Read this article in Hindi to learn about the top twelve objectives of training employees. The objectives are: 1. To Prepare the Employees for Present and Future Organisational Requirements 2. To Prevent Manpower Obsolescence 3. To Improve the Moral of Employees 4. Improvement in Quality of Work 5. To Prepare the Employees for Higher Level Jobs/Tasks and a Few Others.
Objective # 1. संगठन की वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं के लिए कर्मचारियों को तैयार करना (To Prepare the Employees for Present and Future Organisational Requirements):
प्रशिक्षण की आवश्यकता एक कर्मचारी को अपना वर्तमान कार्य अधिक ढंग से करने के लिए एवं भावी कार्य को एक सुनियोजित व सुव्यवस्थित ढंग से करने के लिए है । एक प्रशिक्षित कर्मचारी वर्तमान कार्य को अधिक कार्यकुशलता से कर सकता है ।
इसके अतिरिक्त, संस्था द्वारा भविष्य में किये जाने वाले परिवर्तनों को भी प्रशिक्षण के दौरान ध्यान में रखा जाता है ताकि कर्मचारी नई तकनीक/मशीनों का प्रयोग सीख सकें ।
Objective # 2. मानवीय अप्रचलन को रोकना (To Prevent Manpower Obsolescence):
कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने से मानवीय अप्रचलन को रोका जा सकता है । यदि कर्मचारियों को कार्य की नई विधियों का ज्ञान नहीं होगा तो वे नई मशीनों व विधियों से कार्य नहीं कर सकेंगे जिससे संस्था के कर्मचारी भविष्य में अयोग्य एवं अकुशल हो जायेंगे । अत: उन्हें नई मशीनों पर प्रशिक्षण देने एवं नई विधियों का ज्ञान देने से कर्मचारी अप्रचलन को रोका जा सकता है ।
Objective # 3. कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाना (To Improve the Moral of Employees):
मनोबल एक मानसिक एवं भावनात्मक स्थिति है जिससे कार्य रुचि प्रभावित होती है जो कि व्यक्तिगत एवं संगठन के उद्देश्यों को प्रभावित करती है । इसके अन्तर्गत व्यक्ति एवं समूह अपनी सम्पूर्ण योग्यता से संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति में ऐच्छिक सहयोग करते हैं ।
अत: उनकी सम्पूर्ण योग्यता का उपयोग करने के लिए आवश्यक है कि उन्हें कार्य को उचित ढंग से करने के लिए प्रशिक्षित किया जाये जिससे वे संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति में ऐच्छिक सहयोग प्रदान करें ।
Objective # 4. कार्य की गुणवत्ता में सुधार (Improvement in Quality of Work):
कर्मचारियों को कार्य करने की उचित विधि का ज्ञान होने से अपने कार्य में विशिष्टीकरण हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप वह पूर्व निर्धारित मानकों के अनुसार कार्य कर सकेंगे ।
Objective # 5. कर्मचारियों को उच्च स्तरीय कार्यों के लिए तैयार करना (To Prepare the Employees for Higher Level Jobs/Tasks):
सेविवर्गीय प्रबन्धक का एक मुख्य कार्य कर्मचारियों का प्रशिक्षण एवं विकास है । औद्योगिकीकरण के परिणामस्वरूप तकनीकी क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है अत: कर्मचारियों को इन परिवर्तनों के अनुरूप कार्य करना पड़ता है । कर्मचारियों को उच्च स्तरीय कार्यों को करने के लिए आवश्यक है कि उनका निरन्तर विकास होतारहे ।
Objective # 6. संगठन के सभी स्तरों पर कर्मचारियों की पूर्ति बनाए रखना (To Maintain the Supply of Employees):
संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की प्राप्ति करना तथा उन्हें प्राप्त करने पर उनकी इस तरह देखभाल करना कि वे संस्था के कार्यों को श्रेष्ठ ढंग से पूरा कर सकें । संस्था के सभी स्तरों पर योग्य, कुशल एवं श्रेष्ठ कर्मचारियों की पूर्ति बनाए रखने के लिए उन्हें प्रशिक्षण देना अति आवश्यक है ।
Objective # 7. देख-रेख में कमी (Less Supervision):
प्रशिक्षित कर्मचारी अपने कार्यों में निपुण होते हैं । उन्हें कार्य करने की सही विधि का ज्ञान होता है । अत: उनकी देख-रेख के लिए पर्यवेक्षक की अधिक आवश्यकता नहीं होती । यदि सभी कर्मचारी प्रशिक्षित हैं तो एक पर्यवेक्षक अधिक श्रमिकों का भी निरीक्षण कर सकता है ।
Objective # 8. कर्मचारियों की कार्य-क्षमता वें वृद्धि (Improvement in Efficiency of Employees):
प्रशिक्षण में कार्य की सही विधि सिखायी जाती है । एक प्रशिक्षित एवं कुशल श्रमिक की कार्य-क्षमता निश्चित रूप से अकुशल एवं अप्रशिक्षित श्रमिक से अधिक होगी ।
Objective # 9. विशिष्ट ज्ञान एवं कौशल का विकास (Development of Knowledge and Skill):
प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों को एक विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप उनको अपने कार्य में विशेष ज्ञान एवं कौशल हासिल हो जाता है ।
Objective # 10. कर्मचारियों की धारणा में परिवर्तन (Modifying the Attitude of Employees):
प्रशिक्षण से न केवल संस्था बल्कि कर्मचारी दोनों को भी लाभ होता है । इससे उसकी कार्य-सन्तुष्टि में वृद्धि, उच्च मनोबल, पदोन्नति के अधिक अवसर, कार्यक्षमता एवं कुशलता में वृद्धि होती है । इसके परिणामस्वरूप, कर्मचारी की संस्था के बारे में धारणा भी सकारात्मक होती है ।
Objective # 11. साधनों का उत्तम उपयोग (Best Utilization of Resources):
प्रशिक्षित श्रमिक को कार्य की सही विधि का ज्ञान होने से कार्य की मात्रा एवं किस्म में सुधार होता है । प्रशिक्षित श्रमिक संस्था के कच्चे माल व मशीनों का सुव्यवस्थित ढंग से प्रयोग करता है जिससे माल के अपव्यय में कमी होती है । इसके अतिरिक्त, महँगी मशीनों पर भूल-सुधार विधि से कार्य करने से मशीनों का ह्रास भी अधिक होता है ।
प्रशिक्षित श्रमिक सही विधि से कार्य करेगा जिससे मशीनों का ह्रास भी कम होगा एवं उसके देख-रेख के व्यय में भी कमी आयेगी । साधारणतया एक अप्रशिक्षित श्रमिक के दुर्घटना के अवसर भी प्रशिक्षित श्रमिक की अपेक्षा अधिक होते हैं । प्रशिक्षण से श्रमिकों की दुर्घटना-दर में कमी आती है ।
एक संस्था में उच्च श्रम-परिवर्तन दर एवं उच्च अनुपस्थिति दर, कर्मचारियों में असन्तुष्टि को प्रकट करती है । यह संस्था के लिए भी हानिकारक है । प्रशिक्षण से श्रमिक असन्तुष्टि में कमी आती है जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटना दर व अनुपस्थिति दर कम हो जाती है ।
अत: प्रशिक्षण के निम्न लाभ हैं:
(a) माल के अपव्यय में कमी (Reduced Wastage),
(b) दुर्घटनाओं में कमी (Reduced Accidents),
(c) श्रम-परिवर्तन एवं अनुपस्थिति दर में कमी (Reduced Absenteeism and Labour Turnover) ।
Objective # 12. द्वितीय श्रेणी के सक्षम अधिकारियों का निर्माण (To Build Up a Second Line of Competent Officers):
प्रशिक्षण से संस्था में द्वितीय श्रेणी के सक्षम अधिकारियों का निर्माण होता है । साधारणतया एक संस्था में उच्च पदों के रिक्त होने पर संस्था के भीतर से ही कर्मचारी को पदोन्नति देकर उस स्थान को भरा जाता है । लेकिन ऐसा तभी सम्भव है यदि संस्था में द्वितीय स्तर पर योग्य एवं कुशल कर्मचारी उपलब्ध हों ।
संस्था में योग्य एवं कुशल कर्मचारियों के उपलब्ध न होने पर ही आन्तरिक स्रोत की अपेक्षा बाह्य स्रोतों का उपयोग किया जाता है । प्रशिक्षण के द्वारा आन्तरिक स्रोतों का विकास सम्भव है जिससे कि आवश्यकता पड़ने पर संस्था को बाह्य स्रोतों पर निर्भर न रहना पड़े ।