Read this article in Hindi to learn about the three main techniques adopted for the revision of portfolio in a company. The techniques are: 1. The Formula Plan 2. Constant Ratio Plan 4. Variable Ratio Plan.
Technique # 1. फॉर्मूला प्लान (The Formula Plan):
प्रतिभूतियाँ के क्रय-विक्रय सम्बंधी आधारभूत नियम एवं नियमन निवेशक की काफी सहायता करते है । ये नियम फॉर्मूला प्लान द्वारा मुहैया कराए जाते है । इन योजनाओं (Formula Plans) के तहत प्रतिभूति क्रय के लिए राशि निश्चित कर दी जाती है । यह राशि स्थायी अथवा परिवर्तनशील अनुमान में निश्चित की जाती है लेकिन यह अनुपात निवेशक के प्रत्याय एवं जोखिम के प्रति व्यवहार पर निर्भर करता है ।
फॉर्मूला प्लान की मान्यताएं (Assumptions of Formula Plans):
फॉर्मूला प्लान की मान्यताएँ निम्नलिखित है:
(1) निवेशक के पास कोषों का एक निश्चित प्रतिशत स्थायी आय प्रतिभूतियाँ एवं साधारण स्टॉक में विनियोग के लिए उपलब्ध है । विनियोग का अनुपात बाजार में उपलब्ध स्थिति पर निर्भर करता है ।
(2) दूसरी मान्यता यह है यदि बाजार ऊपर उठता है तो पोर्टफोलियो स्टॉक के अनुपात में भी परिवर्तन आता है- नीचे की ओर अथवा स्थाई (Constant) रहता है ।
(3) वर्तमान आय के उद्देश्य से बॉण्ड में निवेश लाभदायक हैं ।
(4) कीमतों में परिवर्तन के कारण स्टॉक का क्रय-विक्रय होता है ।
(5) निवेशक से यह आशा की जाती है कि वह फॉर्मूला प्लान का अनुसरण करेगा ।
(6) यदि कीमतें गिर रही है तो निवेशक को अंश क्रय करने चाहिए । वही दूसरी तरफ यदि कीमतें बढ रही है तो उपलब्ध अंश बेच देने चाहिए ।
(7) निवेशक को ऐसे स्टॉक का चयन करना चाहिए जो बाजार के साथ-साथ
चले । जोखिम एवं प्रत्याय को ध्यान में रखना चाहिए ।
(8) निवेशक को हमेशा कुछ नकदी अपने पास रखनी चाहिए ।
(9) विनियोगकर्त्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिक प्रत्याय प्राप्ति उद्देश्य में अधिक जोखिम हो सकता है ।
फॉर्मूला प्लान के लाभ (Advantages of Formula Plan):
फॉर्मूला प्लान के लाभ निम्नलिखित है:
(I) फॉर्मूला प्लान निवेशक के लिए प्रतिभूति क्रय-विक्रय के नियम प्रदान करते हैं ।
(II) फॉर्मूला प्लान की सहायता से निवेशक अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है ।
(III) फार्मूला प्लान प्रतिभूतियाँ के क्रय-विक्रय को नियन्त्रित करता है ।
(IV) ‘समय पर विनियोग’ का निर्णय लेने में फॉर्मूला प्लान काफी सहायक है ।
फॉर्मूला प्लान के दोष (Demerits of Formula Plans):
(a) फॉर्मूला प्लान प्रतिभूतियों के चयन में मदद नहीं करता । प्रतिभूतियों का चयन एक तकनीकी विश्लेषण के आधार किया जाता है ।
(b) फॉर्मूला प्लान परिवर्तनशील नहीं है । एक बार चयनित योजना का अनुसरण करना पड़ता है ।
(c) फॉर्मूला प्लान दीर्घकालीन विनियोगों के लिए उपयोगी है ।
साधारणतया प्रयोग की जाने वाली योजनाएँ (Commonly Used Formula Plans):
निम्नलिखित फॉर्मूला प्लान आमतौर प्रयोग की जाती है:
(1) रुपया लागत औसतीकरण (Rupee Cost Averaging)
(2) स्थायी रुपया प्लान (Constant Rupee Plan)
(3) स्थायी अनुपात प्लान (Constant Ratio Plan)
(4) परिवर्तनशील अनुपात प्लान (Variable Ratio Plan)
(1) रुपया लागत औसतीकरण (Rupee Cost Averaging):
यह एक सरलतम एवं अधिक प्रभावी फॉर्मूला प्लान है । इस योजना के अनुसार निवेशक को एक नियमित अन्तराल के पश्चात स्टॉक में निवेश करना चाहिए निवेशक को ऐसे स्टॉक क्रय करने चाहिए जो वृद्धि (Growth) प्रदान कर सकें । एक निवेशक विभिन्न स्टॉक विभिन्न कीमतों पर क्रय करता है ।
इसे निम्न तालिका की सहायता से समझा जा सकता है:
उपर्युकत उदाहरण में, स्टॉक कीमतें दूसरी तिमाही में नीचे गिरीं लेकिन तीसरी तिमाही में सँभल गई । निवेशक पहली तिमाही की अपेक्षा दूसरी तिमाही में अधिक अंश खरीद सकता था । आखिरी दो कॉलम की तुलना करने से इस योजना का महत्व पता चलता है । दूसरी तिमाही में प्रति अंश औसत लागत, प्रति अंश औसत बाजार कीमत से कम है । यह रुपया लागत औसतीकरण से प्राप्त लाभहैं ।
लाभ (Advantages):
रुपया लागत औसतीकरण योजना के लाभ निम्नलिखित हैं:
(i) यह दीर्घकाल अवधि में लाभ की सम्भावना को बढ़ावा देती है तथा प्रति अंश औसत लागत को कम करती है ।
(ii) यह योजना क्रय समय के दबाव को कम करने में सहायता करती है ।
(iii) यह योजना दोनों स्थितियों-बाजार उतार, बाजार चढ़ाव में लागू की जा सकती है ।
हानियाँ (Disadvantages):
(a) यह योजना क्रय व्यूह-रचना के बारे में अवगत कराती है लेकिन प्रतिभूतियों का विक्रय कब करें, इसके बारे में शांत है ।
(b) थोड़ी मात्रा एवं बार-बार अंश क्रय करने से लेन-देन लागत (Transaction Cost) में वृद्धि होती है ।
(c) यह प्लान दो क्रय के बीच समय अन्तराल के बारे में स्पष्ट निर्देश नहीं देता ।
(d) यह योजना गिरती हुई मार्केट (Prices Coming Down) के समय उपयुक्त नहीं है ।
(2) स्थायी रुपया प्लान (Constant Rupee Plan):
इस योजना के अन्तर्गत पोर्टफोलियो में सम्मिलित प्रतिभूतियों में एक स्थायी राशि विनियोजिन रहती है । इसका आशय यह नहीं है कि निवेशक पोर्टफोलियो की प्रतिभूतियाँ में परिवर्तन नहीं कर सकता । निवेशक निवेश को बॉण्ड से स्टॉक तथा स्टॉक से बॉण्ड में शिफ्ट कर सकता है ।
निवेशक को बाजार कीमतों की हलचल पर नजर रखनी पड़ती है । इस तरह से वह उचित समय पर पोर्टफोलियो में समायोजन कर सकता है इस प्लान की मुख्य यह है कि निवेशक मूल निवेश राशि (स्थायी निवेश) रखता है निवेश राशि में वृद्धि होने पर आधिक्य निवेश को (जब कीमतों में वृद्धि होती है) बेच देता है । इस प्रकार वह न्यूनतम स्थायी निवेश राशि अपने पोर्टफोलियो में रखता है ।
उपर्युक्त तालिका से पता चलता है कि निवेशक के पास 20,000 रुपये निवेश के लिए उपलब्ध है जिन्हें वह स्टॉक एवं बॉण्ड में 50:50 के अनुपात में 10,000:10,000 निवेश करता है ।
वह स्टॉक में वृद्धि या कमी को तिमाही में (20 प्रतिशत) समायोजन करता है । यहाँ तीसरी तिमाही में अंशों की कीमतें 20 प्रतिशत गिर जाती हैं । वह बॉण्ड हिस्से में से २००० रुपये शिफ्ट करके उसके 50 अंश खरीद लेता है । इस परिवर्तन से अंशों का मूल्य दोबारा 10,000 रुपये हो जाता है ।
Technique # 2. स्थायी अनुपात प्लान (Constant Ratio Plan):
इस प्लान के अनुसार निवेशक अपने आक्रामक एवं रक्षात्मक पोर्टफोलियो में स्थायी अनुपात बनाए रखने की कोशिश करता है । इस अनुपात का निर्णय निवेशक द्वारा लिया जाता है प्रत्याय एवं जोखिम के प्रति उसका व्यवहार अनुपात निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है रक्षात्मक निवेशक बॉण्ड्स में निवेश करना पसन्द करता है, जबकि आक्रामक निवेशक स्टॉक में निवेश करता है ।
अनुपात निर्धारण के पश्चात् इसको बाजार की हलचल (ऊपर-नीचे) के अनुसार बनाए रखा जाता है यह अनुपात एक निवेशक से दूसरे निवेशक के लिए अलग-अलग हो सकता है ।
Technique # 3. परिवर्तनशील अनुपात प्लान (Variable Ratio Plan):
इस योजना के अनुसार स्टॉक व बॉण्ड की मात्रा बाजार कीमतों में परिवर्तन से निर्धारित होती है । जब बाजार कीमतें बढ़ती हैं स्टॉक (अंशों) को बेच दिया जाता है और इस तरह से एक नये अनुपात का सृजन होता है । भविष्यवाणी इस प्लान का मूल आधार है ।