Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning and Definitions of Scientific Management 2. Characteristics of Scientific Management 3. Advantages.

वैज्ञानिक प्रबन्ध का अर्थ एवं परिभाषाएं (Meaning and Definitions of Scientific Management):

वैज्ञानिक प्रबन्ध के अंन्तर्गत दो शब्द हैं- वैज्ञानिक एवं प्रबन्ध । वैज्ञानिक का अर्थ है, ‘विशिष्ट ज्ञान की अभिवृद्धि’ एवं प्रबन्ध का अर्थ है, ‘सुव्यवस्थित संचालन’ । अत: वैज्ञानिक प्रबन्ध का अर्थ है विशिष्ट ज्ञान के आधार पर किसी कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से करना ।

विभिन्न विद्वानों द्वारा वैज्ञानिक प्रबन्ध की निम्नलिखित परिभाषाएँ प्रस्तुत की गई हैं:

जोन्स के अनुसार- ”वैज्ञानिक प्रबन्ध उत्पादन के नियन्त्रण एवं विधियों में एक नवीन अनुशासन प्राप्त करने के लिये नियमों का एक समूह है ।”

पी. एफ. ड्रकर (P.F. Drucker) के शब्दों में- ”वैज्ञानिक प्रबन्ध का कार्य दायित्वों का संगठित अध्ययन, कार्य का सरलतम भागों में विश्लेषण और प्रत्येक भाग का श्रमिक द्वारा निष्पादन करने हेतु व्यवस्थित सुधार करना है ।”

प्रो. मार्शल के मतानुसार- ”यह (वैज्ञानिक प्रबन्ध) मुख्य रूप से बड़े व्यवसाय की कर्मचारी व्यवस्था की एक विधि है, जिसका उद्देश्य अपने अधिकांश कर्मचारियों के दायित्वों की सीमा को घटाकर उनकी कार्यकुशलता बढ़ाना है तथा साधारण शारीरिक क्रियाओं के सम्बन्ध में दिये गये आदेश पर विवेकपूर्ण अध्ययन करना है ।”

एच. एल. पर्सन की परिभाषा भी उल्लेखनीय है- ”वैज्ञानिक प्रबन्ध से आशय ऐसे संगठन तथा प्रणालियों से है जो उद्देश्ययुक्त सामूहिक प्रयासों से पूर्ण हैं तथा जिनका निर्माण वैज्ञानिक अनुसन्धान और विश्लेषण के आधार पर हुआ हो, न कि मनमाने तौर पर अथवा परम्परागत त्रुटि सुधार प्रणाली के आधार पर ।”

एफ. डब्ल्यू. टेलर ने लिखा है कि- “प्रबन्ध सही रूप में यह जानने की कला है कि क्या कार्य किया जाना है और उसके करने का सर्वोत्तम तरीका कौन-सा है ?”

टेलर ने वैज्ञानिक प्रबन्ध का अर्थ स्पष्ट करते हुए आगे लिखा है- ”वैज्ञानिक प्रबन्ध यह पक्के रूप में मानकर चलता है कि दोनों (श्रमिकों व मालिकों) के वास्तविक हित एक एवं समान हैं क्योंकि मालिकों की सम्पन्नता लम्बे समय तक बिना श्रमिकों की सम्पन्नता के चल नहीं सकती है इसलिये यह सम्भव है कि श्रमिक को जो वह चाहता हैं- ऊंची मजदूरी-दी जानी चाहिए एवं मालिक को जो वह चाहता हें- निम्न श्रम लागत-दी जानी चाहिये ।”

वैज्ञानिक प्रबन्ध की विशेषताएँ (Characteristics of Scientific Management):

परिभाषाओं के आधार पर वैज्ञानिक प्रबन्ध की निम्नलिखित विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं:

1. वैज्ञानिक प्रबन्ध में निश्चित योजना के द्वारा विभिन्न कार्यों को निश्चित तरीकों से सम्पादित किया जाता है ।

2. विभिन्न घटनाओं एवं परिस्थितियों आदि के सम्बन्ध में तथ्यों का अवलोकन एवं विश्लेषण करने के उपरान्त नियम व सिद्धान्त बनाये जाते हैं ।

3. मानवीय सम्बन्धों पर विशेष बल दिया जाता है, क्योंकि अच्छे मानवीय सम्बन्धों के अभाव में कोई भी संस्थान कर्मचारियों का सहयोग प्राप्त नहीं कर सकता है ।

4. वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत कच्चे माल तथा भौतिक व मानवीय संसाधनों का योजनाबद्ध तरीके से अधिकतम उपयोग किया जाता है ।

5. श्रमिकों को योग्यतानुसार कार्य दिया जाता है तथा प्रोत्साहन देने हेतु प्रेरणात्मक मजदूरी दी जाती है ।

6. एक ही कार्य को विभिन्न भागों में विभाजित करके विभिन्न श्रमिक समूहों को सौंपा जाता है इससे उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है तथा मितव्ययिता बनी रहती है ।

7. वैज्ञानिक प्रबन्ध में प्रत्येक कार्य का प्रमाप निश्चित होने के कारण कार्य प्रभावपूर्ण ढंग से होता है ।

8. व्यक्तिगत हित के स्थान पर सर्वोपरि हित को सर्वोपरि माना जाता है ।

9. वैज्ञानिक प्रबन्ध में पूंजी व श्रम में संघर्ष के स्थान पर सहयोग की भावना को उत्पन्न करने का प्रयास किया जाता है ।

10. संस्थान में कार्यरत विभिन्न कर्मचारियों के अधिकार व उत्तरदायित्व निर्धारित कर दिए जाते हैं ।

वैज्ञानिक प्रबन्ध के लाभ (Advantages of Scientific Management):

टेलर के अनुसार वैज्ञानिक प्रबन्ध सभी वर्गों के लिये लाभप्रद होता है ।

इस प्रबन्ध से विभिन्न वर्गों को होने वाले लाभों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:

1. उत्पादकों को लाभ (Advantages to Products):

वैज्ञानिक प्रबन्ध से उत्पादकों या उद्योगपतियों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:

(a) प्रत्येक कार्य वैज्ञानिक पद्धति से होने के कारण उत्पादन अधिक होता है । इसमें वस्तुओं व सेवाओं की पूर्ति निश्चित समय पर होती है ।

(b) प्रमापीकरण के कारण वस्तु की अच्छी किस्म प्राप्त होती है ।

(c) प्रेरणात्मक मजदूरी एवं ‘मानसिक क्रान्ति’ के कारण प्रबन्ध एवं श्रम के मध्य विवादों की समाप्ति हो जाती है ।

(d) श्रम-विभाजन, विशिष्टीकरण, प्रमापीकरण, मशीनीकरण, स्वचालन एवं आधुनिकीकता के परिणामस्वरूप उत्पादन लागत में कमी आती है ।

(e) श्रम विभाजन व विशिष्टीकरण से होने वाले लाभ प्राप्त होते हैं ।

2. श्रमिकों को लाभ (Advantages to Workers):

वैज्ञानिक प्रबन्ध से श्रमिकों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:

(a) वैज्ञानिक प्रबन्ध में श्रमिकों को योग्यता व अनुभव के आधार पर ही कार्य का वैज्ञानिक आवण्टन किया जाता है । इससे श्रमिक कार्य में रुचि लेते हैं तथा उन्हें सन्तुष्टि मिलती है ।

(b) श्रमिकों को कार्यानुसार पर्याप्त मजदूरी दी जाती है । साथ ही कार्यकुशल श्रमिकों को प्रेरणात्मक मजदूरी भी दी जाती है । इससे श्रमिकों को स्फूर्ति से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है ।

(c) श्रमिकों को रोजगार स्थायी रूप से मिलता है यदि रोजगार में किसी प्रकार का परिवर्तन किया भी जाता है तो वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था कर ली जाती है ।

(d) श्रमिकों का चयन वैज्ञानिक प्रणाली के आधार पर किया जाता है । साथ ही प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन के द्वारा उनका व्यक्तिगत विकास भी किया जाता है ।

(e) प्रबन्ध व्यवस्था में समय अध्ययन गति अध्ययन एवं थकान अध्ययन आदि पर प्रयोग किये जाते हैं । इससे श्रमिकों की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है जिससे कि कम समय में अधिक उत्पादन करने से उनके पारिश्रमिक में भी वृद्धि होती है ।

3. समाज व राष्ट्र को लाभ (Advantages to Society and the Nation):

वैज्ञानिक प्रबन्ध से समाज या देश को होने वाले लाभ निम्नांकित हैं:

(a) प्रबन्ध व श्रम के मध्य विवादों की समाप्ति से औद्योगिक शान्ति का वातावरण बनता है तथा आर्थिक विकास में तीव्रता आती है ।

(b) कम लागत पर अधिकतम उत्पादन होता है । इससे ने केवल राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि होती है वरन् राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होती है ।

(c) उत्पादन लागत कम होने से उत्तम किस्म की वस्तुएँ सस्ती दरों पर प्राप्त होती हैं । इससे देशवासियों का जीवन-स्तर उन्नत होता है ।

यद्यपि समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा विभिन्न आधारों पर टेलरवाद अथवा वैज्ञानिक प्रबन्ध की आलोचना की जाती रही है तथापि यह नितान्त सत्य है कि ये आलोचनाएँ प्रबन्ध की न होकर इसे लागू करने के माध्यमों की रही हैं । इसके साथ ही समय-समय पर इसके दोषों को दूर करने का भी प्रयास किया जाता रहा है ।