Read this article in Hindi to learn about the nine main objectives of wages and salary administration. The objectives are: 1. To Maintain Internal and External Equity 2. To Attract Talent 3. To Retain the Present Manpower 4. To Ensure Desired and Innovative Behaviour 5. Control over Costs 6. Implement of Legal Rules and a Few Others.
Objective # 1. आन्तरिक एवं बाह्य सन्तुलन स्थापित करना (To Maintain Internal and External Equity):
यह प्रशासन का महत्वपूर्ण उद्देश्य है । यह दो तरह की समानता को शामिल करता है । प्रथम आन्तरिक समानता जिसके अन्तर्गत प्रबन्धक यह प्रयास करता है कि प्रत्येक श्रमिक को संस्था में उसी तरह का कार्य करने वाले श्रमिक के समान मजदूरी प्राप्त करें ।
इसका अर्थ यह भी है कि पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए । परन्तु यदि कार्य भिन्न प्रकृति का है तो यह समानता वहाँ सम्भव नहीं हो सकती । दूसरी तरह की समानता बाह्य स्तर की कहलाती है । इसके अन्तर्गत प्रबन्ध का यह प्रयत्न करता है कि श्रमिकों को संस्था के अन्य कार्यों की तुलना में भी उचित वेतन प्राप्त हो ।
Objective # 2. निपुण श्रमिकों को आकर्षित करना (To Attract Talent):
शिक्षित एवं योग्य कर्मचारी संस्था की मानव सम्पत्ति होते हैं । संस्था की सफलता काफी हद तक उन पर निर्भर होती है । आज के युग में प्रत्येक संस्था योग्य एवं शिक्षित श्रमिक चाहती है । परन्तु प्रत्येक योग्य कर्मचारी उसी संस्था में कार्य करता है जो उसे अधिकाधिक मौद्रिक आय प्रदान करती है ।
बेशक अन्य प्रेरणाएँ भी महत्वपूर्ण होती हैं परन्तु मजदूरी/वेतन मुख्य विषय होता है । अत: योग्य एवं शिक्षित व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए एक आकर्ष मजदूरी अथवा वेतन स्तर अति आवश्यक है ।
Objective # 3. वर्तमान मानव संसाधनों को बनाए रखना (To Retain the Present Manpower):
मानव साधनों को प्राप्त करने के पश्चात् एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य उन्हें संस्था में बनाए रखना होता है । यदि मजदूरी या वेतन उनकी अपेक्षा अनुसार नहीं है तो वे संस्था को छोड़कर जा सकते हैं । अत: इसलिए भी वेतन/मजदूरी का स्तर महत्वपूर्ण रहता है ।
Objective # 4. अपेक्षित एवं प्रेरणात्मक व्यवहार निश्चित करना (To Ensure Desired and Innovative Behaviour):
श्रमिकों की संस्था के प्रतिबिम्ब, उत्साह एवं कार्यशीलता का मजदूरी की दर से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है । यदि मजदूरी की दर काफी प्रतियोगी है तो प्रत्येक श्रमिक उत्साहपूर्ण कार्य करता है । प्रबन्ध भी अपनी आवश्यकतानुसार उनसे कार्य ले सकता है ।
इसके अतिरिक्त एक सन्तुष्ट श्रमिक नये-नये तरीकों से कार्य करता है । अत: यह अच्छी पारिश्रमिक नीति संस्था की उत्पादकता में वृद्धि करती है तथा श्रमिकों में लगन एवं उत्साह उत्पन्न करती है ।
Objective # 5. लागतों पर नियन्त्रण (Control over Costs):
मजदूरी एवं वेतन किसी भी वस्तु की उत्पादन लागत का एक महत्वपूर्ण अंग होती है । एक नियोजित एवं संगठित मजदूरी एवं वेतन व्यवस्था से लागत पर नियन्त्रण किया जा सकता है ।
श्रमिकों को न तो कम तथा नही अत्याधिक भुगतान किया जाना चाहिए । एक सन्तुलित व्यवस्था को स्थापित करके लागत पर काफी हद तक नियन्त्रण सम्भव है ।
Objective # 6. वैधानिक नियम लागू करना (Implement of Legal Rules):
प्रत्येक संस्था को सरकार द्वारा बनाए गए वैधानिक नियमों को भी लागू करना होता है । इस तरह से एक नियोजित एवं व्यवस्थित मजदूरी एवं वेतन व्यवस्था वैधानिक आवश्यकता की भी पूर्ति करती है ।
Objective # 7. मजदूर संगठनों से व्यवहार (Dealing with Trade Unions):
एक पूर्व नियोजित मजदूरी एवं वेतन व्यवस्था के द्वारा मजदूर संगठनों से बड़ी आसानी से निपटा जा सकता है । इस व्यवस्था के अन्तर्गत कार्य, कार्य स्तर, कार्य दशाएँ इत्यादि की पूर्णरूप पड़ताल करने के पश्यता निर्धारित की जाती है । अत: मजदूर संगठनों का विरोध स्वयं ही कम होता जाता है ।
Objective # 8. औद्योगिक शान्ति स्थापित करना (To Maintain Industrial Peace):
जैसा कि सभी जानते हैं कि औद्योगिक विवादों का मुख्य विषय मजदूरी या वेतन ही रहता है । परन्तु एक पूर्ण रूप से स्वीकार्य मजदूरी या वेतन व्यवस्था स्थापित होने के बाद विवाद के इस विषय पर नियन्त्रण सम्भव है । अत: औद्योगिक शान्ति स्थापित करने का उद्देश्य भी प्राप्त किया जा सकता है ।
Objective # 9. मजदूरी में अन्तर की न्यायोचितता (Justification of Wage Different):
प्रत्येक संस्था में मजदूरों को उनकी योग्यता एवं ज्ञान के आधार पर मजदूरी या वेतन दिया जाता है । कुशल श्रमिकों का भुगतान सामान्यत: दूसरों की अपेक्षा अधिक होता है । परन्तु यह व्यवस्था इस अन्तर के कारणों को भी स्पष्ट करती है तथा पक्षपात के अवसरों को न्यूनतम करने का प्रयास करती है ।
अत: यह कहा जा सकता है कि मजदूरी एवं वेतन व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एक न्यायोचित एवं स्वीकार्य नीति तैयार करना है । यह व्यक्तिगत अन्तरों को भी ध्यान में रखती है ।
इसके अतिरिक्त सहायक उद्देश्यों के अन्तर्गत एक लागत प्रभावी व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया जाता है । एक प्रभावी प्रणाली के द्वारा श्रमिकों तथा नियोक्ता के विरोधाभासों को भी समन्वित करने का प्रयास किया जाता है ।