Read this article in Hindi to learn about:- 1. Relationship between Morale and Job Satisfaction 2. Determinants of Morale and Job Satisfaction 3. Levels 4. Relationship between Morale, Job-Satisfaction and Performance.  

मनोबल तथा कार्य-सन्तुष्टि में सम्बन्ध (Relationship between Morale and Job Satisfaction):

मनोबल तथा कार्य-सन्तुष्टि से गहन सम्बन्ध होता है । दोनों ही मनुष्य के मस्तिष्क से जुड़े हैं । मनोबल बढ़ेगा तो मनुष्य की कार्य शक्ति को बढ़ावा मिलेगा तथा यदि उसे अपने कार्य में सन्तुष्टि का अनुभव होगा तो भी यह कार्य करने के लिए प्रेरित होगा ।

दोनों का ही मनुष्य की कार्य की दशाओं पर समान प्रभाव पड़ता है । ऐसे अनेक तत्व हैं जो कि मनोबल को भी प्रभावित करते हैं तथा कार्य सन्तुष्टि को भी । इनको यदि एक-दूसरे के स्थान पर भी प्रयोग किया जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी ।

परन्तु फिर भी कुछ तो अन्तर होता ही है वरना एक ही शब्द प्रयोग किया जाता । मनोबल का दृष्टिकोण व्यापक होता है । मनोबल कर्मचारी के अपने कार्य के वातावरण, सहयोगियों, संस्था के उद्देश्यों तथा अपने कार्य के प्रति व्यापक दृष्टिकोण की झलक देता है जबकि कार्य सन्तुष्टि का वैयक्तिक सम्बन्ध होता है ।

कोई व्यक्ति अपने कार्य के व्यक्तिगत रूप से सन्तुष्ट है या नहीं, इस तथ्य पर निर्भर करता है । यदि किसी समूह के सदस्य अपने कार्यों से सन्तुष्ट हैं तो इसका प्रभाव होगा कि सामूहिक रूप से उनका मनोबल बढ़ेगा, अत: इस प्रकार इनका सम्बन्ध आपस में बना ही रहा ।

मनोबल तथा कार्य सन्तुष्टि के निर्धारक (Determinants of Morale and Job Satisfaction):

संगठन के अन्तर्गत ऐसे अनेक तत्व होते हैं जो कि मनोबल तथा कार्य-सन्तुष्टि को निर्धारित करते हैं ।

ये निम्नलिखित हैं:

1. संगठन सम्बन्धी विस्तार तत्व (Organisation-Wide Factors):

इन तत्वों का सम्बन्ध वेतन, सुविधायें, पदोन्नति के अवसरों से होता है । मनुष्य अन्य संगठनों से यह तुलना करता है कि उसी स्तर में अन्य लोगों को क्या मिल रहा है तथा दूसरों की तुलना में वह किन-किन सुविधाओं से वंचित है ।

इनके अतिरिक्त संगठन की नीतियाँ भी इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि मनुष्यों पर अनेक प्रकार के प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं तथा उन्हें नीतियों में बांधा जा सकता है अथवा स्वतन्त्रता प्रदान की जा सकती है ।

2. कार्य के वातावरण सम्बन्धी तत्व (Immediate Work Environment Factors):

इस श्रेणी के अन्तर्गत निरीक्षण की विधि, निर्णय लेने में भागीदारी के अवसर, कार्य समूह, कार्य समूहों में सम्बन्धों की प्रकृति तथा कार्य करने की दशायें महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जो कि कार्य सन्तुष्टि को प्रभावित करते हैं ।

3. व्यक्तिगत तत्व (Personal Factors):

ये तत्व व्यक्ति के व्यक्तिगत गुणों से सम्बन्धित होते हैं, जैसे- आयु, अनुभव एवं व्यक्तित्व । अनुभव का अपना विशेष महत्व होता है व्यक्तित्व सम्बन्धी तत्व; जैसे- उपलब्धि, शक्ति, स्वतन्त्रता सम्बन्धी आवश्यकतायें सन्तुष्टि प्रदान करती हैं ।

व्यक्ति जो अपने कार्य की सुरक्षा (Job-Security) चाहते हैं वे सरकारी उपक्रमों को प्राथमिकता देते हैं भले ही कार्य की प्रकृति कुछ भी हो तथा कार्य की दशायें कुछ भी हों । वे व्यक्ति कार्य की सुरक्षा में ही सन्तुष्टि का अनुभव करते हैं ।

इस प्रकार देखने में आता है कि कुछ तत्व मनोबल की तुलना में कार्य सन्तुष्टि से अधिक सम्बन्धित होते हैं जबकि अन्य तत्व कार्य सन्तुष्टि की तुलना में मनोबल से अधिक सम्बन्धित होते हैं ।

मनोबल तथा कार्य सन्तुष्टि के स्तर (Levels of Morale and Job-Satisfaction):

मनोबल तथा कार्य सन्तुष्टि के विभिन्न स्तर होते हैं जो कि समय-समय पर परिवर्तित होते रहते हैं । यही कारण है कि कुछ मनुष्य अधिक अनुभवी होते हैं तथा उच्च कार्य सन्तुष्टि एवं मनोबल रखते हैं जबकि दूसरे निम्न मनोबल के होते हैं तथा कार्य से भी कम सन्तुष्ट होते हैं अचानक ऐसी घटनायें घटित हो जाती हैं जिनसे मनुष्य का मनोबल तुरन्त गिर जाता है ।

यदि किसी संगठन से कुछ कर्मचारियों को अनुशासन भंग के आरोप में निकाल दिया जाता है तो इसके प्रभाव से अन्य कर्मचारी, जो कि कार्यरत हैं, भी सावधान होंगे तथा सामूहिक रूप से अपने मनोबल को गिरा हुआ समझेंगे ।

इसी के साथ-साथ यदि एक साथ कार्य करने वाले समूह में कुछ कर्मचारियों की पदोन्नति कर दी जाती है तथा दूसरों को अज्ञात कर दिया जाता है अर्थात् उनका कुछ नहीं किया जाता है तो निश्चित रूप से उनके मनोबल को ठेस पहुँचेगी यदि अच्छा कार्य करने पर कुछ पुरस्कार दिया जाता है तो मनोबल की बढ़ोतरी होगी ।

मनोबल, कार्य-सन्तुष्टि तथा निष्पादन में सम्बन्ध (Relationship between Morale, Job-Satisfaction and Performance):

यह निश्चित है कि संगठन के सदस्यों की उत्पादकता तथा निष्पादन, मनोबल तथा कार्य-सन्तुष्टि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं । अन्य शब्दों में मनोबल तथा कार्य सन्तुष्टि के सामान्य स्तर निष्पादन के स्तरों को निर्धारित करते हैं । यह तो कटु सत्य है कि एक सन्तुष्ट कर्मचारी उच्च निष्पादक होता है ।

यदि प्रबन्धकगण अपने कर्मचारियों, अधीनस्थों को प्रसन्न रखने तथा उन्हें सन्तुष्ट करने में सफल हो सकेंगे तो निश्चित है कि उन्हें कार्य का प्रत्याय (Return) अच्छा मिलेगा तथा उच्च उत्पादकता को प्राप्त कर सकेंगे ।

यह भी पूर्णरूपेण सत्य है कि कार्य सन्तुष्टि जितनी अधिक होगी, संगठन की उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होगी । कभी-कभी यह भी होता है कि कुछ कर्मचारी कार्य की दशाओं से पूर्ण रूप से सन्तुष्ट होते हैं परन्तु उच्च उत्पादकता देने में निष्फल रहते हैं ।

यदि अन्य तत्व पक्ष में नहीं होंगे तो मनोबल तथा कार्य-सन्तुष्टि के उच्च स्तर होने पर भी निष्पादनशीलता निम्न ही रहेगी । बहुत से संगठन ऐसे होते हैं जो कि उच्च मनोबल तथा सन्तुष्टि को अधिक महत्व प्रदान करते हैं । निम्न मनोबल तथा व्यक्तियों से कार्य की दशायें सन्तुष्ट न होने के कारण संगठन की सफलता के स्वप्न नहीं देखे जा सकते ।

अनेक संगठन तथा उच्च प्रबन्धकगण मनोबल तथा कार्य सन्तुष्टि के स्तरों को जानने में रुचि दिखाते हैं । संगठनों में मनोबल तथा कार्य सन्तुष्टि को मापने के लिए अनेक निरीक्षण किये जाते हैं । इस सम्बन्ध में सूचनायें प्राप्त करने का कार्य अनेक विधियों से किया जाता है, जैसे- व्यक्तिगत साक्षात्कार द्वारा प्रत्यक्ष जाँच पड़ताल तथा प्रश्न इत्यादि पूछकर ।

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