Here are some of the examples of business letters especially written in Hindi language.

(1) पूछताछ करने के लिए भेजा गया अनुरोध पत्र (Request Letter for Enquiry):

माल खरीदने से पूर्व कोई भी व्यापारी माल के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करना चाहेगा । इस प्रकार की जानकारी अत्यन्त सतर्कता से करनी चाहिए । इस प्रकार के पत्रों में माल बेचने वाले से माल का पूरा विवरण, कीमत, गुण, किस्म, भुगतान पद्धति, माल भेजने का तरीका, व्यापारिक छूट एवं अन्य व्यपारिक शर्तों के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने की कोशिश की जाती है । इस प्रकार के पत्रों को लिखने का उद्देश्य न्यूनतम लागत पर अच्छी वस्तुएं खरीदना है ।

पुस्तकों के सम्बन्ध में पूछताछ: 1

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माल की उपलब्धता की पूछताछ-2

माल खरीदने की पूछताछ-3

(2) वस्तु को खरीदने के लिए अनुरोध पत्र अथवा आदेश पत्र (Request for Purchase an Article or Letter of Order):

पूछताछ के पत्र के उत्तर में जो पत्र प्राप्त होता है, उससे सन्तुष्ट होकर व्यापारी जो पत्र माल को खरीदने के लिए लिखता हैं- उसे आदेश का पत्र (Letter of Order) कहते हैं । इस पत्र में आदोशित वस्तु का नाम, किस्म, मात्रा, दर, पैकिंग एवं सुपुर्दगी निर्देश, माल भेजने का ढंग इत्यादि बातें लिखनी होती हैं ।

कभी-कभी आदेश पत्र बिना पूछताछ के पत्र एवं निर्ख पत्र के भी लिखे जाते हैं यदि आदेशित व्यक्ति के साथ इसके सम्बन्ध पहले से चले आ रहे हैं ।

वस्तु खरीदने के लिए अनुरोध पत्र:

माल खरीदने के लिए आदेश पत्र:

(3) दावे तथा समायोजन के लिए अनुरोध (Request for Claims and Adjustments):

जब माल प्राप्त करने वाले को माल दोषयुक्त (Defective) प्राप्त होता है, तब वह इसकी शिकायत माल भेजने वाले को अथवा जिसकी लापरवाही से उसे दोषयुक्त माल प्राप्त हुआ है, उससे करता है जिसे दोषयुक्त माल प्राप्ति के सम्बन्ध में शिकायत कहते हैं ।

इस प्रकार की शिकायत प्राप्त होने पर विक्रेता को इसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए वरन् उस पर पूरा ध्यान देना चाहिए । कड़ी-से-कड़ी शिकायत का उत्तर भी विनम्र भाषा में देना चाहिए । किसी शिकायत को दूर करने के सम्बन्ध में विक्रेता द्वारा जो पत्र लिखा जाता है, वह समायोजन का पत्र कहलाता है ।

माल कम निकलने की शिकायत:

(4) रेलवे को शिकायती पत्र जिसमें क्षतिग्रस्त माल का हर्जाना देने का अनुरोध किया गया हो (Complaints to Railway asking Compensation for Damaged Goods):

कभी-कभी जब रेलवे से माल मंगाया जाता है, वह रास्ते में क्षतिग्रस्त हो जाता है । ऐसा प्राय: रेल कर्मचारियों की लापरवाही से होता है । आप इस सम्बन्ध में रेलवे अधिकारियों को एक पत्र लिखिए और हर्जाने की मांग करिये ।

रेलवे को शिकायती पत्र

 

(5) ऋण सम्बन्धी पूछताछ के लिए अनुरोध (Request for Loan Enquiry):

एक युवा बेरोजगार जो पेशे से इजीनियर है, एक लघु उद्योग प्रारम्भ करना चाहता है । वह जानना चाहता है कि क्या बैंक के पास कोई स्व-रोजगार योजना है । इस सम्बन्ध में बैंक को पत्र लिखिए ।

ऋण सम्बन्धी पूछताछ के लिए बैंक से अनुरोध:

(6) बैंक को साख सीमा बढ़ाने के लिए अनुरोथ पत्र (Request Letter to Bank for Increasing Credit Limit):

आजकल बैंक व्यापारियों, उद्योगपतियों, छोटे दुकानदारों एवं बेरोजगारों को कई प्रकार के ऋण कम ब्याज पर उपलब्ध कराते हैं । आप बैंक प्रबन्धक को एक पत्र लिखिए जिसमें अधिविकर्ष की सीमा बढ़ाने की बात कही गई हो ।

(7) एजेन्सी प्राप्त करने के लिए अनुरोध (Request for Obtaining Agency):

एजेन्सी एक स्थायी प्रक्रिया है । सभी बड़ी-बड़ी फर्में जो बड़ी मात्रा में किसी उत्पाद (Product) का उत्पादन करती है, अपने उत्पादन को देश-विदेश में बेचने हेतु, उत्पाद को सुलभ कराने के लिए, एजेण्ट की नियुक्ति करती हैं । ये एजेण्ट अपने-अपने क्षेत्र में माल की आपूर्ति सुलभ कराने के लिए उत्तरदायी होते हैं ।

एजेन्सी देने के प्रस्ताव सम्बन्धी पत्र की भाषा सरल एवं आकर्षक, एजेन्सी देने के नियम सरल एवं उत्पाद अच्छे किस्म का तथा उसकी पैकिंग आकर्षक होनी चाहिए । उत्पादक को यह नहीं भूलना चाहिए कि एजेण्ट उत्पादित माल की लोकप्रियता बढ़ाने में आधार-स्तम्भ होते है तथा लाभ में उनके लिए अच्छा भाग छेड़ना उत्पादक के लिए सदैव हितकर सिद्ध होता है ।

एजेन्सी के लिए प्रार्थना पत्र (Application for getting Agency):

(8) व्यापारिक प्रतिनिधि बुलाने के लिए अनुरोध पत्र (Request Letter for Calling a Trade Representative):

व्यवसाय में व्यापारिक प्रतिनिधि का बहुत अधिक महत्त्व होता है । व्यापारिक प्रतिनिधि कम्पनी की बिक्री जड़ाने के साथ-साथ उसकी साख में भी वृद्धि करते हैं । व्यापारिक प्रतिनिधि ग्राहकों की सन्तुष्टि भी करते हैं । वस्तु का सम्पूर्ण विवरण व उसके कार्य करने के ढंग का प्रदर्शन भी, आवश्यकता पड़ने पर, इनके द्वारा ही किया जाता है ।

इसके साथ-साथ जब किसी उत्पाद को अधिक मात्रा में खरीदना होता है तो क्रेता उसके बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सन्तुष्ट होना चाहता है । इसके बाद ही वह निर्णय लेता है । इस प्रकार के पत्र प्राय: एक फर्म के द्वारा वितरक (Distributor) को लिखे जाते हैं या एक संगठन के द्वारा (जब अधिक मात्रा) में माल देना हो तो वितरक को लिखे जाते हैं ।

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