Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning and Definition of Recruitment 2. Factors Affecting Recruitment 3. Responsibility 4. Requisition.

भर्ती का अर्थ व परिभाषा (Meaning and Definition of Recruitment):

भर्ती एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा भावी कर्मचारी की खोज की जाती है और तदुपरान्त उन्हें संगठन में आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ।

भर्ती की विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ निम्न हैं:

1. एडविन बी. फिलिप्पो (Edqin B. Flippo) के अनुसार- ”भर्ती भावी कर्मचारियों की खोज करने और उन्हें रिक्त कार्यों के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरणा देने, प्रोत्साहित करने की प्रक्रिया है ।”

2. डेल एस. बीच (Dale S. Beach) के अनुसार- ”पर्याप्त मात्रा में मानव शक्ति स्रोतों को बनाए रखना तथा विकास करना भर्ती कहलाता है । भर्ती के अन्तर्गत उपलब्ध कर्मचारियों का एक संघ स्थापित करना होता है जिससे संगठन अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ने पर वहाँ से उन्हें प्राप्त कर सकें ।”

अत: स्पष्ट है कि भर्ती वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कार्य करने के इच्छुक व्यक्तियों को नौकरी के लिए प्रार्थना-पत्र देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है । भर्ती करते समय यह आवश्यक है कि सही व्यक्ति का सही कार्य के लिए चुनाव किया जाये ।

कुशल कार्यों के लिए श्रमिकों का चुनाव करना एक कठिन कार्य है । अत: अधिकांश संस्थाओं में कुशल श्रमिकों की भर्ती के लिए नियोजित तथा व्यवस्थित ढंग से कार्य किया जाता है ।

भर्ती में निम्नलिखित कार्यवाही सम्मिलित की जाती है:

(i) रिक्त स्थानों का निर्धारण (Determination of Vacancies):

सर्वप्रथम, कर्मचारी प्रबन्धक द्वारा संस्था की कुल मानवीय आवश्यकताओं का अनुमान लगाया जाता है । रिक्त स्थानों की आवश्यकता का निर्धारण संस्था के विभिन्न विभागों जैसे- उत्पादन विभाग, विपणन विभाग, वित्त विभाग इत्यादि की माँग के आधार पर लगाया जाता है ।

(ii) भर्ती के स्रोतों का निर्धारण (Determination of Sources of Requirement):

इसके पश्चात् प्रबन्धक अपने अनुभव व ज्ञान के आधार यह निर्धारित करते हैं कि किस पद के लिए, कहाँ से और कैसे आवेदन आमन्त्रित किए जाएँ । उदाहरण के लिए, कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों की प्राप्ति के लिए रोजगार कार्यालय, औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्र (ITI) आदि से आवेदन पत्र आमन्त्रित किए जा सकते हैं ।

(iii) प्रत्याशियों को आमंत्रण (Invitation to Candidates):

भर्ती प्रक्रिया में तीसरा महत्वपूर्ण चरण चुन गए स्रोत या स्रोतों से रिक्त स्थानों के लिए योग्य आवेदकों को आमन्त्रित करना है । इसके लिए कर्मचारी प्रबन्धक द्वारा एक सूचना तैयार की जाती है जिसमें रिक्त स्थान के विवरण, कार्य के विवरण, अपेक्षित योग्यता व अनुभव के विवरण, नौकरी की शर्तें, पारिश्रमिक के विवरण, आवेदन की प्रणाली आदि स्पष्ट एवं आकर्षक भाषा में लिखी हों ताकि अधिक से अधिक योग्य व्यक्तियों को रिक्त स्थानों पर आवेदन भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके ।

(iv) योग्य प्रत्याशियों की सूची बनाना (Preparing List of Deserving Candidates):

आवेदन आ जाने पर कर्मचारी प्रबन्धक इनमें से उन आवेदकों की सूची तैयार करता है जो वांछित योग्यता (Desirable Qualification) रखते हैं । वह इस सूची में प्रत्येक आवेदक के विशिष्ट विवरणों का भी उल्लेख कर देता है जिससे चयनकर्ता, बिना मूल आवेदनों को देखे आवेदक के बारे में राय बना सके । वे आवेदक जिनमें न्यूनतम योग्यता नहीं है उनको प्राय: सूची में सम्मिलित नहीं किया जाता ।

भर्ती को प्रभावित करने वाले तत्व/घटक (Factors Affecting Recruitment):  

भर्ती को बहुत से तत्व/घटक प्रभावित करते हैं, इनमें प्रमुख घटक (Main Factors) निम्नलिखित हैं:

1. संस्था का आकार (Size of the Organisation):

संस्था का आकार भर्ती प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है । यदि संस्था का आकार छोटा है तो उस स्थिति में भर्ती के लिए कम कर्मचारियों की आवश्यकता होगी जबकि एक अच्छी स्थापित संगठन (Well-Established) एवं विकासशील संगठन में विकास के साथ अधिक कर्मचारियों की भर्ती की आवश्यकता होगी ।

2. आन्तरिक कर्मचारियों के बारे में संस्था की नीति (Organisational Policy Regarding Internal Candidates):

संस्था की भर्ती नीति में रिक्त स्थानों की पूर्ति के विषय में वर्णन किया जाता है । साधारणतया संस्था में रिक्त स्थानों के लिए संस्था के आन्तरिक स्रोतों (जैसे कि अस्थायी कर्मचारी) को प्राथमिकता दी जाती है । यदि आन्तरिक स्रोतों से उपयुक्त कर्मचारी उपलब्ध न हों तो भर्ती के बाह्य स्रोतों का उपयोग किया जायेगा ।

3. स्थानीय प्रत्याशियों/प्रार्थियों के बारे में संस्था की नीति (Organisational Policy Regarding Local Candidates):

एक अच्छी व्यावसायिक संस्था समाज के प्रति के अपने उत्तरदायित्व का पालन करने के लिए भर्ती करते समय स्थानीय प्रार्थियों को प्राथमिकता देती है । साधारणतया स्थानीय प्रार्थियों से संस्था को मितव्ययी एवं स्थायी भावी कर्मचारी उपलब्ध हो सकते हैं । इस प्रकार एक व्यावसायिक संस्था स्थानीय मानवीय संसाधनों एवं भौतिक संसाधनों का मितव्ययितापूर्ण एवं प्रभावी प्रयोग कर सकती है ।

4. श्रम संघों का प्रभाव (Influence of Trade Unions):

श्रम संघ भी संस्था में कर्मचारियों की भर्ती को प्रभावित करते हैं । श्रम संघ संस्था में रिक्त उच्च स्थानों पर भर्ती के लिए दबाव डालते हैं कि इनकी पूर्ति आन्तरिक स्रोतों से की जाये एवं वरिष्ठता के आधार पर की जाये । श्रम संघ बाह्य स्रोतों से भर्ती का विरोध करते हैं ।

5. सरकारी नीति (Government Policy Regarding Reservation):

सरकार की आरक्षण के सम्बन्ध में नीति भी भर्ती को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है । इस नीति का सरकारी संस्थाओं में विशेष रूप से पालन किया जाता है । सरकारी संस्थाओं में जॉब का एक निश्चित प्रतिशत अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं आर्थिक रूप से पिछड़े हुए वर्गों के लिए आरीक्षत है । भर्ती करते समय इस नीति को ध्यान में रखना चाहिए ।

6. उत्पादन तथा विस्तार का स्तर (Level of Production and Expansion):

वृहद अथवा बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए संस्था को अधिक संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता होगी एवं संस्था का विस्तार करने पर अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी । संस्था का विस्तार होने पर अतिरिक्त कर्मचारियों की पूर्ति के लिए आन्तरिक स्रोत ही पर्याप्त न होंगे । आवश्यकता पड़ने पर संस्था को भर्ती के लिए बाह्य स्रोतों का प्रयोग करना पड़ेगा ।

7. कार्य की दशाएँ (Working Conditions):

भर्ती का उद्देश्य संस्था के लिए कर्मचारियों के चुनाव/चयन अनुपात (Hiring Ratio) को बढ़ाना है । कार्य की दशाएँ अच्छी होने पर संस्था अधिक मात्रा में एवं कुशल तथा योग्य प्रार्थियों को आकर्षित कर सकती है । इसके विपरीत कार्य की अच्छी दशाएँ न होने पर भर्ती के लिए पर्याप्त संख्या में आकर्षित करना कठिन होगा ।

8. पदोन्नति के अवसर (Promotion Opportunities):

यदि संस्था में कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित है एवं अन्य संस्थाओं की तुलना में पदोन्नति के अधिक अवसर उपलब्ध हैं तो भर्ती के समय ऐसी संस्था अधिक कर्मचारियों को आकर्षित करने में सफल होगी ।

इसके अतिरिक्त यदि भर्ती नीति में इस तथ्य का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया गया है कि पदोन्नति केवल योग्यता के आधार (Merit-Basis) पर की जायेगी तो भी बाह्य स्रोतों से अधिक संख्या में कुशल एवं योग्य भावी कर्मचारी आकर्षित एवं प्रेरित होंगे ।

9. वेतन एवं अन्य लाभ (Salary and Other Benefits):

संस्था द्वारा दिया जाने वाला वेतन, अनुलाभ, भत्ते एवं आनुषंगिक लाभ (Fringe Benefits) भर्ती प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है । यदि संस्था भावी कर्मचारियों के लिए अधिक वेतन एवं अन्य लाभों का प्रस्ताव रखती है तो अधिक संख्या में कुशल योग्य कर्मचारी उपलब्ध होंगे । इसके विपरीत कम वेतन पर पर्याप्त संख्या में भावी कर्मचारियों को आकर्षित करने में कठिनाई होगी ।

10. कर्मचारी नीति (Personnel Policies and Practices of the Organisation):

संस्था की भर्ती नीति में विशिष्ट बातों का समावेश रहता है । इसके अन्तर्गत संस्था को अनुसूचित जातियों एवं पिछड़ी जनजातियों, अपंग एवं अपाहिज व्यक्तियों, संस्था के वर्तमान कर्मचारी पर निर्भर व्यक्तियों आदि को प्राथमिकता सम्बन्धी नीति का स्पष्ट उल्लेख रहता है । संस्था की कर्मचारी नीतियाँ भी भर्ती को प्रभावित करती हैं ।

11. संस्था की छवि (Image of the Organisation):

संस्था की छवि भी भर्ती को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है । यदि संस्था अपने कर्मचारियों को उच्च वेतन एवं अन्य लाभ, अच्छी कार्य दशाएँ, श्रम-कल्याण नीतियों, स्पष्ट पदोन्नति एवं स्थानान्तरण नीतियों एवं अच्छी कर्मचारी नीतियों आदि के लिए प्रसिद्ध है या हम कह सकते हैं कि संस्था की छवि व्यवसाय एवं समाज में अच्छी है तो ऐसी संस्था के लिए पर्याप्त संख्या में भावी कर्मचारियों को आकर्षित करना कठिन न होगा ।

इसके विपरीत, संस्था की छवि खराब होने पर पर्याप्त संख्या में योग्य एवं कुशल भावी कर्मचारियों को आकर्षित करने में कठिनाई आएगी ।

12. प्रबन्ध के भावी कर्मचारियों को प्रभावित करने की क्षमता (Ability of the Organisation to Stimulate the Prospective Candidates):

कर्मचारियों की भर्ती पर प्रबन्ध की भावी कर्मचारियों को प्रभावित करने की क्षमता का भी प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है । यदि संस्था एक पूर्व-स्थापित एवं अच्छी ख्याति वाली संस्था है तो उसके लिए पर्याप्त संख्या में कुशल एवं योग्य भावी कर्मचारी उपलब्ध होंगे ।

इसके विपरीत एक नई संस्था के प्रबन्धकों को भावी कर्मचारियों को प्रभावित करने के लिए एवं आकर्षित एवं प्रेरित करने के लिए उन्हें अधिक वेतन एवं लाभ देने पड़ेंगे ।

13. वर्तमान कर्मचारियों की सिफारिशें (Recommendations of Present Employees of the Organisation):

कुछ व्यावसायिक संस्थाएँ भर्ती के समय अपने वर्तमान कर्मचारियों की सिफारिशों को ध्यान में रखती हैं । ऐसा समझा जाता है कि संस्था के कर्मचारी ऐसे प्रार्थियों को संस्था के बारे में पूरी जानकारी प्रदान कर देते हैं तथा प्रार्थी के बारे में भी पूरी जानकारी वर्तमान कर्मचारियों के माध्यम से संस्था को मिल जाती है ।

14. संस्था के विकास की दर (Rate of Growth of Organisation):

संस्था के विकास की दर भी भर्ती को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है । यदि एक संस्था के विकास की दर में वृद्धि हो रही है तो उसे भविष्य में अधिक उत्पादन के लिए कर्मचारियों की भर्ती करनी होगी । इसके विपरीत एक ऐसी संस्था को जिसके विकास की दर स्थिर है भर्ती एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है ।

भर्ती के लिए उत्तरदायित्व (Responsibility for Recruitment):

एक छोटे संगठन में, स्वामी या प्रबन्धक द्वारा ही सामान्यत: अनौपचारिक तौर पर भर्ती की जाती है । लेकिन अपेक्षाकृत बड़े संगठन में, मानव संसाधन विभाग आवेदकों के स्रोतों को विकसित करने के लिए बहुधा उत्तरदायी होता है । मानव संसाधन विभाग के भीतर भर्ती करने तथा यहाँ तक कि नौकरी के लिए प्रत्याशियों का प्रारम्भिक चयन करने के लिए एक रोजगार कार्यालय (Employment Office) हो सकता है ।

बड़ी मात्रा में पेशेवर तथा प्रबन्धकीय कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाले बड़े संगठनों में भर्ती के काम में ही तरह से लगा एक पृथक् विभाग हो सकता है । साथ ही, व्यक्तिगत प्रबन्धक तथा कर्मचारीगण सक्षम आवेदकों को कार्मिक विभाग को संदर्भित कर सकते हैं ।

इस तरह से, मानव संसाधन विभाग प्रबन्धकों से भर्ती सहायता के लिए प्रार्थना कर रहा हो सकता है । जैसा तब होता है जब प्रबन्धकों में से किसी के Alma Mater पर एक Campus Recruitment प्रस्तावित किया जाता है । फिर भी अन्य फर्मों मानव संसाधन विशेषज्ञों तथा अन्य प्रशासकों वाली भर्ती करने वाली टीमों को प्राथमिकता दे सकती है । उदाहरण के लिए, एक या अधिक इंजीनियर्स तकनीकी संस्थानों में इंजीनियर्स की भर्ती के लिए Campus Recruiters की टीम के साथ जा सकते हैं ।

इस बात को छोड़ते हुए कि भर्ती कौन करता है एक विभाग के लिए यह महत्वपूर्ण होता है कि पर्याप्त स्रोतों को विकसित करने, डुप्लीकेशन को रोकने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि सम्पूर्ण संगठन के लिए मानव संसाधन आवश्यकताएँ पूरी कर ली गई हैं, भर्ती कार्य का समन्वय किया जाये ।

भर्ती के लिए अभियाचना (Requisition for Recruitment):

भर्ती एक सतत प्रक्रिया है जिसके द्वारा फर्म भावी संसाधन आवश्यकताओं हेतु योग्य आवेदनों के एक ‘पूल’ को विकसित करने का प्रयास करती है, भले ही विशिष्ट रिक्तताएँ वर्तमान में विद्यमान न हों । यह अभ्यास भर्ती के स्रोतों के साथ सम्पर्क बनाये रखने के लिए भी आवश्यक होता है ।

अधिकांश मामलों में, भर्ती की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है जब प्रबन्धक किसी विशिष्ट रिक्त स्थान के लिए या सम्भावित रिक्तता के लिए एक कर्मचारी अभियाचना शुरू करता है । अभियाचना में भरे जाने वाले पद, नौकरी के लिए प्रत्याशी से अपेक्षित अनुभव तथा योग्यताओं का वर्णन करते हुए मौलिक सूचनाओं का समावेश होना चाहिये ।

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