Read this article in Hindi to learn about various factors affecting investment environment. The factors are: 1. Legal Safeguards 2. Stable Currency 3. Financial Institutions 4. Forms of Business Organisation 5. Social Environment 6. Economic Policies 7. Political Environment 8. Knowledge Economy 9. International Environment.

Factor # 1. वैधानिक सुरक्षा (Legal Safeguards):

पूंजी की वैधानिक सुरक्षा निवेशकों में निवेश के प्रति विश्वास पैदा करती है तथा उन्हें अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित करती है । स्थाई सरकार द्वारा विभिन्न वैधानिक कानून बनाकर निवेशक की पूंजी की सुरक्षा की गारंटी नहीं जाती है । यदि निवेशक की पूंजी की सुरक्षा होगी तो विनियोग बाजार के लिए अनुकूल वातावरण का सृजन होगा ।

लोगों में बचत करने की भावना पैदा होगी जो निवेश करके अधिक आय प्राप्ति के लिए प्रेरणा देगी । भारत में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र दोनों का नियन्त्रण सरकार के द्वारा किया जाता है । इसलिए भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था पाई जाती है । सरकारी हस्तक्षेप की वजह से निवेश के लिए एक उचित एवं अनुकूल वातावरण रहता है ।

Factor # 2. स्थायी मुद्रा (Stable Currency):

विनियोग बाजार के लिए एक सुसंगठिन मौद्रिक प्रणाली एवं उचित नीतियाँ अनिवार्य हैं । अधिकतर निवेश, जैसे- बैंक जमा, जीवन बीमा वापसी (Refund) आदि का भुगतान देश की प्रचलित मुद्रा में किया जाता है । मुद्रा की क्रय-शक्ति स्थायी रहनी चाहिए क्योंकि मुद्रा स्फीति विनियोगों की क्रय-शक्ति को कम कर देती है अथवा नष्ट कर देती है ।

ऐसी परिस्थिति में कर कटौती के बाद ब्याज की राशि मुद्रा स्फीति (कीमत वृद्धि) से कम होती है । मुद्रा स्फीति आमतौर पर अस्थायी परिस्थितियों जैसे- युद्ध की स्थिति, बाढ़ तथा अन्य प्राकृतिक आपदा के कारण उत्पन्न होती है । लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसके अन्य कारण भी रहे हैं, जैसे-घाटे का बजट अर्थात् घाटे को वित्तीय सहायता द्वारा पूरा करना (Deficit Financing) । कीमत स्तर में स्थायित्व जो कि मौद्रिक उपायों द्वारा लाया गया है विनियोग बाजार को बढ़ावा देना है तथा निवेश की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है ।

Factor # 3. वित्तीय संस्थान (Financial Institutions):

उचित संख्या में वित्तीय संस्थानों की स्थापना भी विनियोग वातावरण के निर्माण में सहयोग देती है । वित्तीय संस्थानों की स्थापना बचत को प्रोत्साहित करेगी और इससे विनियोग बाजार का विकास होगा ।

अधिकतर देशों में व्यापारिक बैंक जीवन बीमा कम्पनियाँ तथा निवेश कम्पनियाँ वित्तीय संस्थान है । भारत में वर्तमान में निम्नलिखित वित्तीय संस्थान है जो विभिन्न प्रकार की बचत योजनाएं प्रस्तावित करने हैं ।

ये निम्नलिखित है:

(i) भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India)

(ii) भारतीय इकाई न्यास (Unit Trust of India)

(iii) भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (Industrial Development Bank of India- IDBI)

(iv) औद्योगिक साख एवं विनियोग निगम (Industrial Credit Investment Corporation of India- ICICI)

(v) भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (Industrial Finance Corporation of India- IFCI) ।

उपर्युक्त के अलावा राज्यीय स्तर निवेश को बढ़ावा देने के वित्तीय संस्थान हैं ।

जैसे:

(a) राज्यीय वित्तीय निगम (State Financial Corporation),

(b) राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank of Agriculture and Rural Development- NABARD) ।

अतः हम कह सकते है कि विनियोग वातावरण के लिए जरूरी है वित्तीय संस्थानों की स्थापना की जाये ताकि ये बचत व निवेश को प्रोत्साहित कर सके और एक कुशल विनियोग बाजार की स्थापना हो सके ।

Factor # 4. व्यावसायिक संगठन का प्रारूप (Forms of Business Organisation):

व्यावसायिक संगठन का स्थायी रूप बचत तथा विनियोग को प्रोत्साहित करना है । सार्वजनिक कम्पनी को सबसे अच्छा संगठन माना जाता है क्योंकि निवेशक के लिए इसकी तीन विशेषताएं काफी लाभदायक है । जैसे- समित दायित्व, अंशों का हस्तान्तरण तथा स्थायी अस्तित्व ।

व्यवसाय के इस प्रारूप में निवेशक निवेश करना ज्यादा पसन्द करते हैं । इसके विपरीत साझेदारी फर्म में असीमित दायित्व होता है तथा उसका अस्तित्व भी अस्थाई होता है क्योंकि किसी भी साझेदार के अवकाश ग्रहण करने अथवा उसकी मृत्यु होने पर साझेदारी फर्म का समापन हो जाता है ।

एक और व्यावसायिक प्रारूप, एकाकी व्यापार (Sole Proprietorship), केवल उसके संस्थापक के जीवित रहने तक ही अस्तित्व में रहता है उपर्युक्त अध्ययन के आधार पर हम कह सकते हैं कि निवेशक के लिए कम्पनी प्रारूप सबसे अच्छा है । विनियोग वातावरण सार्वजनिक कम्पनियों की उपलब्धियों से प्रभावित होता है ।

Factor # 5. सामाजिक वातावरण (Social Environment):

विनियोग बाजार/वातावरण निवेशक की प्रवृत्तियों, इच्छाओं, आकांक्षाओं, शिक्षा एवं बौद्धिक स्तर रीति-रिवाज आदि घटको से भी प्रभावित होता है । ये सभी घटक निवेशक की बचत एवं विनियोग इच्छा को प्रोत्साहित/हतोत्साहित करते हैं । यदि निवेशक का बौद्धिक स्तर, शिक्षा, उच्च स्तर की है तो वह सामाजिक कुरीतियों की परवाह किये बगैर बचत एवं निवेश की तरफ प्रेरित होगा ।

सामाजिक कुरीतियां, जैसे- ”ब्याज हराम है” ”आज की सोच कल की चिन्ता मन कर” आदि । ये घटक बचत एवं निवेश को हतोत्साहित करते हैं । अत: विनियोग बाजार के विकास के लिए उचित सामाजिक वातावरण होना चाहिए ।

Factor # 6. आर्थिक नीतियाँ (Economic Policies):

किसी देश की आर्थिक नीतियाँ उस देश में पनपने वाले व्यवसाय, उद्योग एवं आर्थिक क्रियाओं को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करती है आर्थिक क्रियाओं में उतार-चढ़ाव, वृद्धि-संकुचन, निर्यात संवर्धन, विस्तार, विकास शोध, प्रतिस्पर्द्धा आदि उस देश की नीतियों से प्रभावित होते है एक विकासशील अर्थव्यवस्था में आर्थिक नीतियों का निर्धारण आर्थिक समानता, रोजगार सृजन, स्थायित्व, गरीबी निवारण, मुद्रा स्फीति एवं संकुचन पर नियन्त्रण, साधन आवंटन, आय वृद्धि बचत एवं विनियोग आदि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है । आर्थिक नीतियाँ विनियोग बाजार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है । इनका प्रभाव बचत एवं विनियोग पर पड़ता है । अत: आर्थिक नीतियाँ ऐसी होनी चाहिए जिनसे रोजगार का राजन हो और उसके फलस्वरूप बचत एवं निवेश को प्रोत्साहन मिले कर नीति का निवेश पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है ।

Factor # 7. राजनीतिक वातावरण (Political Environment):

राजनीतिक निर्णय विनियोग वातावरण को प्रभावित करते हैं । प्रभाव अनुकूल अथवा प्रतिकूल हो सकते है । सरकार को कई बार राजनीतिक दबाव में निर्णय लेने पड़ने है जो कि निवेशकों विशेषकर विदेशी निवेशकों के लिए अनुकूल नहीं होते ।

अत: विदेशी संस्थागन निवेशकों के लिए उचित विनियोग बाजार का सृजन करना एक कठिन कार्य है । विभिन्न विचारधाराओं वाले राजनीतिक दल जब सरकार में शामिल होने है तो विनियोग वातावरण पर सरकारी नीतियों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है । इसमें प्रशासनिक संस्थाओं का प्रारूप एवं कार्यशैली, नौकरशाही का स्वरूप, राजकीय हस्तक्षेप, राजनीतिक विचारधारा, मत, दृष्टिकोण, संसदीय, विधायी एवं प्रशासनिक निर्णय आदि शामिल हैं ।

Factor # 8. ज्ञान अर्थव्यवस्था (Knowledge Economy):

सूचनाओं एवं विचारों के सृजन एवं वितरण के माध्यम से एक कुशल विनियोग बाजार का विकास किया जा सकता है । हमारे देश में निवेशकों तक सही एवं पूर्ण सूचना समय पर नहीं पहुंचती विनियोग में समय का बहुत महत्व है हालांकि डेटा बैंक, इन्टरनेट व कम्प्यूटर सेवाएँ आदि ज्ञान क्षेत्र के महत्वपूर्ण अंग बन गये हैं ।

अत: विनियोग बाजार के विकास के लिए इन सेवाओं का उपयोग नितान्त आवश्यक है । ‘सेबी’ द्वारा इस सन्दर्भ में कई प्रयास किये गये है । जैसे-सूचनाएं जिनका प्रकाशन अनिवार्य है आदि । हमारे देश में राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेन्ज, ओवर दि काउण्टर एक्सचेन्ज ऑफ इण्डिया (OTCEI), मुम्बई स्टॉक एक्सचेन्ज, दिल्ली स्टॉक एक्सचेन्ज तथा पूणे स्टॉक एक्सचेन्ज में कम्प्यूटरीकृत ऑन-लाइन-ट्रेडिंग की शुरुआत हो गई है । निवेशकों को समय सूचना उपलब्ध कराई जाती है ।

Factor # 9. अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण (International Environment):

अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण में आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, वैधानिक जैसे पहलू शामिल हैं । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएँ एवं अन्तर्राष्ट्रीय घटनाक्रम अपने प्रभावों का संचरण तेजी से करने है अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण के प्रभाव से ही विभिन्न देशों के बीच विचारों का आदान-प्रदान, सहयोग एवं अनेक प्रकार की सहायताएँ सम्भव हो सकी है ।

सूचना के आदान-प्रदान से एक देश दूसरे देश में विनियोग सम्बन्धी निर्णय लेने है कम्पनियों का अधिग्रहण, पूंजी निवेश, प्रतिभूतियों में निवेश, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment- FDI), विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors- FIIS) आदि इसके उदाहरण हैं । स्वस्थ विनियोग बाजार विदेशी निवेश को आकर्षित करता है । विनियोग बाजार पर अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण का बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है ।

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