Read this article in Hindi to learn about the procedure for resgistration of portfolio manager. Also learn about his functions.
प्रतिभूतियों का सम्मिश्रण जैसे स्टॉक, बॉण्ड तथा मुद्रा बाजार के संसाधन पोर्टफोलियो कहलाता है । जो व्यक्ति या फर्म इनका प्रबन्ध करती है, पोर्टफोलियो प्रबन्धक कहलाती है निवेशक इनकी सलाह ले सकता है अथवा अपने पोर्टफोलियो के प्रबन्ध के लिए इनकी नियुक्ति करता है ।
प्रतिभूतियाँ अथवा फण्डस् के प्रबन्ध अथवा नियन्त्रण का उत्तरदायित्व पोर्टफोलियो प्रबन्धक पर होता है । पोर्टफोलियो प्रबन्ध कराना निवेशक की इच्छा पर निर्भर करता है अर्थात यह ऐच्छिक अथवा अनैच्छिक हो सकता है ।
पोर्टफोलियो प्रबन्धक का पंजीकरण (Registration of Portfolio Manager):
पोर्टफोलियो प्रबन्ध सेवाएँ प्रदान करने के लिए ‘सेबी’ से पंजीकरण प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है । परन्तु वर्ग-I और वर्ग-II के व्यापारिक बैंकर्स को पोर्टफोलियो प्रबन्धक के रूप में कार्य करने के लिए ‘सेबी’ से प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है लेकिन उन्हें ‘सेबी’ द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार ही कार्य करना पड़ता है ।
निर्धारित शुल्क जमा करने के पश्चात् ‘सेबी’ पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी कर देती है । पंजीकरण प्रमाणपत्र का तीन वर्ष पश्चात नवीनीकरण कराना पड़ता है । पहले दो वर्षों के लिए पंजीकरण शुल्क 10 लाख रुपये तथा तीसरे वर्ष के लिए 5 लाख रुपये है ।
पंजीकरण के लिए आवेदन-पत्र के साथ गैर-प्रत्यपर्णय शुल्क, जो कि एक लाख रुपये है जमा करना होगा । पोर्टफोलियो प्रबन्धक को नवीनीकरण के कम से कम तीन महीने पहले आवेदन करना होगा ।
पंजीकरण पद्धति (Procedure for Registration):
पंजीकरण के लिए आवेदन एक निर्धारित फार्म में ‘सेबी’ को जमा करना होता है ।
‘सेबी’ निम्नलिखित को ध्यान में रखने हुए पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने के बारे में विचार करती है:
(a) पोर्टफोलियो प्रबन्धक के पास पर्याप्त कर्मचारी संसाधन आदि हैं या नहीं ।
(b) पोर्टफोलियो प्रबन्धक के पास कम से कम दो, इस क्षेत्र में अनुभवी कर्मचारी होने चाहिए ।
(c) उसके पास पर्याप्त पूंजी है जो कि पूंजी एवं कोषों के रूप में कम से कम 50 लाख रुपये होनी चाहिए ।
(d) आवेदक अथवा साझेदार अथवा निवेशक को किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया हो ।
(e) आवेदक अथवा साझेदार या संचालक प्रतिभूति बाजार से सम्बन्धित किसी मुकदमे में शामिल नहीं ।
(f) आवेदक में पेशेवर योग्यता है ।
(g) पंजीकरण करना निवेशकों के हित में है ।
उपर्युक्त सभी तथा विचार करने के पश्चात ‘सेबी’ द्वारा पोर्टफोलियो प्रबन्धक के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है जिसकी अवधि 3 वर्ष होती है । 3 वर्ष के पश्चात् यदि पोर्टफोलियो प्रबन्धक चाहें तो इसका नवीनीकरण (Renew) करा सकते है ।
व्यावहार संहिता (Code of Conduct):
पोर्टफोलियो प्रबन्धकों के लिए बनाई गई व्यवहार संहिता को तीन भागो में बाँटा जा सकता हैं:
(A) सामान्य व्यवहार (General Conduct):
(1) पोर्टफोलियो प्रबन्धकों को अपने कार्य में पारदर्शी (Transparent) होना
चाहिए । ग्राहकों से प्राप्त राशि को तुरंत निवेश कर देना चाहिए । इसी प्रकार भुगतान की जाने वाली राशि का तुरंत भुगतान कर देना चाहिए ।
(2) पोर्टफोलियो प्रबन्धक को अपने ग्राहकों की तरफ से निवेश करते समय उचित सावधानी एवं विवेक का प्रयोग करना चाहिए अपने ग्राहकों को उच्चकोटि की सेवाएँ उपलब्ध करानी चाहिए ।
(3) पोर्टफोलियो प्रबन्धक को ग्राहकों के साथ मतभेदों से बचना चाहिए । अपने ग्राहकों के हित को सर्वोपरि रखना चाहिए ।
(4) पोर्टफोलियो प्रबन्धक को अपने ग्राहकों के गुप्त एवं महत्त्वपूर्ण तथ्यों को प्रकट नहीं करना चाहिए ।
(5) उसे ग्राहकों को लिखित अथवा मौखिक रूप में अपनी योग्यता अथवा सेवाएं प्रदान करने की क्षमता के बारे में कोई अतिशयोक्तिपूर्ण विवरण (Exaggerated Statement) नहीं देना चाहिए ।
(6) अपने ग्राहकों की प्रतिभूतियों के हस्तान्तरण का पंजीकरण कराने के लिए तथा लाभांश प्राप्त करने, ब्याज का भुगतान करने के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए ।
(B) ग्राहकों के साथ व्यवहार (Conduct with Clients):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक को अपने ग्राहकों के साथ एक अनुबन्ध करना चाहिए ।
अनुबन्ध में निम्नलिखित सम्मिलित होना चाहिए:
(i) विनियोग उद्देश्य एवं प्रदान की जाने वाली सेवाएँ;
(ii) विनियोग का क्षेत्र, उद्योग अथवा कम्पनी जिनमें निवेश पर प्रतिबन्ध हो;
(iii) अनुबन्ध की अवधि;
(iv) विनियोग की जाने वाली राशि;
(v) सेवा शुल्क की राशि ।
(C) अन्य उत्तरदायित्व (Other Responsibilities):
(a) ग्राहकों के फण्ड के लिए उसे न्यासी के रूप में कार्य करना चाहिए ।
(b) ग्राहकों द्वारा निर्धारित सीमा में ही विनियोग करना चाहिए ।
(c) ग्राहकों के निवेश, फण्ड आदि से निजी लाभ नहीं लेना चाहिए ।
(d) ग्राहकों की प्रतिभूतियाँ को गिरवी (Mortgage) नहीं रखना चाहिए ।
(e) ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा शीघ्र करना चाहिए ।
खाता बही एवं रिकॉर्ड (Maintenance of Books of Accounts and Records):
प्रत्येक पोर्टफोलियो प्रबन्धक को निम्न खाने रिकॉर्ड एवं प्रपत्र रखने अनिवार्य है:
(i) प्रत्येक लेखांकन वर्ष के अन्त में तैयार किया गया लाभ-हानि खाते की प्रति;
(ii) प्रत्येक लेखांकन वर्ष के अन्त में तैयार किये गये चिट्ठे की प्रति;
(iii) अंकेक्षक की रिपोर्ट की कॉपी;
(iv) वित्तीय स्थिति विवरण की प्रति;
(v) प्रत्येक निवेश के लिए पर्याप्त कारण जैसे उपलब्ध आंकड़े, सुझाव, तथ्य आदि ।
प्रत्येक लेखांकन वर्ष के अन्त में उपर्युक्त की एक कॉपी ‘SEBI’ के पास जमा करवानी चाहिए । खाते तथा अन्य रिकॉर्ड कम से कम 5 वर्ष की अवधि के लिए सुरक्षित रखने चाहिए खातों का अंकेक्षण किसी योग्य अंकेक्षण के द्वारा होना चाहिए ।
सूचना को प्रकट करना (Disclosure of Information):
(1) ‘सेबी’ को सूचना (Information to SEBI):
(I) ग्राहकों के नाम जिनके लिए पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएँ मुहैया करा रहा है;
(II) पूंजी की पर्याप्तता सम्बन्धी विवरण;
(III) पोर्टफोलियो प्रबन्ध से संबन्धित विवरण;
(IV) पूर्व में दी गई सूचनाओं में यदि कोई परिवर्तन है ।
(2) ग्राहकों को सूचना (Information to Clients):
(i) ब्याज, लाभांश, बोनस अंश, अधिकार अंश तथा ऋणपत्रों के रूप में प्राप्त लाभ;
(ii) ग्राहकों की तरफ से किये गये सभी लेन-देनों की सूचना;
(iii) पोर्टफोलियो प्रबन्ध में किये गये व्यय;
(iv) पोर्टफोलियो प्रबन्ध के द्वारा किये गये निवेश में जोखिम की मात्रा,
(v) पोर्टफोलियो में प्रत्येक प्रतिभूति की संख्या एवं मूल्य।
‘सेबी’ द्वारा निरीक्षण (Inspection by SEBI):
पोर्टफोलियो प्रबन्धकों के खातों की जाँच के लिए एक या एक से अधिक व्यक्तियों को ‘सेबी’ द्वारा नियुक्त किया जा सकता है ।
निरीक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हो सकते है:
(a) खाते निर्धारित विधि के अनुसार रखे गये हैं या नहीं;
(b) ‘सेबी’ द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है अथवा नहीं;
(c) निवेशकों के हित को ध्यान में रखा गया है या नहीं;
(d) निवेशकों की शिकायत को दूर किया गया है अथवा नहीं;
‘सेबी’ निरीक्षण बिना सूचना दिये भी करा सकता है ।
पंजीकरण का निलम्बत (Suspension of Registration):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक का पंजीकरण अग्र दशाओं में निलम्बित किया जा सकता है, यदि वह:
(i) ‘सेबी’ के प्रावधानों, नियमों आदि का उल्लंघन करता है;
(ii) ‘सेबी’ द्वारा अपेक्षित सूचनाएँ प्रदान करने में असफल रहता है;
(iii) ‘सेबी’ द्वारा किये जाने वाले निरीक्षण में सहयोग नहीं करता है;
(iv) अपने ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा करने में असफल रहता है;
(v) कपट अथवा मूल्यों में कृत्रिम वृद्धि करने आदि में शामिल है;
(vi) अनुचित अथवा दुर्व्यवहार करने का दोषी पाया गया हो;
(vii) पंजीकरण शुल्क का भुगतान न किया हो;
(viii) अपेक्षित पर्याप्त पूंजी रखने में असफल रहा हो;
(ix) ‘सेबी’ के नियमों में निर्धारित अपने कर्तव्यों को करने में असफल रहा हो ।
पंजीकरण रद्द करना (Cancellation of Registration):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक का पंजीकरण निम्न दशाओं में रद्द किया जा सकता है:
(a) यदि वह ऐसी गतिविधियों में शामिल हो जिनका निवेशकों के हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो तथा प्रतिभूति बाजार के संचालन में बाधा उत्पन्न होती है । जैसे- कपटपूर्ण सौदे करना, कीमतों में कृत्रिम वृद्धि या कमी करना;
(b) यदि पोर्टफोलियो प्रबन्धक की वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि ‘सेबी’ के अनुसार उसका कार्य करने रहना निवेशकों के हित में नहीं है;
(c) यदि वह किसी अपराध के लिए दोषी पाया गया हो;
(d) यदि वह बार-बार अपराध करने का दोषी पाया जाता है ।
वर्तमान स्थिति (Current Position):
वर्ष 2004-05 में पोर्टफोलियो प्रबन्धकों की संख्या केवल 84 थी जो बढ़कर वर्ष 2004-05 में 132 हो गई ।
पोर्टफोलियो प्रबन्धक के कार्य (Functions of Portfolio Manager):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक निम्न प्रकार के कार्यों का निर्वाह करता है:
(A) निवेशकों के उद्देश्यों की पहचान करना (Identifying the Investor’s Objectives):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक का प्रथम कार्य निवेशकों के उद्देश्यों उनकी सीमा एवं प्राथमिकताओं की पहचान करना है ताकि उन्हें के अनुरूप पोर्टफोलियो का निर्माण कर सकें ।
(B) ग्राहकों के साथ अनुबन्ध करना (Making Contract with Clients):
ग्राहकों की पहचान करने के पश्चात् पोर्टफोलियो प्रबन्धक अपने ग्राहकों के साथ एक अनुबन्ध करता है ।
जिसमें निम्न बातों का उल्लेख होता है:
(i) निवेश का उद्देश्य एवं प्रदान की जाने वाली सेवाएँ;
(ii) निवेश में जोखिम की सम्भावित मात्रा;
(iii) अनुबन्ध की अवधि;
(iv) निवेश की जाने वाली राशि;
(v) ग्राहक को भुगतान करने की विधि;
(vi) पोर्टफोलियो प्रबन्धक का परिश्रमिक/शुल्क;
(vii) प्रतिभूतियों का रख-रखाव/अभिरक्षण ।
(C) ग्राहक की मुद्रा का निवेश करना (Making Investment of Client’s Money):
इस कार्य के अन्तर्गत पोर्टफोलियो प्रबन्धक ग्राहक से प्राप्त राशि को निवेशक की प्राथमिकता को ध्यान रखने हुए विनियोग करना है । पोर्टफोलियो प्रबन्धक को अपने ग्राहकों के कोषों को मुद्रा बाजार अभिलेखों अथवा जैसा कि अनुबन्ध में कहा गया है के अनुसार निवेश करना चाहिए ।
(D) निवेश नीति बनाना (Formulating the Investment Policy):
निवेश नीति का निर्माण निवेशक के उद्देशय, प्राथमिकताओं एवं उसकी सीमा को ध्यान में रखकर करना चाहिए । पोर्टफोलियो प्रबन्धक निवेश नीति को लाए करने एवं विकसित करने के लिए व्यूह रचना का निर्माण करता है । नीति-निर्माण में जोखिम-प्रत्याय को ध्यान में रखना चाहिए ।
(E) ग्राहकों को रिपोर्ट भेजना (Furnishing Reports to Clients):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक अनुबन्ध के अनुसार निश्चित समय पर निम्न के बारे में अपने ग्राहकों को सूचना देता है:
(a) पोर्टफोलियो में शामिल प्रतिभूतियाँ की संख्या उनकी व्याख्या, प्रत्येक प्रतिभूति का मूल्य तथा पोर्टफोलियो का कुल मूल्य;
(b) रिपोर्ट की अवधि के दौरान किए गए लेन-देन का विवरण;
(c) रिपोर्ट की अवधि में प्राप्त लाभांश, ब्याज, बोनस अंश इत्यादि का विवरण;
(d) पोर्टफोलियो निर्माण में खर्च की गई राशि का विवरण ।
(F) रिकॉर्ड रखना (Maintaining Records):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक निम्नलिखित रिकार्ड कम से कम पाँच वर्ष तक रखता है:
(i) प्रत्येक लेखांकन वर्ष के अन्त में तैयार की गई तुलना की प्रतिलिपि ।
(ii) लाभ-हानि खाते की प्रतिलिपि ।
(iii) वित्तीय स्थिति के विवरण की काफी ।
(iv) प्रत्येक निवेश लेन-देन का रिकॉर्ड ।
(G) सेबी को जरूरी रिपोर्ट जमा करना (Submitting Required Reports to SEBI):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक को जब भी सेबी द्वारा कहा जाए जरूरी रिपोर्ट जमा करनी होती है । यह रिपोर्ट/सूचना गैर-अंकेक्षित वित्तीय परिणामों के बारे में हो सकती है । उस ग्राहक के बारे में हो सकती है जिसका पोर्टफोलियो उसने तैयार किया है अथवा पूंजी पर्याप्तता के सम्बन्ध में हो सकती है ।
(H) अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करना (Employing the Compliance Officers):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक सेबी एवं केन्द्रीय सरकार द्वारा जारी समय-समय पर दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए एक अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करता है । यह अधिकारी निवेशकों की शिकायतों को भी दूर करने के लिए उत्तरदायी होता है ।
(I) खातों का रख-रखाव एवं उनका अंकेक्षण कराना (Maintaining the Accounts and getting them Audited):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक प्रत्येक ग्राहक के लिए अलग से खाना तैयार करता है । जिसमें उस ग्राहकों से सम्बन्धित सभी लेन-देनों का लेखा-जोखा होता है । पोर्टफोलियो प्रबन्धक अपने स्वयं के खाने भी रखता है जिनका अंकेक्षण किसी योग्य अंकेक्षक से कराया जाता है ।
(J) पोर्टफोलियो के निष्पादन का निरीक्षण करना (Monitoring the Performance of Portfolio):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक बाजार दशाओं, कम्पनी के निष्पादनों तथा निवेशकों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए पोर्टफोलियो के निष्पादनों का निरन्तर निरीक्षण करता है ।
(K) पोर्टफोलियो का मूल्यांकन करना (Evaluating the Portfolio):
पोर्टफोलियो प्रबन्धक पोर्टफोलियो का मूल्यांकन करने के लिए इससे प्राप्त परिणाम की तुलना निर्धारित लक्ष्यों से करता है तथा आवश्यक समायोजन करता है । अत: पोर्टफोलियो प्रबन्धक समय-समय पर पोर्टफोलियो का मूल्यांकन करता रहता है और पोर्टफोलियो मिश्रण में आवश्यक संशोधन करता रहता है ।