत्ति के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान हेतु अभिकल्पित किया जाता है तथा परिणाम जानने के लिए अधिक प्रभावी तथा कम प्रभावी कार्य व्यवहार के वर्णन हेतु उनको बनाया जाता है ।

निष्पत्ति का मूल्यांकन करने के लिए रेटर को किसी कर्मचारी के विशिष्ट दृश्यांकनीय कार्य व्यवहारों को रिकॉर्ड करने के लिए कहा जाता है तत्पश्चात् इन अवलोकनों की एक ‘Behaviourally Anchored Rating Scales’ के साथ तुलना करने की अपेक्षा की जाती है ।

फलस्वरूप अधीक्षक उस व्यवहार के साथ कर्मचारी के वास्तविक व्यवहार की तुलना की स्थिति में होता है जिसको अधिक या कम प्रभावी होने के रूप में पहले ही निर्धारण किया जा चुका है ।

BARS के समर्थक तर्क देते हैं कि यह व्यवस्था व्यवहार, निष्पादन तथा परिणामों के बीच भेद करती है तथा फलस्वरूप कर्मचारी के लिए विकासात्मक लक्ष्यों की स्थापना हेतु एक आधार की व्यवस्था करने में समर्थ होती है ।

चूंकि यह कार्य- विशिष्ट होता है तथा निष्पत्ति के मूल्यांकन की यह दृश्य तथा मापांकनीय व्यवहार की अन्त: पहचान करती है यह अधिक विश्वसनीय तथा वैध विधि है ।

BARS के व्यवस्थित अध्ययनों ने सिद्धान्तविदों तथा प्रैक्टिसनर्श दोनों के द्वारा अध्ययनार्थ एक उर्वरक जमीन की व्यवस्था की है । BARS अनुभव ने मूल्यांकन प्रक्रिया की तीन महत्वपूर्ण विवादास्पद स्थितियों को वर्गीकृत करने में सहायता की है ।

एक विवाद रेटिंग विषयवस्तु का अर्थात् Trait Vs. Job Related का समावेश करता है । दूसरा विवाद निष्पति की बहुआयामी प्रकृति (Multidimensional Nature of Performance) का समावेश करता था ।

मूल्यांकन के प्रशासनिक उपयोगों ने रेटिंग तंत्रों को प्रोत्साहित किया है ताकि निष्पत्ति का एक सर्वांगीण मानदण्ड तैयार किया जा सके, जो कार्य परिणामों के प्रति महत्वपूर्ण परिणाम क्षेत्रों (Performance Dimension) में निष्पत्ति के अन्तरों को चिह्नित करने के लिए उद्यत रहे ।

तीसरे विवाद में रेटिंग पैमानों को Anchor करने के लिए सर्वाधिक प्रभावी तरीके का विषय (Numerical या Behavioural) शामिल था । व्यावहारिक रूप से स्केलों को Anchor करके BARS व्यवस्था से आशा की गई कि मापांकन विभ्रमों (उदारता, Halo Effect, Central Tendency, आदि) को करके अधिक वैद्य तथा विश्वसनीय परिणामों को उत्पन्न कर सकें ।

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