Read this article in Hindi to learn about the different dimensions of industrial relation work.
कॉरपोरेट वातावरण में परिवर्तनों के साथ औद्योगिक सम्बन्ध प्रणाली में भी एक समय अवधि के दौरान व्यापक परिवर्तन देखे गये हैं । जिनके फलस्वरूप औद्योगिक सम्बन्ध निदेशक/अधिकारी का काम तथा भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण तथा चुनौती भरी हो चली है जो इससे पहले नहीं थी ।
वास्तव में, बदले कॉरपोरेट परिदृश्य में पेशेवर औद्योगिक सम्बन्ध निदेशक के काम को अब कारखाने या यूनियन बस्टिंग (Union Busting) में प्रबन्ध के व्यक्तिकरण (Personalizing) से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है ।
वे ऐसे व्यक्ति हैं जो व्यावसायिक प्रशासकों की ‘हाई-ड्राइव’ कर रहे हैं जो वह बोल सकते हैं जिसे वे ‘bottom line language’ कहते हैं क्योंकि उनसे आशा की जाती है कि उपक्रम के लाभों में ठीक उतनी ही रुचि दिखाएँ जैसा कि कोई अन्य प्रशासक दिखाता है । वास्तव में, वे ”औद्योगिक सम्बन्धों के उत्तरदायित्व” के साथ व्यावसायिक प्रबन्धक हैं ।
यह अन्तर मात्र शाब्दिक न होकर कहीं अधिक है- यह शैली, क्षेत्र तथा पहुँच का अन्तर है । औद्योगिक सम्बन्ध अधिकारी प्रत्यक्षत: कारखाना स्तर पर लोगों के कामकाज का अधीक्षण करता है, औद्योगिक सम्बन्धों के क्षेत्र में उभर रहे आयामों के बारे में अन्य क्रियात्मक अधिकारियों को पूर्णत: सूचित रखने के साथसाथ एक रणनीतिकार के रूप जो परिवर्तन की बढ़ती माँगों को पूरा करने के लिए आवश्यक हो तो कॉरपोरेट नीतियों को प्रभावित करती हैं तथा जिनके प्रबन्ध, श्रमिकों तथा काम पर दूरगामी परिणाम होते हैं ।
किसी भी संगठन में, शाब्दिक तौर पर, मानव संसाधन प्रबन्ध तथा औद्योगिक सम्बन्ध से जुड़ी गतिविधियों को अलग-अलग करना कठिन होता है ताकि वे अकाट्य तौर पर दोनों ही प्रकार के कार्यों को पूरा कर सकें ।
उनके काम के सामान्य: जानेमाने कार्यों में अग्र का समावेश होता है:
(i) अभिप्राप्ति (Procurement):
कर्मचारियों की भर्ती तथा चयन ।
(ii) विकास (Development):
प्रतिक्षण तथा विकास, निष्पत्ति आकलन तथा भविष्य नियोजन (Career Planning) |
(iii) क्षतिपूर्ति (Compensation):
वेतन परिवर्तनीय क्षतिपूर्ति तथा अनुलाभ कार्यक्रम ।
(iv) एकीकरण (Integration):
औद्योगिक सम्बद्ध, अभिप्रेरणा तथा विवाद निदान (शिकायतों का हस्थन, प्रबन्ध में श्रमिकों की सहभागिता तथा सामूहिक सौदाकारी सहित) |
(v) अनुरक्षण (Maintenance):
स्वास्थ्य तथा सुरक्षा, संचार तथा परामर्श ।
(vi) पृथक्कीकरण (Separation):
सेवानिवृत्ति, छँटनी तथा निष्कासन ।
(vii) वैधानिक तथा गैर-वैधानिक कल्याण योजनाओं का प्रबन्ध ।
(viii) सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का प्रबन्ध ।
(ix) कर्मचारी अभीलेखों का अनुरक्षण ।
(x) मानव संसाधन प्रबन्ध तथा औद्योगिक सम्बन्धों के क्षेत्र में अध्ययन को अंजाम देना ।
(xi) जन सम्बन्ध (Public Relations):
अर्थात् बाहरी संस्थाओं के साथ सम्पर्क बनाये रखना, यथा परामर्शदातागण, मानव संसाधन प्रबन्ध, विशेषज्ञ तथा सरकार ।
(xii) विभिन्न संगठनात्मक भागीदारों के साथ गहन सम्बद्धता का अनुरक्षण ।
(xiii) सर्वागीण औद्योगिक सम्बन्ध प्रणाली का प्रबन्ध ।