Read this article in Hindi to learn about the pre-requisites of effective human resource development.
मानव संसाधन विकास संगठन में एक सशक्त संस्कृति के विकास में मदद करता है । इस संस्कृति से अभिप्राय है ऐसा वातावरण बनाना जहाँ कर्मचारी पतन करने एवं जोखिम उठाने के लिए अभिप्रेरित हों, उनमें प्रयोग करने का जोश हो, नवप्रवर्तन एवं कार्य करने के लिए तैयार हों । एक प्रभावशाली मानव संसाधन विकास के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है ।
इनमें से कुछ पूर्व निर्धारित शर्तें निम्नलिखित हैं:
1. उच्च स्तरीय प्रबन्ध की विचारधारा (Approach of Top Level Management):
मानव संसाधन विकास का मुख्य उद्देश्य अपने कर्मचारियों की वर्तमान एवं भावी जिम्मेदारी के लिए एक व्यक्ति की योग्यताओं का विकास करना है । ऐसा करने के लिए संगठन के कर्मचारियों की योग्यताओं कमियों एवं समस्याओं का ज्ञान होना चाहिये ।
यह स्पष्ट है कि यह जानकारी उच्च स्तरीय प्रबन्धकों को कर्मचारियों के सम्पर्क में रहने से मिल सकती है । उच्च प्रबन्धकों को कार्य स्थान पर जाना चाहिये एवं श्रमिकों के साथ समय बिताना चाहिए ।
उच्चस्तरीय प्रबन्धकों को सभी कर्मचारियों की योग्यताओं एवं समस्याओं को जानने का प्रयास अवश्य करना चाहिए । इस विचारधारा को अपनाकर, उच्च प्रबन्धक उपलब्ध श्रमपूर्ति की योग्यताओं का बेहतर उपयोग कर पायेंगे एवं संगठन के कर्मचारियों में भरोसा उत्पन्न होगा इससे श्रमशक्ति एवं प्रबन्ध में वैचारिक मतभेद एवं शिकायतों में भी कमी आयेगी ।
2. सम्प्रेषण प्रणाली एवं फीडबैक (Communication System and Feedback):
मानव संसाधन विकास को सफलतापूर्ण लागू करना उचित सम्प्रेषण एवं फीडबैक प्रणाली पर भी निर्भर करता है । एक उचित सम्प्रेषण विधि से विकसित एवं लागू किया जाना चाहिये । यह प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिससे प्रारम्भ से अन्त तक कर्मचारियों के बारे में सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त की जा सके ।
यह प्रणाली औपचारिक एवं अनौपचारिक होनी चाहिये । हम सभी जानते हैं सम्प्रेषण का फीडबैक से सम्बन्ध है । अत: फीडबैक के महत्व को समझना चाहिये एवं विश्वसनीय फीडबैक प्रणाली की संरचना की जानी चाहिए ।
3. उन्नति एवं विकास हेतु परिस्थितियाँ (Conditions for Growth and Development):
मानव संसाधन संगठन का सबसे महत्वपूर्ण सम्पत्ति है । इन्हें असीमित सीमा तक विकसित किया जा सकता है । इसके लिए स्वस्थ संगठनात्मक वातावरण (खुलापन, विश्वास, मेलजोल) विकसित होना चाहिए ।
कम्पनी की तरक्की को कर्मचारियों से वैचारिक साझेदारी की जानी चाहिए एवं उनके प्रयासों की सराहना की जानी चाहिये तथा उन्हें पुरस्कार, पदोन्नति, प्रोत्साहन आदि दिया जाना चाहिये ।
उनकी श्रेष्ठता को उचित एवं स्वीकार्य ढंग से पुरस्कृत किया जाना चाहिए । इसके साथ ही, सामान्य अथवा आपत्तिजनक परिस्थितियों में दण्डनीय व्यवस्था होनी चाहिए । अत: कर्मचारियों के विकास के लिए एक सन्तुलित वातावरण बनाया जाना चाहिए ।
4. मानव संसाधन विकास के कार्यक्रमों में विनियोग (Investments in HRD Programme):
सफलता का कोई लघु मार्ग नहीं होता । स्वस्थ कार्य वातावरण एवं मानव संसाधनों का विकास करना तथा उन्हें बनाये रखना एक कठिन प्रक्रिया है । अत: उच्च स्तरीय प्रबन्ध को उचित परिणाम प्राप्त करने के लिए मानव संसाधन विकास के व्यवसायियों, एक मानव संसाधन विकास से सम्बन्धित प्रत्येक कार्यक्रम में उचित समय, पैसा तथा ऊर्जा का विनियोग करना चाहिए ।
उन स्तरीय प्रबन्ध को पथप्रदर्शक बनना चाहिए, विकास का वातावरण बनाना चाहिए तथा कर्मचारियों को उनकी क्षमता पहचानने में सहायता करनी चाहिए ।
5. मानव संसाधन कौशल का उचित उपयोग (Proper Utilisation of Human Resource Skills):
संसाधन प्रबन्धकों को उपलब्ध मानव संसाधनों एवं उनकी क्षमताओं का उचित उपयोग अवश्य करने का प्रयास करना चाहिए । इस कार्य के लिए मानव संसाधन नियोजन किया जा सकता है ।
6. विकेन्द्रीयकरण (Decentralisation):
प्रबन्ध के सभी स्तरों पर व्यक्तियों को शामिल करने के लिए उचित प्रणाली का विकास किया जाना चाहिये । यदि सभी व्यक्तियों को उचित महत्व दिया जाता है तो इससे कर्मचारियों की संगठन के प्रति अपनेपन एवं समर्पण का भाव पैदा होगा । यद्यपि महत्त्वपूर्ण नीतिगत फैसलों को केन्द्रीकृत किया जा सकता है किन्तु अन्य सभी महत्त्वपूर्ण निर्णयों में विभिन्न अधीनस्थों को शामिल किया जाना चाहिए ।
अत: उपर्युक्त पूर्व-निर्धारित शर्तों का पालन करके साधारण व्यक्तियों से भी असाधारण परिणाम लिये जा सकते हैं । संगठन में लोग स्वयं भी विकसित होंगे एवं संगठन के विकास एवं उद्देश्य-प्राप्ति में सहायक होंगे ।