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संगठन विभिन्न विभागों, व्यक्तियों तथा अन्य संसाधनों के बीच संरचनात्मक सम्बन्धों के सृजन की अपेक्षा करता है ताकि वांछित लक्ष्य प्राप्त हो सकें । संगठन के लोगों के बीच औपचारिक सम्बन्ध उसकी सफलता के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक होता है ।

इसी कारण बहुधा यह कहा जाता है कि संगठन की प्रक्रिया में अपेक्षित परिणाम उत्पन्न करने के लिए प्रभावी तरीके से संगठन में काम कर रहे लोगों के प्रयासों के एकजुट करने तथा समन्वित करने का समावेश किया जाता है ।

संगठन के विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे लोगों के प्रयासों को एकजुट करने तथा समन्वित करने के लिए अधिकार तथा उत्तरदायित्व के रूप में उनके बीच उचित सम्बन्ध स्थापित किया जाना चाहिये ।

इसके लिए संगठनात्मक संरचना के निम्न में से किसी भी प्रकार की स्थापना की जा सकती है:

1. रेखीय संगठन (Line Organisation) ।

2. रेखीय तथा स्टॉफ संगठन (Line and Staff Organisation) ।

3. क्रियात्मक संगठन (Functional Organisation) ।

1. रेखीय संगठन (Line Organisation):

यह संगठनात्मक संरचना का सरलतम तथा प्राचीन स्वरूप है था इसको सोपान या सौनिक संगठन के रूप में भी जाना जाता है । इस संरचना में, रेखीय अधिसत्ता लम्बवत तौर पर सर्वोच्च अधिकारी से निम्नतम अधीनस्थ तक समा उपक्रम में प्रवाहित होती है । शीर्ष पर अधिसत्ता अधिकतम होती है तथा संगठन के प्रत्येक अगले स्तर पर कम होती जाती है ।

संगठन की रेखीय संरचना को नीचे दिखाया जा रहा है:

यह प्राथमिक कार्यों जैसे उत्पादन तथा विपणन के क्रियात्मक विभेदीकरण द्वारा निर्मित होता है । संगठन में सभी व्यक्ति इन दोनों कार्यों की प्रत्यक्ष कमान श्रृंखला (Direct Chain of Command) में होते हैं ।

जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, कार्मिक कार्य स्वतंत्र तौर पर संगठित नहीं किये जाते । यह उत्पादन विभाग के अंतर्गत आता है । कार्मिक अधिकारी सीधे ही उत्पादन प्रबन्धक को रिपोर्ट करता है ।

एक बड़े उपक्रम में कार्मिक विभाग को आगे उपप्रखण्डों में विभाजित किया जा सकता है जैसे अभिप्राप्ति (Procurement), प्रशिक्षण (Training), मजदूरी प्रशासन (Wage Administration) तथा कल्याण सुविधाएं (Welfare Facilities) ।

लेकिन एक छोटे संगठन में इन कार्यों को रेखीय फोरमैन द्वारा निष्पादित किया जा सकता है जो जब आवश्यकता हो कार्मिक अधिकारी की मदद ले सकता है ।

रेखीय संगठन में आदेश की एकता विद्यमान रहती है । अधिसत्त सम्बन्ध पूर्णत: स्पष्ट होते हैं तथा उपक्रम में पूरा अनुशासन होता है । लेकिन रेखीय संगठन लोचदार नहीं होता । यह अतिरिक्त कर्तव्यों के निर्वाह में अपने-अपने व्यक्तिगत क्षेत्रों में रेखीय अधिकारियों को विवश करता है ।

उनके लिए विशेष ज्ञान की अपेक्षा करते हुए जिनके लिए उनको विशेष तौर पर हो सकता है समायोजित न किया गया हो, यह अपनी निजी योग्यताओं तथा संसाधनों पर निर्भर प्रत्येक प्रशासक को छोड़ता है तथा कार्मिक वित्त वैधानिक तथा गुणवत्ता नियंत्रण जैसे विषयों में उसको विशिष्टीकृत स्टॉफ सहायता देने में असफल होता है । रेखीय संगठन में विशेष ध्यान जवाबदेही की श्रृंखलाओं की स्पष्टता के कारण लम्बवत सम्बन्ध पर होता है ।

2. रेखीय तथा स्टॉफ संगठन (Line and Staff Organisation):

रेखीय संरचना तथा साथ ही क्रियात्मक या विशेषज्ञ परामर्श दोनों के लाभ पाने के लिए रेखीय तथा स्टॉफ संरचना प्रतिपादित की जा चुकी है ।

इसके अन्तर्गत संगठनात्मक संरचना मूलत: रेखीय संगठन की होती है लेकिन स्टॉफ अधिकारी जो क्रियात्मक विशेषज्ञ होते हैं अपने क्षेत्रों के बाहर अपने कर्तव्यों के निर्वाह में रेखीय अधिकारियों को सलाह देने के लिए संलग्न रहते हैं जिनके लिए वे विशेष तौर से उपयुक्त नहीं होते । प्रत्येक स्टॉफ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से या अपने सहायकों के माध्यम से प्रत्येक विभागीय अध्यक्ष को स्टॉफ सहायता प्रदान करता है ।

जैसा नीचे दिखाया गया है:

अधिकांश व्यावसायिक उपक्रमों में सिवाय बहुत छोटे उपक्रमों के इस प्रकार की संरचना होती है क्योंकि प्रबन्ध की कतिपय समस्याएँ पर्याप्त तौर पर जटिल बन चुकी हैं तथा इनसे निपटने के लिए विशेषज्ञ परामर्श (Expert Advice) आवश्यक होती है ।

कार्मिक विभाग को स्थापित किया जाता है कार्मिक विषयों पर अन्य सभी विभागों को परामर्श देने के लिए एक स्टॉफ विभाग के रूप में । ‘Line’ एवं ‘Staff’ मदों के अर्थों के बारे में कोई मतिभ्रम नहीं होना चाहिये ।

‘Line’ से ऐसी पदस्थितियों तथा संगठन के तत्वों का सन्दर्भ लिया जाता है जिनका उत्तरदायित्व तथा अधिसत्ता होती है तथा प्राथमिक उद्देश्यों की अभिप्राप्ति हेतु जवाबदेह होते हैं । स्टॉफ तत्व वे तत्व होते हैं जिनकी उद्देश्यों की अभिप्राप्ति में ‘रेखीय’ के प्रति परामर्श तथा सेवा प्रदान करने के लिए उत्तरदायित्व तथा अधिसत्ता होती है ।

कभी-कभी रेखीय तथा स्टॉफ संरचना द्वारा रेखीय तथा स्टॉफ प्रशासकों के बीच टकराव के कारण कठिनाइयाँ उत्पल की जाती हैं । टकराव उत्पन्न होते हैं जब स्टॉफ अधिकारी Line Order के रूप में उनके परामर्श की समीक्षा करते हैं या जब स्टॉफ अफसर लाइन अफसरों के आदेशों को निरस्त करते हुए अधीनस्थों को आदेश जारी करना प्रारम्भ करते हैं ।

इन तनावों को रेखीय तथा स्टॉफ संकल्पनाओं तथा प्रत्येक के अपने-अपने कार्यक्षेत्र को उचित समझ द्वारा हल किया जा सकता है । संगठन की मैनुअल को एक अत्यन्त स्पष्ट रूप में रेखीय तथा स्टॉफ अधिकारियों की अधिसत्ता की अभिव्यक्ति करनी चाहिये ।

रेखीय तथा स्टॉफ संगठन संरचना को लोकप्रियता मिल चुकी है क्योंकि प्रबन्ध की कतिपय समस्याएँ इतनी जटिल बन गई है कि उनसे निपटने के लिए विशेषज्ञ ज्ञान आवश्यक हो जाता है जो स्टॉफ अफसरों द्वारा प्रदान किया जा सकता है । उदाहरण के लिए कार्मिक विभाग को एक स्टॉफ विभाग के रूप में स्थापित किया जाता है कार्मिक मामलों पर शीर्ष अधिकारियों को तथा अन्य रेखीय अधिकारियों को परामर्श देने के लिए ।

इसी तरह से लेखा कानून तथा सार्वजनिक सम्बन्ध विभागों को लेखांकन वैधानिक विषयों तथा जनसम्पर्क से जुड़ी समस्याओं पर परामर्श देने के लिए स्थापित किया जा सकता है । रेखीय तथा स्टॉफ संगठन महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञ तथा अद्यतन सूचनाओं की आवश्यकता के कारण रेखीय संगठन की तुलना में एक बड़े संगठन के प्रति अधिक उपयुक्त होता है ।

अन्तत: ‘Line’ स्वतंत्र तौर पर विद्यमान हो सकती है लेकिन स्टॉफ अपने अस्तित्व के लिए रेखीय संगठन पर भारी तौर पर झुकता है । रेखीय प्रबन्धक रेखीय तथा स्टॉफ संगठन के मामले में स्टॉफ विशेषज्ञों की विशिष्ट सलाह का उपयोग कर सकता है । अत: रेखीय तथा स्टॉफ संगठन निश्चय ही रेखीय संगठन की अपेक्षा अच्छा होता है ।

3. क्रियात्मक संगठन (Functional Organisation):

क्रियात्मक संगठन के अन्तर्गत उपक्रम की सभी गतिविधियों को कुछ कार्यों के अनुसार एक साथ ग्रुप कर दिया जाता है जैसे उत्पादन, विपणन, वित्त तथा कार्मिक एवं प्रत्येक कार्य को एक विशेषज्ञ (Specialist) को प्रभारित कर दिये जाते हैं ।

अत: प्रत्येक क्रियात्मक अध्यक्ष (Functional Head) सम्पूर्ण उपक्रम के लिए एक विशिष्ट कार्य करता है । अधिसत्ता क्रियात्मक तौर पर Divisional Heads तक जाती है ।

प्रत्येक डिवीजन उत्पादन के सम्बन्ध में एक विशेषज्ञ को रिपोर्ट करता है, कर्मचारियों के सम्बन्ध में एक अन्य विशेषज्ञ को रिपोर्ट करता है, तथा इसी प्रकार अलग-अलग विशेषज्ञों को विभिन्न गतिविधियाँ रिपोर्ट की जाती है ।

जैसा नीचे चित्र में दिखाया गया है:

 

इस संरचना का उद्देश्य होता है रेखीय पदस्थितियों में विशेषज्ञों की नियुक्ति करना ।

इस संरचना की अभिकल्पना वैज्ञानिक प्रबन्ध के जनक F. W. Taylor ने की थी जिन्होंने सुझाव दिया था कि 10 से 20 श्रमिकों के प्रभारी के तौर पर एक फोरमैन को रखने का सामान्य अभ्यास चलाने के स्थान पर विभिन्न क्रियात्मक क्षेत्रों में श्रमिकों को निर्देशित करने के लिए निम्न विशेषज्ञों की नियुक्ति की जानी चाहिये:

(i) कार्यक्रम लिपिक (Route Clerk),

(ii) संकेत कार्ड लिपिक (Instruction Card Clerk),

(iii) समय एवं परिव्यय लिपिक (Time and Cost Clerk),

(iv) अनुशासक (Disciplinarian),

(v) टोली नायक (Gang Boss),

(vi) गति नायक (Speed Boss),

(vii) जीर्णोद्धार नायक (Repair Boss),

(viii) निरीक्षक (Inspector) ।

संरचना में एक क्रियात्मक सम्बन्ध (Functional Relationship) होता है क्योंकि प्रत्येक कर्मचारी अनुशासन के मामले में अनुशासक के प्रति उत्तरदायी होती है, अपने कार्य की गति के मामले में गति नायक के प्रति जवाबदेह होता है आदि । यह क्रियात्मक संगठन का अतिरंजित स्वरूप होता है । क्रियात्मक संगठन जिसका टेलर द्वारा पूर्ण रूप से समर्थन किया गया था आज पूरी तरह से कहो नहीं पाया जाता । अनेक बड़े-बड़े उपक्रमों में शीर्ष संरचना तो क्रियात्मक प्रकार की ही होती है ।

लेकिन टेलर की मौलिक योजना में क्रियात्मक नियंत्रण क्रियात्मक स्तर (Operative Level) तक जाता था । क्रियात्मक संगठन श्रम विभाजन (Division of Work) पर आधारित है तथा इसलिए इसमें विशिष्टीकरण के सभी लाभ मिलते हैं ।

क्रियात्मक अधिकारी अपने-अपने विशिष्ट क्षेत्रों से बाहर के कामों को करने की आवश्यकता से मुक्त हो जाते हैं तथा उनको विशेषज्ञ परामर्श (Expert Counsel) तथा सलाह अपने कार्यों के निर्वाह में जब भी जरूरी होती है ऑफर कर दी जाती है ।

जहाँ तक प्रबन्धकीय नियंत्रण का प्रश्न है, प्रयासों का समन्वय तथा अनुशासन बुरी तरह से बाधित हो जाता है । अधिसत्ता की प्रखर श्रृंखलाओं (Sharplines of Authority) तथा प्रभावोत्पादकता का अभाव होता है ।

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