Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning of Performance Appraisal 2. Definitions of Performance Appraisal 3. Objects 4. Role 5. Methods.

Essay Contents:

  1. निष्पादन मूल्यांकन का अर्थ (Meaning of Performance Appraisal)
  2. निष्पादन मूल्यांकन का परिभाषाएँ (Definitions of Performance Appraisal)
  3. निष्पादन मूल्यांकन के उद्देश्य (Objects of Performance Appraisal)
  4. निष्पादन मूल्यांकन का प्रबन्धकीय निर्णयन में महत्व (Role of Performance Appraisal in Management Decisions)
  5. निष्पादन मूल्यांकन की विधियाँ (Methods of Performance Appraisal)


1. निष्पादन मूल्यांकन का अर्थ (Meaning of Performance Appraisal):

प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यताओं तथा रुझानों की दृष्टि से एक-दूसरे से अलग होता है । ये अन्तर एक सीमा तक प्राकृतिक होते हैं तथा इनको समान मौलिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण देकर भी समाप्त नहीं किया जा सकता ।

एक ही पद पर विभिन्न कर्मचारियों द्वारा किये गये कार्य की गुणवत्ता तथा मात्रा में भी कुछ अन्तर पाये जायेंगे । अत: यह आवश्यक होता है कि प्रबन्ध इन अन्तरों को जाने ताकि अच्छी योग्यताओं वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जा सके तथा स्थानान्तरणों के माध्यम से कर्मचारियों की गलत नियुक्तियों को सुधारा जा सके ।

व्यक्तिगत कर्मचारी भी अपने साथी कर्मचारियों (Fellow Employees) की तुलना में अपनी निष्पत्ति के स्तर को जानने में रुचि ले सकते हैं । अत: प्रत्येक कर्मचारी की सापेक्षिक योग्यता (Merti) के मापांकन हेतु उपयुक्त निष्पत्ति आकलन की अत्यन्त आवश्यकता होती है ।

निष्पादन मूल्यांकन (Performance Appraisal) का मौलिक उद्देश्य उस संगठन के प्रति एक कर्मचारी के मूल्य के व्यवस्थित निर्धारण को सुचारु बनाना होता है जिसका वह एक भाग है ।

वैसे एक कर्मचारी के मूल्य का उचित निर्धारण केवल ऐसे अनेक घटकों के आकलन द्वारा ही किया जा सकता है जिसमें से कुछ घटक तो व्यापक वस्तुनिष्ठ (Objective) होते हैं जैसे उपस्थिति (Attendance) जबकि कुछ अन्य अत्यन्त व्यक्तिनिष्ठ (Subjective) जैसे रुझान तथा व्यक्तित्व (Attitude and Personality) ।

वस्तुनिष्ठ घटकों का मूल्यांकन मानवीय संसाधन या कार्मिक विभाग द्वारा रखे गये रिकॉर्डों के आधार पर सही-सही किया जा सकता है लेकिन व्यक्तिनिष्ठ घटकों को स्टॉक तौर पर मापने के लिए कोई मानक तंत्र विद्यमान नहीं है ।

इन सबकी अनदेखी करते हुए, इन घटकों का मूल्यांकन प्रत्येक कर्मचारी के गुणों के पूर्ण आकलन को प्राप्त करने के लिए किया ही जाना चाहिए । निष्पादन मूल्यांकन को अनेक नामों से जाना जाता है । जैसे निष्पत्ति आकलन (Performance Evaluation), प्रगति समीक्षा (Progress Rating), गुण मापांकन (Merit Rating या Merti Evaluation), आदि ।

निष्पादन मूल्यांकन का अर्थ कर्मचारी के अधीक्षक (Supervisor) या गुण मूल्यांकन की तकनीक में दक्ष किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रत्येक कर्मचारी के व्यक्तित्व तथा निष्पत्ति का व्यवस्थित मूल्यांकन है ।

यह व्यक्तिगत गुणों या कमजोरियों तथा अपने-अपने कार्यों की अपेक्षाओं के तौर पर एक कार्य ग्रुप में व्यक्तिगत कर्मचारियों की तुलना हेतु विभिन्न मूल्यांकन तकनीकों को काम में लाता है ।

निष्पादन मूल्यांकन का अर्थ किसी पद पर कर्मचारियों द्वारा किये गये कार्य के सुव्यवस्थित निष्पक्ष एवं तुलनात्मक मूल्यांकन से है । इसमें कर्मचारी के कौशल, कार्य निष्पादन, क्षमता तथा सम्पूर्ण व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है ।


2. निष्पादन मूल्यांकन का परिभाषाएँ (Definitions of Performance Appraisal):

निष्पादन मूल्यांकन को योग्यता निर्धारण भी कहा जाता है जिसे विभिन्न विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है:

1. फिलिप्पो (Flippo) के शब्दों में- ”निष्पादन मूल्यांकन एक सुनियोजित एवं समय-समय पर किया जाने वाला एक व्यक्ति की क्षमताओं का निष्पक्ष मूल्यांकन है जो व्यक्ति के वर्तमान कार्य का मूल्यांकन तथा भविष्य के अधिक ऊँचे कार्य के प्रति अनुमान लगाता है । यह मूल्यांकन सुनियोजित होता है क्योंकि सभी लोगों के निष्पादन मूल्यांकन के लिए एक ही प्रणाली का प्रयोग किया जाता है तथा एक ही ढंग का कार्य का जाता है । यह मूल्यांकन समय-समय पर किया जाता है, आकस्मिक या विशेष अवसरों के आधार पर नहीं… इसका मुख्य उद्देश्य निष्पादन की सही माप ज्ञात करना है ।”

2. डेल योडर के शब्दों में- ”निष्पादन मूल्यांकन या कर्मचारी मूल्यांकन शब्द का आशय उन समस्त औपचारिक कार्यविधियों से है जिनका प्रयोग संगठन में कार्यरत कर्मचारियों के लिए किया जाता है ।”

3. बीच के अनुसार- ”निष्पादन मूल्यांकन व्यक्ति का उसके कृत्य निष्पादन के सन्दर्भ में तथा सम्भाव्य विकास के सन्दर्भ में व्यवस्थित मूल्यांकन है ।”

4. स्कॉट के अनुसार- ”एक कर्मचारी की योग्यता निर्धारण कार्य की अपेक्षाओं की भाषा में कार्य पर कर्मचारी के मूल्यांकन की प्रक्रिया है ।”

5. बट्टी के शब्दों में- “किसी विशेष कार्य का निष्पादन करने में प्रत्येक व्यक्ति की योग्यता का निर्धारण किया जाता है और जहाँ न्यायसंगत हो, एक अतिरिक्त भुगतान, जिसे ‘योग्यता-पुरस्कार’ कहा जाता है, दिया जाता है ।”

6. डेविस के शब्दों में- “निष्पादन मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसके दौरान समय अध्ययन करने वाला अभियन्ता अवलोकनाधीन परिचालक के निष्पादन या प्रभावकारी प्रयत्न की, एक न्यायोचित समय की तुलना में स्वयं अवलोकन की संकल्पना में उचित सम्पादन से तुलना करता है ।”

7. डाल्टन के अनुसार- “कर्मचारी-मूल्यांकन की किसी भी सुव्यवस्थित औपचारिक रीति का प्रयोजन अधीनस्थों के विषय में अधिशासी के विचार में वस्तुनिष्ठता की व्यवस्था करना है । अपेक्षित नियतकालिक मूल्यांकनों द्वारा प्रयुक्त प्रविधियों को नियमित करना भी एक उद्देश्य है जिससे कि व्यक्तियों के सम्बन्ध में निर्णय लेने में प्रयोग के लिए आधुनिकतम सूचना उपलब्ध हो ।”

इस प्रकार, निष्पादन मूल्यांकन का सम्बन्ध कर्मचारी द्वारा सम्पादित कृत्य से है जो उसके कौशल, क्षमता तथा परिणामों का अध्ययन करता है । निष्पादन मूल्यांकन को अन्य अनेक शब्दों द्वारा व्यक्त किया जाता है जैसे सेवा अंकन, कार्य, कार्यक्षमता अंकन, योग्यता मूल्यांकन आदि ।

निष्पादन मूल्यांकन कर्मचारी के व्यक्तित्व, कार्य एवं परिणाम सभी का सम्मिलित मूल्यांकन है; वह व्यक्ति के मूर्त रूप का नहीं अपितु उसके कौशल, कार्य तथा परिणामों का अध्ययन करता है ।


3. निष्पादन मूल्यांकन के उद्देश्य (Objects of Performance Appraisal):

निष्पादन मूल्यांकन का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों को पूर्ति के लिए किया जाता है:

(1) पदोन्नतियाँ (Promotions):

यही सम्भवत: निष्पादन मूल्यांकन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रशासकीय उपयोग है । यह प्रबन्ध तथा कर्मचारियों दोनों ही के समान हित में होता है कि कर्मचारियों की ऐसी पद-स्थितियों में पदोन्नति की जाये जहाँ उनकी योग्यताओं का सर्वाधिक कार्यक्षम उपयोग सम्भव हो सके ।

यह कुप्रबन्ध होता है कि कर्मचारियों की ऐसी पदस्थितियों में पदोन्नति कर दी जाये जहाँ वे प्रभावी तौर पर निष्पादन ही न कर पायें । एक भली प्रकार विकसित तथा प्रशासित निष्पादन मूल्यांकन प्रणाली यह निर्धारण करने में सहायक हो सकती है कि क्या व्यक्तियों की पदोन्नति के लिए विचार किया जाये ।

प्रणाली को कर्मचारी के वर्तमान पद के लिए मूल्यांकन करना चाहिये तथा अपेक्षाकृत ऊँचे पद के लिए उसकी क्षमताओं को देखना चाहिये । अपना काम भली प्रकार कर रहे एक व्यक्ति से यह अर्थ अनिवार्यत: नहीं लिया जा सकता है कि वह पदोन्नति के लिए पूर्णत: उचित है ।

(2) परस्पर तुलना में सहायक (Helpful in Mutual Comparison):

प्रत्येक कर्मचारी का समान आधार पर मूल्यांकन किये जाने के परिणामस्वरूप उनमें तुलना के लिए वैज्ञानिक आधार मिल जाता है तथा विभिन्न कर्मचारियों की क्षमता की आपस में तुलना की जा सकती है । योग्यता मूल्यांकन से प्राप्त निष्कर्ष न्यायपूर्ण व विश्वसनीय होते हैं और उनके आधार पर कुशल कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जा सकता है ।

(3) ऊँचा मनोबल (High Morale):

पदोन्नति का न्यायपूर्ण तथा पक्षपातरहित आधार होने से कर्मचारियों में पदोन्नति के प्रति भ्रम पैदा नहीं होता जिसके कारण उनका मनोबल ऊँचा रहता है ।

(4) पर्यवेक्षकों को लाभ (Advantages to Supervision):

उचित मूल्यांकन अधीक्षकों की पर्यवेक्षण क्षमता में वृद्धि करता है । एक पर्यवेक्षक को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों व उनके काम में भली-भांति परिचित होना

चाहिए । इससे उसे अपने आधीन कर्मचारियों की दुर्बलताओं की जानकारी प्राप्त हो जाती है, जिन्हें दूर करने के लिए वह उच्चस्तरीय प्रबन्ध को उचित सुझाव दे सकता है ।

(5) प्रबन्धक वर्ग की उपयोगिता (Utility for Managerial):

इससे प्राप्त सूचनाएँ प्रबन्धकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के विकास में सहायता पहुँचाती हैं तथा पदोन्नति, स्थानान्तरण व पद मुक्ति सम्बन्धी निर्णय लेने में भी प्रबन्धक का पथ प्रदर्शन करती हैं ।

ऐसे न्यायोचित निर्णयों से श्रम-सम्बन्धों में सुधार होता है तथा उपक्रम में औद्योगिक शान्ति की स्थापना होती है । प्रबन्धक वर्ग इसकी सहायता से कुशल व अकुशल कर्मचारियों में अन्तर कर सकता है ।

(6) स्थानान्तरण (Transfers):

एक संगठन में विभिन्न प्रकार के सेविवर्गीय कार्यों पर विचार किया जाना आवश्यक हो सकता है जैसे स्थानान्तरण, छँटनी, पद अवनतियाँ (Demotions) तथा निष्कासन (Discharges) ।

कुछ मामलों में, ऐसी कार्यवाही असंतोषजनक निष्पत्ति के कारण आवश्यक हो जाती है जबकि अन्य कुछ मामलों में ऐसा आर्थिक परिस्थितियों के कारण आवश्यक हो जाता है जिस पर संगठन का कोई नियंत्रण नहीं होता उत्पादकीय प्रक्रिया में परिवर्तनों के कारण । ऐसी कार्यवाहियों को यदि वे निष्पादन मूल्यांकन पर आधारित हों तो उन्हें उचित ठहराया जा सकता है ।

(7) मजदूरी तथा वेतन प्रशासन (Wages and Salary Administration):

कुछ मामलों में, मजदूरी वृद्धियाँ निष्पत्ति मूल्यांकन रिपोर्टों पर आधारित होती हैं । कुछ दशाओं में मूल्यांकन तथा वरिष्ठता (Appraisals and Seniority) को मिला-जुलाकर देखा जाता है ।

(8) प्रशिक्षण तथा विकास (Training and Development):

निष्पादन मूल्यांकन की एक उपयुक्त प्रणाली चातुर्यों या ज्ञान के ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने में सहायक हो सकती है जिनमें कुछ कर्मचारी एक स्तर तक नहीं पहुँचे हैं; इस प्रकार सामान्य प्रशिक्षण खामियों को इंगित करते हुए जिनको अतिरिक्त प्रशिक्षण विचार विनिमय या परामर्श (Additional Training, Discussions or Counseling) द्वारा ठीक किया जाना चाहिये ।

निष्पादन मूल्यांकन ऐसे दक्ष कर्मचारियों को खोजने में भी मदद कर सकती है जिनको प्रशासकीय चातुर्यों की एक इन्वैन्टरी (Inventory) बनाने के लिए प्रशिक्षण तथा विकसित किया जा सकता है ।

यह ऐसे क्षेत्रों की व्यवस्था भी कर सकती है जहाँ कर्मचारी/अधिकारी को आगे प्रशिक्षण दिया जा सकता है तथा ऐसे व्यवस्थित बनाया जा सकता है कि सेवानिवृत्ति तथा संवर्द्धन स्थितियों का भली प्रकार सामना कर सकें ।

(9) कार्मिक शोध (Personnel Research):

निष्पादन मूल्यांकन कार्मिक प्रबन्ध के क्षेत्र में शोध में भी सहायता करता है । मानवीय सम्बन्धों में विभिन्न सिद्धान्त कर्मचारियों तथा उनकी निष्पत्ति के बीच कारण तथा परिणाम सम्बन्ध ज्ञात करने के प्रयासों के परिणाम ही हैं ।

(10) आत्म सुधार (Self-Improvement):

निष्पादन मूल्यांकन कर्मचारियों की कमजोरियों को सामने लाता है । सद्भावना तथा आपसी सूझबूझ की भावना से ओतप्रोत बाँस तथा अधीनस्थ के बीच एक विचार विनिमय कर्मचारी को अवसर देता है कि संगठन के सामान्य ढाँचे में अपनी निष्पत्ति पर दृष्टिपात कर सके ।

वह तरीका जिसमें ऐसे विचार विनियम किये दिये जाते हैं कर्मचारी को अवसर देते हैं कि अपनी निष्पत्ति में सुधारार्थ या अपनी कमियाँ को दूर करने के लिए उपयुक्त कदम उठा सके । निष्पादन मूल्यांकन कर्मचारियों के प्रश्नों जैसे, ”मैं कैसे कर रहा हूँ ?” तथा मैं किस स्थिति में हूँ ? का बखूबी उत्तर दे पाता है ।

निष्पादन मूल्यांकन एक अन्य तरीके से मानव संसाधन विकास में मदद करता है । एक पदोन्नति का इच्छुक व्यक्ति ऐसे पद के लक्ष्य कार्यक्रमों के लिए मालूम कर सकता है जिसका वह इच्छुक है तथा स्वयं को कार्य के लिए तैयार करने हेतु निष्पादन मूल्यांकन द्वारा प्रदत्त सूचनाओं का उपयोग कर सकता है तथा अपनी उम्मीदवारी को आगे बढ़ा सकता है ।

निष्पादन मूल्यांकन का मूल्यांकन कर रहे व्यक्ति तथा मूल्यांकन के अन्तर्गत चल रहे व्यक्ति दोनों पर लाभकारी प्रभाव होता है । मूल्यांकन अधीक्षकों या प्रशासकों के ध्यान में स्पष्ट तौर पर अपने अधीनस्थों को मानवीय संसाधनों के रूप में जानने की महत्ता को ला पाता है ।

निष्पादन मूल्यांकन की आवश्यकता मूल्यनकर्त्ता (Appraiser) को मूल्यांकित लोगों की एक सविचार समीक्षा की ओर ले जाती है तथा उसको अधीनस्थों को विकसित करने में अवसरों तथा उत्तरदायित्वों के प्रति और अधिक चेतन्य बनाती है ।

यह जानने की एक प्रवृत्ति रहती है कि हमारे बारे में दूसरे कैसा महसूस करते हैं लेकिन हम अपनी आलोचना को शायद ही सुन सकें । मूल्यांकन का उद्देश्य उसको भड़काए बिना या रक्षात्मक रुख अपनाने के लिए मजबूर किये बिना कर्मचारी से सारी बात जानना होता है ।

दृष्टिकोण रहता है उसको अन्दर झाँकने देने का तथा वह भी एक ऐसे तरीके से कि वह एक रचनात्मक अभिप्रेरणा द्वारा आयी निष्पत्ति के सुधार हेतु उपयुक्त कदम उठाये । इस दृष्टि से किसी हद तक मूल्यांकनाधीन व्यक्ति (Appraise) की मदद की जाती है ।

वह स्वयं को संगठन के एक अहम भाग के रूप में माने तथा अपना सर्वोत्तम योगदान दे । यही समझ उसको अपना रुझान बदलने तथा आत्म सुधार के मार्ग पर चलने में मदद करती है ।


4. निष्पादन मूल्यांकन का प्रबन्धकीय निर्णयन में महत्व (Role of Performance Appraisal in Management Decisions):

निष्पादन मूल्यांकन के द्वारा प्रबन्धकों को निम्नलिखित के बार में निर्णय लेने में सहायता मिलती है:

(1) मजदूरी व वेतन प्रशासन (Wages and Salary Administration):

इसके द्वारा विभिन्न कर्मचारियों की पारिश्रमिक दरों को निर्धारित करने में आसानी रहती है ।

(2) पदोन्नति एवं स्थानान्तरण (Promotions and Transfers):

इससे यह ज्ञात हो जाता है कि कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है या नहीं, जिससे कि उसकी पदोन्नति तथा स्थानान्तरण के सम्बन्ध में विवेकपूर्ण व तर्कसंगत निर्णय लिए जा सकते हैं ।

(3) प्रशिक्षण (Training):

इससे कर्मचारियों के गुण-दोष का पता चलता है जिससे कि उनके प्रशिक्षण की सही विधि का चुनाव करने में सहायता मिलती है ।

(4) सेविवर्गीय अनुसन्धान (Personnel Research):

इससे प्रबन्धकों को यह ज्ञात हो जाता है कि उनकी चुनाव नीति में कहाँ दोष है, पर्यवेक्षक को भी यह पता लगता है कि कार्य में गति लाने तथा किस्म में सुधार करने की दृष्टि से उसे किस कर्मचारी को कितना अधिक पर्यवेक्षित करना चाहिए ।

सीमाएँ:

योग्यता या निष्पादन का सही अंकन एक कठिन कार्य है और इसमें पक्षपात की अधिक सम्भावना रहती है क्योंकि कोई भी विधि शत-प्रतिशत निष्पक्ष नहीं है इससे कर्मचारियों में असन्तोष पैदा होता है विशेषकर जब योग्य घोषित किए कर्मचारियों को उचित प्रतिफल नहीं मिलता ।

मूल्यांकन करने वाला व्यक्ति निपुण है तब भी उसके लिए एकरूपता रखना कठिन होता है । पूर्ण जानकारी के अभाव में भी अंकन में गलती हो सकती है । अंकन को अधिक निष्पक्ष बनाने के लिए जटिल पद्धतियाँ का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें श्रमिक समझ नहीं पाते तथा उनमें सन्देह पैदा है ।


5. निष्पादन मूल्यांकन की विधियाँ (Methods of Performance Appraisal):

निष्पादन मूल्यांकन की अनेक विधियाँ हैं जिनको निम्न दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

(1) परम्परागत विधियाँ (Traditional Methods) तथा

(2) आधुनिक विधियाँ (Modern Methods) ।

अनेक स्पष्ट कारणों से ये विधियाँ एक-दूसरे से अलग हैं । प्रथमत: वे आँके जाने वाले गुणों के स्रोत (Source of Traits or Qualities to be Rated) में अलग होती हैं । गुण (Qualities) कार्य की अपेक्षाओं, सांख्यिकीय अनिवार्यताओं तथा प्रबन्ध के विचारों में अन्तर के कारण भिन्न हो सकते हैं ।

उदाहरण के लिए ‘सहयोग’ (Cooperation) प्रबन्ध द्वारा हो सकता है अनिवार्य न माना जाये । तब यह कठिन हो जायेगा कि सहयोग जैसे घटकों का विश्वसनीय तौर पर मूल्यांकन किया जाए । द्वितीय, वे उस कवरेज में अलग हो सकते हैं कि किसका मूल्यांकन किया जा रहा है (Who is Being Rate) जैसे प्रशासक, विक्रयकर्त्ता, कारखाने के श्रमिक ।

तृतीय, अन्तर मूल्यांकन में प्रयासित सटीकता की मात्रा के कारण भी हो सकते हैं तथा अन्तत: उनमें विभिन्न गुणों के लिए भार (Weightage) पाने के लिए प्रयुक्त विधियों के सम्बन्ध में अन्तर हो सकता है ।

जहाँ तक व्यावहारिक हो, निष्पादन मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ घटकों पर आधारित होनी चाहिये । यह एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिये जिसको नियमित अन्तरालों पर किया जाये ।

मैरिट रेटिंग की किसी भी अच्छी प्रणाली से कर्मचारियों के निम्न व्यक्तिगत गुणों का आकलन करना चाहिये:

(i) कार्य की जानकारी (Knowledge of Work),

(ii) कार्य करने की सामर्थ्य (Ability to do the Work),

(iii) आऊटपुट की मात्रा तथा गुणवत्ता (Quality and Quantity of Output),

(iv) व्यक्तिगत गुण जैसे (Dependability, Adaptability, Initiative), आदि ।

(v) विशिष्ट गुण व जैसे भरोसा (Confidence), नेतृत्व (Leadership) आदि ।


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